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हरियाणा समाचार: 2024 के चुनावओं में जीत के लिए बड़े जोर शोर से उद्योगपतियों ने कब्जा कर लिया है। इसके लिए बिजनेस हर राज्य के लिए अलग-अलग कर्मचारी कर रही है। बात पंजाब और हरियाणा की करें तो बीजेपी की यहां कुछ अलग कंपनियां ही नजर आ रही हैं। पंजाब में जहां एक तरह की बीजेपी अकादेमी दल से अलग अकेली ही चुनावी इच्छा रखती है। दूसरी तरफ बात अगर हरियाणा की करें तो यहां बीजेपी जेजेपी को साथ लेकर गठबंधन में चुनाव देखना चाहती है। आख़िर क्यों बन रही है ये पूरी रणनीति? पढ़ें हमारी ये खास रिपोर्ट…
पंजाब में खुद का जनाधार चाहती है बीजेपी
पंजाब में लगातार बीजेपी-अकाली दल गठबंधन की चर्चा बनी हुई है. लेकिन बीजेपी का साफा साफ तौर पर कहता है कि वो अकाकी दल से कोई गठबंधन नहीं करने वाली है. पंजाब भाजपा के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने अकाली दल से गठबंधन को लेकर स्पष्ट रूप से कहा कि उनकी पार्टी को अब ‘छोटे सहयोगी वाली धारणा’ को आगे बढ़ाना है। उसे अपनी लड़ाई खुद लड़नी है. सुनील जाखड़ ने कहा कि आइए हम इस संभावना को छोड़ें कि हम एक ‘जूनियर राजभवन’ हैं। हमें छोटे भाई वाली सोच को रखना होगा। लेकिन अंतिम भाजपा अकाकी दल से गठबंधन पर सहमति नहीं है।
एक बड़ी वजह समझी जाए तो बीजेपी कहीं ना कहीं पंजाब में अब अपने खुद का जनाधार इसे बनाना चाहती है। ताकि उसे हमेशा किसी की जरूरत न पड़े। क्योंकि भाजपा का अकाकी दल तक के साथ पंजाब में लंबे समय तक गठबंधन बना हुआ है। तो कहीं ना कहीं बीजेपी गठबंधन की वजह से अपनी खुद की साइट पंजाब में तैयार नहीं हो पाई है. दूसरा बड़ा कारण अकाली दल का साम्प्रदायिक गठबंधन भी है। अकाली दल ने गठबंधन किया है, ऐसे में बीजेपी कभी नहीं चाहती कि वो अकाली दल के साथ ले तो गठबंधन भी उसके साथ आ जाए. तीसरा बड़ा कारण ये है कि पंजाब में अकाडली दल बहुत सारे गुटों में अपना इंस्पेक्टर खोता जा रहा है। जिसका ताज़ा उदाहरण स्टॉकहोम में अकाकी दल के गठबंधन के बावजूद कोई कमाल नहीं दिख रहा है। मित्रता सभी कारणों से भाजपा अकादेमी दल से गठबंधन करने से कतरा रहा है।
जेजेपी की दूसरी पार्टी से गठबंधन का खतरा
दूसरी तरफ बात अगर हरियाणा की करें तो यहां बीजेपी-जेजेपी के साथ मिलकर करीब 4 साल से सरकार बना रही है। 2019 विधानसभा चुनाव के साथ बीजेपी के साथ वो हुआ जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की थी. इस विधानसभा चुनाव में उनके कई बड़े दिग्गज नेता हारे थे. उनके 6 मंत्री चुनाव हार गए थे. ऐसे में बीजेपी को 90 में से सिर्फ 41 दर्शक मिले. तो उसने जेजेपी के साथ गठबंधन किया. करीब 4 साल के गठबंधन को देखा जाए तो बीजेपी-जेजेपी के बीच ठीक ही लग रहा है। जेजेपी के नेता समर्थकों ने खुद अपने दम पर अपनी पार्टी की जमीन तैयार की है।
दादा दादी की पार्टी इनेलो से दूर अपनी पार्टी के लिए प्रोटोटाइप जमीन तैयार करना कोई आसान काम नहीं था। वो भी ऐसे समय में जब उनके पिता अजय देवगन जेल में थे। विडम्बना को एक दूरदर्शी बन्धु माना जाता है। हरियाणा सरकार ने अपनी सलाह पर कई मौके दिए-मशहूर के बाद ही कई बड़े फैसले लिए गए हैं। जेजेपी ने हरियाणा में अपना जनाधार भी बनाया है। जेजेपी को साथ लेकर चलने में बीजेपी को उनका जनाधार का फायदा मिलने वाला है। दूसरी बीजेपी जेजेपी के गठबंधन से अगर गठबंधन होता है तो कहीं भी ना उसे डर है कि जेजेपी किसी और पार्टी के साथ गठबंधन कर सकती है और फिर एक साथ जुड़ना मुश्किल हो जाएगा।
मोदी के भाषण से भी मिला संदेश
एनडीए की बैठक में पीएम मोदी ने कहा कि कोई भी दल छोटा या बड़ा नहीं होता. सभी को मिलकर काम करना है। हमारा ऑर्केस्ट्रा नेशन फर्स्ट, प्रोग्रेस फास्ट की है। उन्होंने कहा कि प्रतीकात्मकता का निर्माण सिर्फ सरकारी बनाने और सत्ता हासिल करने के लिए नहीं किया गया है, ना ही किसी के विरोध में विरोध किया गया है और ना ही किसी को सत्ता से हटाने के लिए बनाया गया है। बल्कि एनडीए का गठन देश की सत्ता में स्थिरता के लिए हुआ है।
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