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हिमाचल प्रदेश समाचार: पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश (हिमाचल प्रदेश) पर आर्थिक बदहाली का संकट लगातार गहराता जा रहा है। हिमाचल प्रदेश के कई ऐसे निगम और बोर्ड हैं, जहां कर्मचारियों को वेतन मिलने में देरी हो रही है। आलम यह है कि कर्मचारियों को घर परिवार के गुजर-बसर में भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। खासकर हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) के कर्मचारियों के साथ श्रम एवं रोजगार, वन निगम और जल शक्ति बोर्ड के कुछ आउट टाटा कर्मचारियों को करीब आधे महीने जाने के बावजूद अब तक वेतन नहीं मिला है। इससे कर्मचारी बहुत परेशान हैं.
हिमाचल प्रदेश में आर्थिक बदलाव किसी से नहीं जुड़ा है। हाल ही में हिमाचल प्रदेश में एक हजार करोड़ रुपये का ओवरड्राफ्ट चला गया। इसके लिए सरकार 800 करोड़ रुपए का लोन ले रही है। यह लोन आने के बाद भी सरकार 200 करोड़ रुपए के ओवरड्राफ्ट पर टिकी है। मौजूदा सुक्खू सरकार इसके लिए पूर्व जयराम सरकार को जिम्मेदार ठहरा रही है। साथ ही सेंटर पर वित्तीय प्रतिबंध लगाने का भी आरोप लग रहा है। इस बीच बीजेपी भी सरकार को घोटालों में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। बात-चीत पर आने वाले केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस सरकार यह भी कह सकती है कि कर्मचारियों को वेतन देना उनमें शामिल ही नहीं था।
देर से आना मुश्किल से भरा
मौजूदा वक्त में हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम के कर्मचारी समय पर वेतन और पेंशन न मिलने की वजह से सबसे ज्यादा परेशान हैं। एचआरटीसी करीब 1 हजार 700 करोड़ रुपए के योग में है। इसकी वजह यह है कि हर महीने बसों को चलाने से 65 करोड़ की कमाई होती है, जबकि पेंशन और रिटायर कर्मचारियों की पेंशन देने के लिए 69 करोड़ रुपये खर्च करने की जरूरत है। निगम का कुल मासिक खर्चा 144 करोड़ रुपये तक है। ऐसे में हर महीने एचआरटीसी को भारी नुकसान होता है।
इसके अलावा वर्ष 2023-24 के केंद्रीय बजट में राज्यों की कर्ज सीमा भी कम कर दी गई है। राज्य अब अपने आकार का केवल 2.5 फ़ीसदी हिस्सा ही ऋण के तौर पर उठा सकते हैं। साल 2022-24 में हिमाचल प्रदेश में सिर्फ 9 हजार करोड़ रुपये का कर्ज बन सकता है। इससे पहले कर्ज की सीमा 14 हजार 500 करोड़ रुपए थी। ऐसे में हिमाचल प्रदेश के लिए आने वाला वक्त मुश्किलों से भरा रहता है।
इस डेट में मिले कर्मचारियों को पेंशन और पेंशन
हिमाचल पथ परिवहन निगम के कर्मचारी और पेंशन देरी से वेतन मिलने की वजह से परेशानी होती है। यदि समय पर नजर दौड़ जाए, तो एचआरटीसी के कर्मचारी 2 मई, 3 जून, 6 जुलाई, 3 अगस्त, 5 सितंबर, 1 अक्टूबर, 10 नवंबर, 2 दिसंबर, 3 जनवरी, 4 फरवरी, 3 मार्च, 13 अप्रैल और 10 मई वेतन में मिलावट। इस महीने का वेतन अब तक कर्मचारियों को मिल ही नहीं रहा है। इसके अलावा पेंशनरों को भी इसी तरह की देरी से पेंशन मिली। 4 मई, 3 जून, 7 जुलाई, 26 अगस्त, 7 सितंबर, 6 अक्टूबर, 11 नवंबर, 7 सितंबर, 9 जनवरी, 7 फरवरी, 23 मार्च, 21 अप्रैल और 30 मई को कर्ज मिले हैं।
यहां खर्च होता है हिमाचल के बजट का बड़ा हिस्सा
हिमाचल प्रदेश में कर्मचारियों का विशाल वर्ग है। ऐसे में प्रदेश के बजट का भारी हिस्सा पेंशन और पेंशन भुगतान में ही चला जाता है। इस साल भी हिमाचल प्रदेश का सिर्फ 29 फीसदी हिस्सा ही विकास के कामों में खर्च होगा। वर्ष 2023-24 के बजट के अनुसार, प्रति 100 रुपए में से वेतन पर 26 रुपए, पेंशन पर 16 रुपए, ब्याज और ऋण की अदायगी पर 10-10 और विशिष्ट के लिए अनुदान पर 9 रुपए खर्च होंगे, जबकि पूंजीगत विकास के लिए सिर्फ 29 रुपए ही शेष रह जाएंगे।
साल 2023-24 में राजस्व प्राप्तियां 37 हजार 999 करोड़ रहने का अनुमान है। इसके अलावा कुल व्यय व्यय 42 हजार 704 करोड़ रुपये है। इस तरह कुल राजस्व घाटा 4 हजार 704 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। इसके अलावा घाटा 9 हजार 900 करोड़ रुपये करता है, जो प्रदेश की जीडीपी का 4.61 प्रतिशत हिस्सा है।
वर्ष 2022-23 के बजट की क्या स्थिति थी?
यदि वर्ष 2022-23 के बजट को सौ रुपए के मानक पर देखें, तो हिमाचल के बजट का बड़ा हिस्सा सरकारी कर्मचारियों के वेतन और पेंशन पर ही खर्च हो रहा था। सरकारी कर्मचारियों के वेतन पर सौ रुपए में से 25.31 रुपए, पेंशन पर 14.11 रुपए खर्च किए जा रहे थे। इसके अलावा हिमाचल को वेग अदायगी पर 10 रुपए, लोन की अदायगी पर 6.64 रुपए चुकाने पड़ रहे थे। इसके बाद सरकार के पास विकास के लिए 43.94 रुपए ही बच रहे थे। इस साल विकास के कार्यों के लिए खर्च होने वाले बजट में 15 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
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