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वास्तु दोष: हम लोग जब अपना घर बनवाते हैं तो काफी कोशिशों के बाद भी कोई न कोई कमी रह जाती है और यही कमियां वास्तु दोष की वजह से अजीब होती हैं। इन कमियों की वजह से घर में सकारात्मक ऊर्जा के स्थान पर नकारात्मक ऊर्जा कम होने लगती है। अब तक हम लोग घर को दोबारा से बनवा नहीं सकते।
वास्तुशास्त्र में हमारे घर के निर्माण में होने वाली साक्षियों को वास्तुदोष कहा जाता है। वास्तु दोष का हमारे जीवन पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है। घर में या घर के बाहर कई तरह के वास्तु दोष पाए जाते हैं। वास्तु दोष से कई तरह के रोग और शोक उत्पन्न होते हैं।
ऐसे में यदि आपका घर तिकोना है, कार्नर का है, या फिर उसका अलाव दक्षिण दिशा में भी है। उन वास्तु दोषों को दूर करने के लिए घर के निर्माण में बड़े बदलाव किए जाते हैं।
पंचतत्वों का वास्तु से गहरा संबंध
घर की उत्तर-पूर्व (उत्तर पूर्व) कोने को ईशान कोण कहा जाता है कि जो जल (जल तत्व) तत्व को खो देता है। उत्तर-पश्चिम (उत्तर पश्चिम) दिशा को वायव्य कोण कहा जाता है कि जो वायु (वायु तत्व)तत्व को खो देता है। दक्षिण-पूर्व (दक्षिण पूर्व) दिशा को आग्नेय कोण कहा जाता है कि जो अग्नि (अग्नि तत्व) तत्व का प्रतिनिधित्व करता है। दक्षिण-पश्चिम (दक्षिण पश्चिम) दिशा को नैऋत्य कोण कहते हैं कहा जाता है कि जो पृथ्वी (पृथ्वी तत्व) तत्व को नष्ट कर देता है।
घर के समुद्र तट का जो स्थान होता है उसे ब्रह्म स्थान कहा जाता है जिसे आकाश तत्व माना जाता है। इस प्रकार से हमारा पूरा घर पंचतत्वों से मिलकर बना है और कष्ट पंचतत्वों से मिलाजुला शरीर भी बना है। बेहतर और खुशहाल जीवन जीने के लिए इन सभी दिशाओं का अनुपयोगी होना सबसे जरूरी है। इन दिशाओं के दोष दूर करने के लिए जानिए सरल से उपाय.
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अस्वीकरण: यहां चार्टर्ड सूचना सिर्फ अभ्यर्थियों और विद्वानों पर आधारित है। यहां यह जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह के सिद्धांत, जानकारी की पुष्टि नहीं होती है। किसी भी जानकारी या सिद्धांत को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।
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