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कामाख्या मंदिर के बारे में ब्रह्मपुत्र नदी का रहस्य: मैक्रो में बसा फेयरेस्ट सिटी असोम को तो छोटा सा शहर है। लेकिन यहां हमेशा ही जुड़ाव लगी रहती है। असम शहर की सुंदरता बढ़ाने और आकर्षण के आकर्षण का मुख्य केंद्र बनने का अहम कारण है ब्रह्मपुत्र नदी।
ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे बसे होने के कारण असम शहर की सुंदरता बढ़ जाती है। साथ ही यह शहर धार्मिक गतिविधयों से भी लाल है। क्योंकि असम के गुवाटी में ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे नीलाचल पर्वत पर कामाख्या देवी का प्रसिद्ध मंदिर भी है।
कामाख्या मंदिर और ब्रह्मपुत्र नदी से जुड़ा है रहस्य
कामाख्या मंदिर और ब्रह्मपुत्र नदी हमेशा ही लोगों के लिए आस्था और आकर्षण का केंद्र रहा है। लेकिन इसी के साथ यह चमत्कार व दस्तावेज़ भी भरा हुआ है। मान्यता है कि देवी के रजस्वला के दौरान उनके बहते रक्त के कारण ब्रह्मपुत्र नदी का जल भी लाल हो जाता है। यह बात आपको सुनने में अटपटी लग सकती है। लेकिन इससे विशेष धार्मिक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं।
कामख्या मंदिर में होती है योनि पूजा
कामाख्या देवी का मंदिर भारत में स्थित 51 शक्तिपीठों में से एक और प्रमुख माना जाता है। मान्यता के अनुसार यहां देवी सती का योनि भाग गिरा था। इसलिए कामख्या मंदिर में देवी की पूजा की जाती है। यहां देवी की कोई मूर्ति नहीं है। योनि भाग होने के कारण यहां देवी रजस्वला (मासिक धर्म) भी होती है। यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां साल में एक बार देवी कामख्या को मासिक धर्म होता है। देवी जब मासिक चक्र में होती हैं तो तीन दिनों के लिए मंदिर भी बंद रहता है और देवी का दर्शन भी वर्जित रहता है।
तो इस कारण ब्रह्मपुत्र नदी हो जाती है लाल
हर साल जून के महीने में ब्रह्मपुत्र नदी का पानी तीन दिनों के लिए खून की तरह लाल हो जाता है। इसे लेकर मान्यता है कि, इस दौरान कामाख्या देवी मासिक चक्र में रहती है। रजस्वला के दौरान कामाख्या देवी के बहते रक्त से संपूर्ण ब्रह्मपुत्र नदी का रंग लाल हो जाता है।
भक्तों को प्रसाद में दिया जाता है लाल कटोरा
कामाख्या देवी के मंदिर में न केवल पूजा-पाठ के नियम दूसरे मंदिर से अलग हैं। बल्कि यहां भक्तों को प्रसाद भी अलग-अलग तरीके से दिया जाता है। यहां भक्तों को प्रसाद के रूप में लाल रंग का कटोरा दिया जाता है। इस लाल रंग के कपड़े को लेकर कहा जाता है कि जब देवी का मासिक चक्र होता है तो मंदिर में सफेद रंग के कपड़े बिछाए जाते हैं और तीन दिन के लिए मंदिर को बंद कर दिया जाता है। जब मंदिर का दरवाजा तीन दिन बाद खुलते हैं तो सफेद झूठा देवी के रज से लाल हो जाता है। इस कपड़े को अंबुवाची कटोरा कहा जाता है और इसे भक्तों को प्रसाद के रूप में दिया जाता है।
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