सामूहिक अवकाश का असर अन्य योजनाओं के साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की प्राथमिकता वाली लाड़ली बहना योजना पर भी पड़ सकता है।
भोपाल:- (ब्यूरो )गों को लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, पर्यवेक्षक और बाल विकास परियोजना अधिकारियों के सामूहिक अवकाश पर जाने से आंगनबाड़ी केंद्रों की व्यवस्थाएं चरमरा गई हैं।
प्रदेशभर में हजारों आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को नाश्ता-खाना नहीं बंट रहा है। सामूहिक अवकाश का असर अन्य योजनाओं के साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की प्राथमिकता वाली लाड़ली बहना योजना पर भी पड़ सकता है। क्योंकि कार्यकर्ताओं ने आवेदन भरवाने की पूरी तैयारी कर रखी थी। उनके ड्यूटी पर रहते आवेदन भरवाना आसान होता।
परियोजना अधिकारियों को 4800, पर्यवेक्षकों को 2600 ग्रेड-पे, संविदा पर्यवेक्षक को नियमित करने, पर्यवेक्षक-परियोजना अधिकारियों की पदोन्नति शुरू करने, परियोजना अधिकारी को आहरण-संवितरण के अधिकार देने सहित अन्य मांगों को लेकर कर्मचारी नाराज हैं।
क्या है इनकी मांगें
मप्र आइसीडीसी परियोजना अधिकारी एवं पर्यवेक्षक संघ संयुक्त मोर्चा के इंद्रभूषण तिवारी ने बताया कि मार्च 2022 में इन्हीं मांगों को लेकर आंदोलन करने पर महिला एवं बाल विकास विभाग ने लिखित आश्वासन दिया था कि मांगें पूरी की जाएंगी।
सरकार के प्रतिनिधि बनकर हड़ताल पर बैठे कर्मचारियों से मिलने पहुंचे मुख्यमंत्री के सलाहकार शिव चौबे, कर्मचारी कल्याण समिति के अध्यक्ष रमेशचंद्र शर्मा, सुल्तान सिंह शेखावत ने भी मुख्यमंत्री से भेंट कराने का भरोसा दिलाया था, पर एक साल में कुछ नहीं किया। अब आर-पार का आंदोलन होगा।
सत्तर हजार आंगनबाड़ी केंद्र बंद
उन्होंने बताया कि कर्मचारियों के अवकाश पर होने से करीब 70 हजार आंगनबाड़ी केंद्र बंद हैं। मातृ वंदना योजना, लाड़ली लक्ष्मी सहित अन्य योजनाओं का पंजीयन नहीं हो रहा है। खाना नहीं बंट रहा है। उन्होंने कहा कि आंदोलित कर्मचारियों ने सभी सरकारी ग्रुप छोड़ दिए हैं। जिन पर मैसेज आते थे।
जल्द ही क्रमिक भूख हड़ताल भी शुरू कर रहे हैं। सांसद-विधायकों को भी ज्ञापन सौंप रहे हैं। उन्होंने बताया कि विभाग के अधिकारी कह रहे हैं कि हड़ताल का असर नहीं है, तो एमआइएस की रिपोर्ट देख लें। आज ही 453 परियोजना अधिकारियों में से 11 और 3450 पर्यवेक्षकों में से 104 ड्यूटी पर पहुंचे हैं।
[input ndtv]