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<पी शैली ="टेक्स्ट-एलाइन: जस्टिफ़ाई करें;"बिलासपुर न्यूज: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में स्कूल शिक्षा विभाग ने बड़ी कार्रवाई की है। दरअसल ये हुआ कि हाई स्कूलतराई के प्रिंसिपल ने शाला प्रबंधन समिति की अनुमति के बिना कोचिंग संचालकों को 20 बार दे दिया। साक्षी की शिकायत पर कोचिंग वाले टूटे-फूटी हालत में 10 बार वापस आए। इसके अलावा प्रिंसिपल ने खुद छुट्टी पर रहने के दौरान दूसरे लेक्चरों को भी छुट्टी दे दी। जांच रिपोर्ट के आधार पर इस मामले में स्कूल शिक्षा विभाग के अवर सचिव ने बहतराई स्कूल के प्रिंसिपल समेत दो लेकरों को सस्पेंड कर दिया है।

<p style="टेक्स्ट-एलाइन: जस्टिफ़ाई करें;"छुट्टी पर रहने वाले स्कूल के अन्य शिक्षकों की छुट्टियों की बकाया राशि

जिले के शासकीय हाईस्कूल बहतराई में निशा तिवारी प्राथमिक पद पर हैं। वह 18 जुलाई 2022 से 25 सितंबर 2022 तक कुल 70 दिनों तक मेडिकल छुट्टी पर रहा। वहीं, उन्होंने स्कूल के लेक्चरर जितेन्द्र कुमार को भी छुट्टी पर रहने के दौरान लंबी छुट्टी दे दी। यही नहीं उन्होंने स्कूल के अन्य लोकसेवकों की छुट्टी भी कम कर ली। हैरानी की बात ये है कि निशा तिवारी के छुट्टी पर रहने के दौरान प्रिंसिपल का पदभार ले रही लेक्चरर श्वेता सिंह को छुट्टी का आवेदन करने के बजाय लेकरों और कर्मचारियों के अन्य लोगों ने निशा तिवारी को ही आवेदन दिया और निशा तिवारी ने खुद पर छुट्टी ली बने रहें इनके आवेदन मंजूर भी कर लिए गए हैं।

<p style="टेक्स्ट-एलाइन: जस्टिफ़ाई करें;"प्राइवेट कोचिंग को दिया स्कूल का फर्नीचर

इसके अलावा प्रिंसिपल निशा तिवारी ने एक कोचिंग कर्मी अंद कुमार यादव को स्कूल की प्रबंधन समिति की सहमति के बिना स्कूल के 20 बार (फर्नीचर) दिए गए। जब ग्रामवासियों ने प्रधान के खिलाफ शिकायत की तो कोचिंग कर्मियों ने ब्रेक-फुटी हालत में 10 बजे स्कूल को लौटा दिया। वहीं जब फर्नीचर का जिम्मा लेक्चरर अलका सिंह से इस विषय पर जानकारी ली गई तो उन्होंने सही जानकारी ही नहीं बनाई, इसके अलावा फर्नीचर को लेकर उनका रिकॉर्ड भी भटक गया। इस मामले में स्कूल शिक्षा विभाग ने हाई स्कूल बहतराई की प्रिंसिपल निशा तिवारी, लेक्चरर जितेंद्र कुमार ध्रुव और लेक्चरर एलबी अलका सिंह को सोंक्स कर दिया है। प्रिंसिपल निशा तिवारी पर आर्थिक विशिष्टता के भी आरोप लगे हैं।

<p style="टेक्स्ट-एलाइन: जस्टिफ़ाई करें;"छात्रों से कर व्यवसाय

बहतराई के ग्रामवासियों ने निर्धारित अनुग्रह की राशि से अधिक राशि प्राप्त करने की शिकायत की थी। जांच में रेडक्रॉस फंड में प्रिंसिपल द्वारा 30 रुपए के हाजिरी के तौर पर 50 रुपए का शुल्क लिया गया। जांच में यह भी सामने आया कि निशा तिवारी ने शिक्षकों पर छात्रों से नौकरी बसूलने को लेकर दबाव बनाया था। वे छात्रों से 50 रुपए लाइसेंस के तौर पर लेते हैं लेकिन वे बैंक में 30 रुपए के होश से ही राशि जमा कर सकते हैं। इसके अलावा शासन द्वारा प्राप्त अनुदान राशि को शाला विकास समिति के प्रस्ताव एवं सहमति के बिना ही प्रधानाध्यापक ने स्वयं पर खर्च किया। स्कूल में पर्यवेक्षण समिति का गठन बिना किसी अन्य नाम की राशि का खर्च भी प्रधान द्वारा स्वयं किया गया पाया गया।

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Umesh Solanki

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