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महाभारत कथा हिंदी में: शकुनि मामा (शकुनी मामा) को महाभारत का मुख्य पात्र माना जाता है। शकुनि मामा को लोग दुष्ट, कुटिल और धूमिल मानते हैं। क्योंकि उन्होंने हर बार दुर्योधन को गलत राह बताया, जिस कारण महाभारत का युद्ध हुआ।
शुकनि कौन था?
शकुनि मामा को महाभारत के खलनायक भी कहा जाता है। क्योंकि महाभारत युद्ध होने में शकुनि मामा की अहम भूमिका तय की जाती है। शकुनि दुर्योधन के मामा, गंधारी के भाई और धृतराष्ट्र के साले थे। उन्हें गांधार राज भी कहा जाता है। शकुनि मामा दुर्योधन को हमेशा कुटिल चाल चलने के लिए प्रेरित करते थे। इसलिए ही शकुनि के कारण ही पांडवों को भी जुआ खेलने पर विवश होना पड़ा।
जुए का खिलाड़ी शकुनि था
शुकुनि चौरस (जुए) में विशेषज्ञ खिलाड़ी थे। पौराणिक समय में जुए ताश के पत्ते ये नहीं बल्कि ‘चौरस’ बजाया गया था। जोकि लूडो की गोटी के बराबर हुआ। शकुनि इस खेल में बहुत माहिर था। जब-जब जुआ खेलता था तब उसकी जीत होती थी। यही कारण था कि शकुनि के पास हमेशा शकुनि की ही बात असंख्य थी। पासे में शकुनि जैसा अंक चाहता था पासा वैसा ही अंक सामने रखता था।
शकुनि के पास का रहस्य क्या था?
शकुनि के पासे हमेशा उनकी बात मानते थे। ऐसा इसलिए था क्योंकि यह शकुनि के पास था उसके मृत पिता की रीढ़ की हड्डी से जुड़ी हुई थी और इस कारण से पिता उसकी आत्मा में बस गए थे। कहा जाता है कि शकुनि के पिता मरने से पहले शकुनि से कहा था कि मेरी मौत के बाद तुम मेरी हड्डियों से पासा बना लो। मेरी हड्डियों से हमेशा आपके मन में बात बनेगी और जीवन में कोई भी परमात्मा जुदा नहीं हो पाएगा। इसलिए शकुनि अगर पासे को छह कहता है तो पास में छह अंक ही आते हैं।
हालांकि शकुनि के पासे का रहस्य और बदले की भावना की कहानी का वर्णन वेद व्यास जी ने महाभारत में नहीं किया है। यह कहानी केवल लोककथा और जनश्रुतियों पर ही आधारित है। वहीं बहुत से विद्वानों का तो यह भी मानना है कि शकुनि के पास हाथी के दांत के थे। कई लोगों का मत तो यह भी है कि शकुनि के पासे उनकी बात इसलिए भी मानते थे क्योंकि शकुनि मायाजाल और सम्मोहन से पासे को अपने पक्ष में कर लेता था।
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