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पेरेंटिंग टिप्स: किसी भी पैरेंट्स के लिए सबसे ज्यादा जरूरी काम आपके बच्चों का सही तरीके से पालना होता है। हालांकि बच्चों को पालना जितना आसान लगता है, उतना आसान नहीं है। बच्चों की पहुंच हर पैरेंट चाहता है। इसमें माता-पिता की भूमिका भी अहम होती है। मगर आपका बच्चा पहुंच गया और जीवन में कुछ बेहतर कर पाए, इसके लिए आपका बर्ताव भी काफी मायने रखता है।
विशेष रूप से, कुछ माता-पिता बच्चों की बातों पर ध्यान दिए बिना ही उन्हें डांटना शुरू कर देते हैं। ये फॉर्मूला गलत है, क्योंकि इससे उनकी मानसिक स्थिति का असर पड़ता है। यह अच्छा है कि आप अपने बच्चों को सुनते हैं और उनकी समझ को समझते हैं। इससे न सिर्फ उनका यकीन पक्का होगा, बल्कि वे संभव भी होंगे। आइए आज बच्चों के विश्वास बढ़ाने के कुछ तरीकों के बारे में जानते हैं।
बच्चों की भावनाओं को समझें: किसी भी बच्चे की भावनाएं बहुत जरूरी होती हैं। फिर भी वो रोए, नाराज हो या फिर हंसे, उनकी हर एक भावना का कद्र करना होगा। ऐसा करने से वह खुद को विशेष समझेंगे। इससे न सिर्फ उन पर विश्वास बढ़ेगा, बल्कि आप पर उनकी गारंटी भी बढ़ेगी, जो जॉड एनर्जी का होगा।
बच्चों को प्यार करते हैं: पैरेंट्स का सॉफ्ट नेचर बच्चों के लिए बहुत जरूरी है। इस बात को ध्यान में रखते हुए पैरेंट्स को कभी भी बच्चों के सामने ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए, जिसकी वजह से उन पर नकारात्मक प्रभाव पड़े। जब भी जरूरत पड़े, अपने बच्चों से प्यार जताएं। इसके कई तरीके हो सकते हैं, जैसे बाहर जाने से पहले उनसे ‘लव यू’ कहते हैं। ये आपके बंधन को भी मजबूत करेगा।
बच्चों को सुनाई देना जरूरी: आम तौर पर देखने से पता चलता है कि कई मां-बाप अपने बच्चों की बातों को सीखते और समझते नहीं हैं, उनका निर्णय लेना होता है। ऐसा करने से उनका विश्वास कम हो जाता है। यही कारण है कि बच्चों को अधिग्रहित किया जाता है और बहुत गलत होता है। इससे उन्हें न सिर्फ अच्छा लगता है, बल्कि वे विश्वास से लबरेज हो जाते हैं।
बच्चों की पुष्टि करें: अपने बच्चों पर गुस्सा करना कुछ हद तक तो जायज है, लेकिन ऐसा हमेशा नहीं करना चाहिए। ऐसा करने पर उनका विश्वास गिर जाता है और सही का रास्ता नहीं लगता है। इसलिए जरूरी है कि आप हमेशा बच्चों की आकांक्षा करें। हर बच्चा चाहता है कि उसकी उम्मीद हो। अगर आप छोटी-छोटी चीजों पर भी उसकी उम्मीद करेंगे तो वह महसूस करेगा।
साथ खाना बनाना: पैरेंट्स के लिए ये बेहद जरूरी है कि वे अपने बच्चों के साथ खाना मजबूत करें। ऐसा करने से बच्चे और माता-पिता के बीच एक बंधन बन जाता है। दोनों एक-दूसरे को दोस्त की नजर से देखते हैं। इसलिए यदि आप तीनों समय उसके साथ खाना नहीं खा सकते हैं, तो कम से कम एक समय ऐसा हो सकता है, जब आप उसके साथ खाना खाएंगे।
अस्वीकरण: इस लेख में बताई गई विधि, तरीके और सलाह पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।
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