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चातुर्मास तिथि 2023: इस साल श्रावण (सावन) अधिमास का संयोग 19 साल बाद फिर बन रहा है। इसके कारण चातुर्मास पांच माह का होगा। पौराणिक मान्यकारों के अनुसार चातुर्मास में भगवान विष्णु क्षीरसागर में शयन करेंगे। इस दौरान भगवान शिव जगत्पालन का प्रबंधन संभालते हैं। चातुर्मास की अवधि विवाह, मुंडन, कंछेदन आदि शुभ कार्यों में पांच माह का विराम रहेगा।
विक्रम संवत 2080 यानी साल 2023 में 19 साल के बाद श्रावण मास अधिकृत होगा। 4 जुलाई से सावन की शुरुआत होगी और 31 अगस्त को श्रावण के दो मास होंगे। अधिमास 18 जुलाई से 16 अगस्त तक रहेगा। अधिमास की शुरुआत के पूर्व सोमवती अमावस्या का पर्व आया। अधिमास में शुभ और मांगलिक कार्य पूरी तरह से रुके रहेंगे। इसमें भवन बनाना, गृह प्रवेश, देव प्रतिष्ठापन, कुएं-बावड़ी खनन आदि सभी बंद हो जाएंगे।
इससे पहले श्रावणमास का संयोग विक्रम संवत 1847, 1966, 1985, 2004, 2015बना था अब 2023, आगे आने वाले वर्षों में 2042 और 2061 में अधिग्रहित हुआ। इस साल चातुर्मास पांच माह का होगा। आषा शुक्ल गुरुवार 29 जुलाई को देवशयनी एकादशी होगी। 23 नवंबर को देव प्रवाहिनी एकादशी को देव जागेंगे। इस बार सावन 59 दिन का होगा। यानी श्रावण मास दो चरणों में रहेगा. सावन के महीने का शिवभक्त इंतजार करते हैं। इस महीने में पूरा माहौल शिवमय हो जाता है।
इस बार शिव शक्ति का महीना सावन में दुर्लभ संयोग बन रहा है। यह दुर्लभ संयोग 19 साल बाद बन रहा है। क्योंकि शिव शक्ति महीने का एक नहीं बल्कि 2 महीने का रहने वाला होगा। सावन का महीना 4 जुलाई से शुरू होकर 31 अगस्त को समाप्त होगा। ऐसे में सावन का महीना इस बार 30 दिन के बजाय 59 दिन का होगा। साथ ही इस बार मलमास का भी सावन के महीने में रहना होगा। जिसे पुरुशोतम मास और अधिक मास भी कहा जाता है। इस बार सावन पहले 13 दिन यानी 4 जुलाई से 17 जुलाई तक चलेगा. इसके बाद 18 जुलाई से 16 अगस्त तक अधिक मास मलमास रहेगा। इसके बाद 17 अगस्त को फिर से सावन शुरू हो जाएगा. यानी दो चरणों में सावन का माह मनाया जाएगा। इस बार सावन के महीने में मणि कंचन योग भी रहेगा।
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