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शनि देव : शनिवार के दिन शनिदेव की विशेष कृपा दृष्टि के लिए हर शनिवार शनि मंदिर उन्हें तिलक अर्पित करते हैं। आपने अक्सर देखा होगा कि सड़क, चैराहों पर या फिर के बाहर कुछ लोग एक छोटी सी बाल्टी में शनिदेव की तस्वीर से पहले तेल में डूबते हुए छलनी लेकर आते हैं और घर-घर तेल और पैसे लेने के लिए आते हैं।
आखिर क्यों शनिवार के दिन शनिदेव को तेल चढ़ाया जाता है। किस वजह से शनि देव को सरसों का तेल क्यों प्रिय है। वास्तविक शनि और तेल में क्या संबंध है?
क्यों प्रिय है शनि देव को तेल
पौराणिक कथा के अनुसार जब रावण अपने अहंकार में चूर था तो उन्होंने अपनी बल से सभी योजनाओं को बांध लिया था। शनिदेव को भी उन्होंने बंधनग्रह में उलटा लटका दिया था। उसी समय हनुमानजी प्रभु राम के दूत बनकर लंका गए थे। रावण ने अहंकार में आकर हनुमानजी की पूंछ में आग लगा दी थी। इसी बात से क्रोधित होकर हनुमानजी ने पूरी लंका दी थी लंका जल गई और सारे ग्रह आजाद हो गए लेकिन लटके होने के कारण शनि के शरीर में भयंकर पीड़ा होने से वह पीड़ा से कराह रहे थे।
शनि के इस दर्द को शांत करने के लिए हुनमानजी ने अपने शरीर पर तेल से मालिश की थी और शनि को दर्द से मुक्त कर दिया था। तब शनिदेव ने हनुमान जी को संभावना को कहा? तो हनुमान जी बोले कलयुग में मेरी कथा करने वालें को कोई अशुभ फल नहीं लगेगा। इसलिए ही तो कहा गया है कि ‘और देवता चित न धारी, हनुमत सेई सर्व सुख करि‘ और तभी से हर शनिवार हनुमान जी की पूजा-आराण की जाती है और उसी समय शनिदेव ने कहा कि जो भी व्यक्ति पूर्ण श्रद्धा भक्ति विश्वास से मुझ पर तेल चढ़ाएगा उसे पूरी होने से मुक्ति मिलेगी।
बस उसी से शनिदेव पर तेल चढ़ाने की परंपरा शुरू हो गई थी। यदि आप भी चाहते हैं कि शनिदेव को प्रसन्न करें तो आज के दिन विशेष रूप से शनिदेव पर तेल चढ़ाएं।
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