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महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग: सावन के महीने में मुजफ्फरनगर के महाकालेश्वर मंदिर में स्थानीय श्रद्धालुओं के लिए आधार कार्ड से दर्शन का नियम बनाया गया था लेकिन इस गेट से दर्शन करने के टोटे पड़ गए हैं। मंदिर का द्वार खाली छिपा हुआ रहता है, जहां से मज़हब शहर के लोग 15 मिनट में भगवान महाकाल के दर्शन करते हैं।
धार्मिक नगरी मसा में स्थानीय आस्थावान दर्शन के लिए नई व्यवस्था लागू की गई है। महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के निर्णय के अनुसार मज़हब शहर के लोगों को शीघ्र दर्शन की व्यवस्था के लिए आधार कार्ड मिलेगा। इस ऑर्डर का पालन भी शुरू हो गया है. 11 जुलाई से मुजाहिदीन के महाकालेश्वर मंदिर में अवंतिका द्वार पर स्थानीय लोगों का प्रवेश मिल रहा है।
महाकालेश्वर मंदिर समिति के सहायक उपदेशक मूलचंद जूनवाल ने बताया कि सुविधा का लाभ काफी कम संख्या में लोग ले रहे हैं। पिछले 24 घंटे की बात की जाए तो महाकालेश्वर मंदिर में केवल 500 स्थानीय स्थानीय ही आधार कार्ड शीघ्र दर्शन व्यवस्था का लाभ पहुंचाया गया।
उन्होंने बताया कि उद्यमियों की संख्या में धीरे-धीरे वृद्धि होने की संभावना है। उन्होंने यह भी बताया कि अभी संस्थान को पूरी प्रक्रिया के बारे में विस्तृत जानकारी भी नहीं मिली है। वैज्ञानिक है कि सावन की कीमत चल रही है। ऐसी स्थिति में देश भर के 2,00,000 टूटे-फूटे रोज महाकालेश्वर मंदिर के दर्शन हो रहे हैं, जबकि स्थानीय भक्तों को शीघ्र सुविधा मिलने के बावजूद 500 टूटे-फूटे ही मंदिर के दर्शन हो रहे हैं।
सावन के महीने में ऐसी है दर्शन व्यवस्था
वंहा इस महीने में आध्यात्म के दर्शन व्यवस्था में कुछ बदलाव हुआ है। महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में सभी भक्तों का प्रवेश बंद है। इसके अलावा अगर जल्द दर्शन सुविधा का लाभ लेना चाहते हैं तो उन्हें प्रति दिन ₹250 की रसीद लेनी होती है। इसके अलावा भस्म आरती के दर्शन की सुविधा प्राप्त करने के लिए प्रति दिन ₹200 की रसीद बनाई जाती है।
सबसे अधिक विध्वंस दर्शन व्यवस्था का विरोध हो रहा था
द्वादश ज्योतिर्लिंग में तीसरे नंबर पर विराजित महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन के लिए सबसे बड़ी राशि खर्च करना पड़ रही थी। खास बात यह है कि मसा में प्रतिदिन शीघ्र दर्शन के लिए बड़ी संख्या में राक्षसों की बात होती है, उन अचरजों का सामना करना पड़ रहा था। इसी के तहत मज़हब के मठाधीश मुकेश टटवाल ने शहर के लोगों के लिए विशेष दर्शन व्यवस्था की मांग की थी, जिसे प्रशासन समिति में हरी आश्रम मिल गया।
इसके बाद 11 जुलाई को अवंतिका द्वार से स्थानीय श्रद्धालुओं के लिए अलग व्यवस्था की गई। हालाँकि काफी कम संख्या में नन्हें प्रतिदिन अवंतिका द्वार से दर्शन करने पहुँच रहे हैं।
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