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सावन प्रदोष व्रत 2023: सावन और प्रदोष व्रत दोनों ही शिव को बहुत प्रिय हैं। सावन का महीना 4 जुलाई से 31 अगस्त तक जारी। वैसे तो हर महीने की कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है।
हर माह में दो प्रदोष व्रत होते हैं लेकिन इस बार सावन में 4 प्रदोष व्रत का संयोग बन रहा है। आइए जानते हैं साल 2023 सावन में कब-कब है प्रदोष व्रत, उत्सव और महत्व
सावन 2023 चार प्रदोष व्रत (Sawan Pradosh Vrat 2023 Date)
- सावन का पहला व्रत – 14 जुलाई 2023
- सावन का दूसरा प्रदोष व्रत – 30 जुलाई 2023
- सावन का तीसरा प्रदोष व्रत – 13 अगस्त 2023
- सावन का चौथा प्रदोष व्रत – 28 अगस्त 2023
सावन शुक्र प्रदोष व्रत 2023 – 14 जुलाई 2023
सावन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 14 जुलाई 2023 को रात्रि 07:17 बजे प्रारंभ होगी और 15 जुलाई 2023 को रात्रि 08:32 मिनट पर समाप्त होगी।
- शिव पूजा का समय – रात्रि 07:21 – रात्रि 09:24
- अवधि – 2 घंटा 2 मिनट
सावन रविप्रदोष व्रत 2023 – 30 जुलाई 2023
सावन अधिकमास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 30 जुलाई 2023 को प्रातः 10.34 बजे प्रारंभ होगी और 31 जुलाई 2023 को प्रातः 07.26 मिनट पर समाप्त होगी. ये सावन अधिकमास का प्रदोष व्रत होगा, क्योंकि सावन में अधिकमास 18 जुलाई 2023 से 16 अगस्त 2023 तक रहेगा।
- शिव पूजा का समय – रात्रि 07:14 – रात्रि 09:19
- अवधि – 2 घंटा 6 मिनट
सावन रविप्रदोष व्रत 2023 – 13 अगस्त 2023
सावन अधिकमास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 13 अगस्त 2023 को प्रातः 08.19 बजे प्रारंभ होगी और 14 अगस्त 2023 को प्रातः 10.25 मिनट पर समाप्त होगी।
- शिव पूजा का समय – रात्रि 07.03 – रात्रि 09.12
- अवधि – 2 घंटा 9 मिनट
सावन सोम प्रदोष व्रत 202 – 28 अगस्त 2023
सावन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 28 अगस्त 2023 को अपराह्न 06:22 बजे प्रारंभ होगी और 29 अगस्त 2023 को अपराह्न 02:47 मिनट पर समाप्त होगी।
- शिव पूजा का समय – शाम 06:48 – रात्रि 09:02
- अवधि – 2 घंटा 14 मिनट
सावन में प्रदोष व्रत का महत्व
सावन में प्रदोष व्रत रखने वाले लोग शिव जी मेहरबान पर रहते हैं, व्रतियों को प्रदोष व्रत के प्रभाव से जीवन सुख, संत सुख, धन प्राप्ति और शत्रु-ग्रह बाधा से मुक्ति मिलती है। इस व्रत में शिव पूजा प्रदोष काल की होती है। प्रदोष काल सूर्य से लगभग 45 मिनट पहले शुरू होता है और 45 मिनट बाद तक मान्य होता है। धार्मिक मान्यता है कि प्रदोष काल में भगवान शिव कैलास पर मुद्रा में नृत्य करते हैं।
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