हमारा भारत वर्ष अपनी अद्भुत कला और संस्कृति के लिए पूरे विश्व भर में जाना जाता है ।भाति- भाति और विविध प्रकार की कला और संस्कृति का हमारे देश के कोने कोने में समावेश है । इसको संजोने के लिए हमारी पीढ़ी दर पीढ़ी लोगों ने इसका प्रचुर प्रचार प्रसार कर इस परंपरा को बढ़ाया है क्योंकि यह हमारी धरोहर है।इसी क्रम में हमारे देश की अद्भुत पारम्परिक कलाएँ जो हमारे देश के प्रत्येक राज्य में अपनी ख़ुशबू बिखेरे हुए है इनका अधिक से अधिक प्रचार – प्रसार एवं संरक्षण हमारा दाईत्व है ।प्रत्येक पारम्परिक कलाएँ विशिष्ट वर्ग और प्रदेश का दर्पण है ।इन पारम्परिक कलाओं की चित्रण उस विशिष्ट समुदाय के रहन – सहन ,उनका काम – काज ,पहनावा ,उनके विभिन्न पर्व- त्योहार ,नाच – गाने इत्यादि का प्रतिबिंब होती है। हमारे देश की विभिन्न पारम्परिक कलाएँ जैसे – गोंड,वारली,सौरा,सोहराई,मिथिला ,पैटकर,भील,बस्तर,कलमकारी,म्यूरल,कालीघाट,काँगड़ा,पहाड़ी,मिनिएचर,मन्दना,हेज़,राजस्थानी,फाड़ इत्यादि । इनमें से कई पारम्परिक कलाओं ने पिछले बीते कई सालों में अपना वर्चस्व पूरे देश ही नहीं विदेशों में भी स्थापित किया है किंतु कई ऐसी पारम्परिक कलाएँ हैं जो विलुप्त की कगार पर हैं उनका प्रचार- प्रसार एवं संरक्षण अनिवार्य है ।
इसी क्रम में विविन्न कला और संस्कृति के प्रचार – प्रसार हेतु २ साल पहले दुबई स्थित ऑर्टसक्राफ़्ट्स नामक मंच की स्थापना हुई जिसके संस्थापक आदरणीय श्री अनिल केजरीवाल का लक्ष्य पारम्परिक कलाकारों एवं पारम्परिक कलाओं को बढ़ावा देना है।श्री अनिल केजरीवाल जी मूलतः राँची निवासी हैं और १० साल से यू ए ईं में कार्यरत हैं ।हाल ही में इस मंच के द्वारा एक विशाल ऑनलाइन कला प्रतियोगिता की सूचना दी गई , जिसका शीर्षक है परंपरा – द आर्ट फ़ार्म्स ऑफ़ इंडिया, इस प्रतियोगिता में कोई भी भाग ले सकता है, यह बिलकुल निःशुल्क है एवं सभी प्रतिभागियों को प्रतिभागिता प्रमाण पत्र और विजेताओं को पुरस्कार राशि दी जाएगी डॉ छाया कुमारी के मुताबिक़ जो कि निर्णायक मण्डल की निर्णाईका हैं जो की धनबाद झारखंड से हैं । इनके अतिरिक्त आदरणीय निर्णायक गण इस प्रकार हैं- श्री दिलीप पूरानीक पुणे , महाराष्ट्र,डॉ ज्योतिस्वरूप शर्मा जोधपुर,राजस्थान , श्रीमती वंदना सुधीर अबू ढाबी , श्री वीरेन्द्र बन्नू जयपुर, राजस्थान ,श्री विभूतिभूषण बेहेरा पूरी , उड़ीसा ,श्री वैभव कूटे मुंबई , महाराष्ट्र।