नाखून काटने की आदत सेहत के लिए खतरनाक, ध्यान में रखने के असरदार टिप्स
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कुछ आदतें आदत नहीं छूटती, नाख़ून चबाना ऐसी ही एक आदत है। हम इस आदत के रूप में रहते हैं, वो असल में हमारे शरीर को नुकसान पहुंचा रहे हैं। ये एक व्यवहारिकता है, जिसका प्रभाव न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। बच्चों से लेकर बड़े तक नेल बाइटिंग की आदत से परेशान हैं। कई लोगों ने इस रिश्ते के कारण नाउम्मीद वृद्धि ही छोड़ दी है।

करेंट लिट्रेचर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश की 20-30 प्रतिशत जनसंख्या नेल खाने की आदत से परेशान है। नेल बाइटिंग की आदत सभी तरह के लोगों में विकसित होती है, खासकर बच्चों और युवाओं में। एक खोज के अनुसार नेल बाइटिंग की समस्या 3 साल से 21 साल के लोगों में 37 प्रतिशत तक पाई गई है। यह आदत स्वास्थ्य के लिए खतरा हो सकता है, ऐसा करने से हाथ के बैक्टीरिया मुंह के जरिए पेट में चले जाते हैं और कई तरह की संभावना के कारण बनते हैं, इससे संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। इसके साथ ही ये आदत आत्मविश्वास पर भी असर डालती है।

नेल बाइटिंग की साझेदारी क्यों है?

आम सी दिखने वाली इस रिश्ते के पीछे कई कारण हो सकते हैं। स्ट्रेस या अंग्रेजी से अगर कोई व्यक्ति गुजर रहा हो, तो उस समय उसके शरीर की प्रतिक्रिया के रूप में या खुद को शांत करने के लिए नेल बाइटिंग की आदत अपनाई जा सकती है। स्ट्रेसफुल सिचुएशन में अगर कोई व्यक्ति है तो अक्सर वो नाख़ून नाश्ता करता है। ऐसे में जरूरी है कि व्यक्ति के रिश्ते में जल्द से जल्द सुधार पा लें।

हालांकि, जर्नल ऑफ बिहेवियर थेरेपी एंड एक्सपेरिमेंटल साइकोलॉजी (जर्नल ऑफ बिहेवियर थेरेपी एंड एक्सपेरिमेंटल साइकोलॉजी) में प्रकाशित एक अध्ययन का मानना ​​है कि नेल बाइटिंग की आदत सिर्फ नर्वसनेस या एंग्जायटी की वजह से नहीं है। बल्कि संबंधस के अनुसार नेल बाइटिंग की आदत सही होने की अधिक संभावना को पहचानती है।

क्या नेल बाइटिंग चिंता का विषय है?

अपने एक साक्षात्कार में डॉक्टर रिंकी कपूर (कंसल्टेंट डर्मेटोलॉजिस्ट, कॉस्मेटिक डर्मेटोलॉजिस्ट और डर्मेटो-सर्जन, द एस्थेटिक क्लिनिक्स) के लोग कहते हैं, नेल बाइटिंग से ना केवल बैक्टीरिया, फंगस और वायरस के रूप में संक्रमण होता है, बल्कि नाख़ून, क्यूटिकल और आस पास की त्वचा खसरा भी होता है। ज्यादा नेल बाइटिंग से नाखुनो से खून भी आता है और आस पास की जगहों पर सूजन भी होने लगती है। इससे दांत, मसूड़े और मुंह के लक्षण डैमेज हो सकते हैं।

नेल बाइटिंग के नुकसान

1. नेल बाइटिंग से नेल्स के आस पास की त्वचा सूज जाती है और इसमें इंफेकशन भी हो सकता है।
2. बार-बार नाख़ून व्याख्यान से नाख़ून बढ़ने में मदद करने वाले वर्गीकरण नष्ट हो जाते हैं, जिसके कारण लोगों में नेल बाइटिंग करने वाले लोगों में नाख़ून धिमी गती से बढ़ रही है।
3. नेल बाइटिंग से ना केवल नाख़ून होते हैं, बल्कि दांत भी डैमेज हो जाते हैं।
4. हमारे हाथ का बैक्टीरिया मुंह के जरिए पेट में जाता है और कई तरह की वजह बनता है, जिससे बैक्टीरिया और जहर के खतरे बढ़ सकते हैं।
5. पाचन क्रिया प्रभावित हो सकती है और व्यक्ति बहुत ज्यादा बीमार हो सकता है।
6. नेल बाइटिंग से मसूड़े पकड़ और इंफेक्टेड हो सकते हैं, जो किसी गंभीर बीमारी को बुलावा दे सकते हैं।

नेल बाइटिंग से कैसे बचें

1. नाख़ूनों को छोटा रखें
2. स्ट्रेस या अंगजायटी को लाइक करें।
3. नाख़ून पे कोई कड़वी चीज़ हासिल करें।
4. मुंह को किसी और काम में बिजी रखने की कोशिश करें, जैसे कोई इंस्ट्रक्शंस हाजिरं।
5. हाथों को भी लगे रहने की कोशिश करें।

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Umesh Solanki

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