धूमावती जयंती 2023 कब है पूजा विधि महत्व धूमावती माता कथा
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धूमावती जयंती 2023: ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को धूमावती जयंती के नाम से जाना जाता है। शिव जी की अर्धांगिनी देवी सती से 10 महाविद्याओं की उत्पत्ति हुई थी, इनमें से एक मां धूमावती है। ये सातवीं महाविद्या हैं, इन्हें अलक्ष्मी नाम से भी जाना जाता है।

आमतौर पर तंत्र साधना के लिए महाविद्या की पूजा की जाती है लेकिन गृहस्थ जीवन वाले भी माता के सौधरूप की पूजा कर सकते हैं। मान्यता है मां धूमावती की पूजा से संतापों का नाश होता है, रोग और दरिद्रता से मुक्ति मिलती है। आइए जानते हैं धूमावती जयंती की तारीख और महत्व।

धूमावती जयंती 2023 तिथि (Dhumavati Jayanti 2023 date)

धर्म रीलों

इस साल धूमावती जयंती 28 मई 2023 को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 27 मई 2023 को सुबह 07.43 मिनट पर होगी और अगले दिन 28 मई 2023 को सुबह 09.57 मिनट पर इसका समापन होगा।

मां धूमावती की पूजा विधि (Dhumavati Jayanti Pooja vidhi)

धूमावती जयंती के दिन गृहस्थ लोग मां को एक के फूल, सफेद वस्त्र, केसर, अक्षर, घिस, सफेद तिल, धतूरा, आक, जौ, सुपारी दूर्वा, गंगाजल, शहद, कपूर, चंदन, नारियल पंचमेवा अर्पित करें। इसके बाद ‘ॐ धूम धूम धूमावती स्वाहा’ मंत्र का रुद्राक्ष की माला से जाप करें। कहते हैं कि इस मंत्र से 108 बार राई में नमक मिलाकर हवन में आहुति देने से करने से शत्रुओं का नाश होता है। वहीं नीम की लकीर और घिसाव का घर करने से कर्ज से मुक्ति मिल जाती है। दरिद्रता दूर भागती है।

शिव को नीचा दिखाया गया मां धूमावती (धूमावती जन्म कथा)

मां धूमावती उग्र स्वभाव वाली होती है। वे विधवा और श्वेत शास्त्र धारण करते हुए रथ पर सवार हैं। पौराणिक कथा के अनुसार एक बार माता पार्वती को भूख सताने लगी, उन्होंने भगवान शिव से अति शीघ्र भोजन की व्यवस्था के लिए आग्रह किया लेकिन काफी समय जाने के बाद भी भोजन नहीं आया तो उन्होंने शिव जी को ही नीचा दिखाया। फिर देवी पार्वती के शरीर से धुआं निकलने लगा। भगवान शिव उनके उपर से बाहर आ गए और कहा कि ऐसा करने से आपके पति का अपमान हुआ। अब से तुम्हारे विधवा स्वरूप में पहले और धूमावती के नाम से जाने जाएंगे।

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Umesh Solanki

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