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हिस्टीरिया या कन्वर्जन डिसऑर्डर एक प्रकार का काटल डिसऑर्डर है, जिसमें कंपकपी लगना, चक्कर आना, सांस लेने में समस्या या मुंह में जकड़न जैसे लक्षण हो सकते हैं। यह बीमारी एक प्रकार का सायकोन्यूरोसिस है और यह किसी भी प्रकार की एलर्जी या एलर्जी पर आधारित नहीं है। हिस्टीरिया विषेश के रूप में फिमेल डिसऑर्डर है, मतलब की हिस्टीरिया की समस्या ज्यादातर महिलाओं और जांघों में होती है। इसमें 24 से 48 घंटे तक बेहोशी और नींद की समस्या बनी रहती है।
हिस्टीरिया न्यूरोलॉजिकल स्थिति है, जिसके कारण मेंटल और नर्वस डिसऑर्डर की समस्या पैदा हो सकती है। इसमें महिलाएँ स्वयं पर कंट्रोल नहीं रखती हैं। क्लिनिकल प्रैक्टिस एंड एपिडेम साइंस जर्नल के अनुसार, पुराने समय में हिस्टीरिया का इलाज उपलब्ध नहीं था। 20वीं सदी तक भारत में इसका इलाज झाड़-फूंक और टोना-टोटका से किया जाता था। काफी समय बाद इस बात का खुलासा हुआ कि यह बीमारी सिर्फ महिलाओं को ही नहीं बल्कि पुरुषों को भी होती है। विक्टोरिया के ज़माने में हिस्टीरिया की बीमारी का सामान्य चिकित्सक विशेष रूप से महिलाओं के लिए निदान किया गया था। इसका सन् 1980 तक "शारीरिक जैसा दिखने एवं बनाने का मैनुअल" (डीएसएम) से हटाया नहीं गया था।
हिस्टीरिया क्या है?
मनस्थली संस्थान के संस्थापक-निदेशक और वरिष्ठ साइकेस्ट डॉ. ज्योमेट्री कपूर हिस्टीरिया के बारे में बताते हैं कि "हिस्टीरिया एक मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम है। यह बहुत गंभीर समस्या होती है जिसमें हिस्टीरिया से पीड़ित व्यक्ति को एक अजीब भ्रम हो जाता है और बार-बार दम घुटना जैसा एहसास होने के कारण व्यक्ति बेहोश हो सकता है। यह बीमारी पुरुषों में भी होती है लेकिन इसके लक्षण अलग-अलग होने के कारण महिलाएं हिस्टीरिया के साथ जोड़ नहीं सकती हैं। महिलाओं पर जब हमला होता है तब उनके हाथ-पैर अकड़ जाते हैं, चेहरे का आकार बदल जाता है जिसकी वजह से वो चिल्लाने लगती हैं और खुद में ही कुछ बड़ी उभरती हैं।
क्या कहता है समग्र संकल्पना?
समग्र संकल्पनाओं के अनुसार, हिस्टीरिया के पेशेंट्स को एक कंप्लीट न्यूट्रिशियस डाइट की आवश्यकता है। विटामिन-सी से भरपूर आहार का सेवन करना चाहिए। जैसै, संतरा, करार और पपीता जैसे सावन को अधिक खाना चाहिए। अगर बार-बार हिस्टीरिया का हमला हो रहा है तो एक महीने के लिए दायरे के डायट पर जाएं। नियमित रुप से एक चम्मच शहद और 1 ग्राम हींग खाना हिस्टीरिया के पेशेंट्स के लिए लाभ होता है। इसी के साथ उचित नींद और नियमित व्यायाम भी हिस्टीरिया पेशेंट्स के लिए लाभ होता है। ऐसा तब हुआ जब इस बीमारी को पहली बार प्राचीन इंजेक्शन दिया "स्पोंटेनियस यूटेरस आंदोलन" बताया था। ऐनाटोमिस्ट थॉमस विल्स ने ये सोचा था कि सन् 1600 में हिस्टीरिया सिर्फ महिलाओं को हो सकता है। वे इस बात की पुष्टी करते हैं कि हिस्टीरिया बीमारी यूटेटर्स में नहीं बल्कि दिमाग में उत्पन्न होती है। इससे इस बात का पता चला कि हिस्टीरिया पुरुषों को भी हो सकता है।
हिस्टीरिया के लक्षण
1. थकान महसूस होना
2. चक्कर और बेहोशी
3. तनाव
4. सिरदर्द
5. सांस लेने में असुविधा
6. शरीर में ऐठन
हिस्टीरिया का कारण
1. मेंटल डिसऑर्डर
2. अवसाद
3. फोबिया
4. चिंता या तनाव
5. घबराहट
6. अधिक आलस
हिस्टीरिया को सही करने के लिए अपनाए ये 4 घरेलू उपाय
1. दिन भर का एक चम्मच शहद
2. रोज़ रोज़गार
3. केले के तने का ताजा रस पिएं
4. गर्म पानी में जुनी हींग-जीरा पिएं
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