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‘भारत में 10 करोड़ से भी ज्यादा वायरल होने वाले मरीज हैं।’ यह बात नंबर ही किसी के मुंह से निकल जाए तो बुरा हाल है इंडिया का। यह बात किसी को भी परेशान कर सकती है। लांसेट में छपी ‘इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च’ (आईसी सर्किट) के मुताबिक सिर्फ भारत में 10 करोड़ से भी ज्यादा पर्यटक के मरीज हैं। सबसे हैरानी वाली बात यह है कि गोवा जोकि इंडिया की सबसे हैपनिंग प्लेस हैं यहां पर सबसे ज्यादा पर्यटक यात्री पाए गए हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि फ्लूमिनल के मामले कुछ राज्यों में काफी ज्यादा स्थिर हैं।

लैंसेट ने डायबिटिक और प्री-डायबिटिक को लेकर कहा क्या?

लांसेट की रिपोर्ट से यह भी खुलासा हुआ है कि भारत देश में 13.6 करोड़ आबादी प्री-डायबिटिक है। वहीं देश की कुल जनसंख्या में 11.4 प्रतिशत आबादी का डायबिटिक है। भरी हुई से यहां का अर्थ है जिसमें शामिल हैं। लेकिन प्री-डायबिटिक का मतलब है कि जो लोग आने वाले समय में डायबिटिक हो जाएंगे। प्री-डायबिटिक में अधिक युवा और बच्चे शामिल हैं।

लूमिन और प्री-डायबिटिक दोनों एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। दोनों अनुप्रास से जुड़ी हुई हैं। जिलेटिन का काम ही है शरीर में ग्लूकोज की मात्रा जब भी उसे प्रभावित करती है। जब शरीर की आवश्यकता के अनुसार लाइनअप नहीं होता है तब शरीर में शुगर लेवल या परत की बीमारी होती है। इसकी वजह से किसी भी व्यक्ति को लाइनिंग और प्रिक्स- होने का खतरा हो सकता है।

प्री-डायबिटीज क्या है?

प्री-डायबिटीज को सीमा रेखा भी कह सकती हैं। इसका मतलब यह है कि शरीर में रक्त शर्करा स्तर सामान्य से अधिक है। लेकिन ऐसा भी नहीं है कि वह टाइप-2 में दाखिल हों। इस फीमेल को लाइफस्टाइल में सुधार करके ठीक किया जा सकता है। लेकिन जो लोग प्री-डायबिटिक हैं वे आने वाले समय में दुर्घटना के मरीज बनेंगे। इसमें भी कोई दो राय नहीं है।

मधुमेह के लक्षण

आप प्री-डायबिटीज को सिंपल शब्दों में कह सकते हैं कि यह छोटी-छोटी शुरुआत होती है। प्री-डायबिटीज के रोगियों को दवा की आवश्यकता नहीं है। वह अपनी जीवनशैली ठीक कर लेते हैं। हो सकता है वह ठीक हो जाए।

फीलिंग क्या है?

गर्मियों में एक सामान्य बीमारी है। जो हर 6 में से एक इंसान है। जैसा कि आपको पता चलता है कि रक्त में शर्करा का स्तर बढ़ता है। जब शरीर में लाइनिन ठीक से काम न करें तो लाइनून हो जाता है। ट्यूमर में किडनी फेल, दिल की बीमारी, दिल का दौरा पड़ने की संभावना बढ़ जाती है।

लूमिन के लक्षण

बार-बार पत्ते लगना

खाने के बाद भी भूख लगना

बार-बार शौचालय बनाना

घाव ठीक होने में समय लगना

आँख से ठीक से न दिखना

हाथ-पांव में कमजोरी

प्री-डायबिटीज और लाइनिंग में ये होता है अंतर

फास्टिंग ग्लूकोज

प्री-डायबिटीज में फास्टिंग फॉनिंग 100 से 125 मिलीग्राम/डीएल के बीच होना चाहिए। अगर यह पात्र 126 mg/डीएल से अधिक होता है तो यह छोटे का संकेत है। अब आप सोचेंगे फास्टिंग अटकलबाजी क्या है? इसमें ब्लैक ब्लड लेवल की जांच की जाती है। यह सुबह खाली पेट बिना कुछ खाए-पीए जाता है।

प्री-डायबिटीज में ही आप सतर्क हो जाते हैं तो आप भविष्य में होने वाले गर्मियों की बीमारी को रोक सकते हैं। अपनी जीवनशैली में सुधार करके इसे रोका जा सकता है।

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए नुस्खे, तरीके और सलाह पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

ये भी पढ़ें: भारत में 10 करोड़ से भी ज्यादा हुए घायल के मरीज, इस राज्य का नाम सबसे ऊपर

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Umesh Solanki

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