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लखनऊ: उत्तर प्रदेश (उत्तर प्रदेश) की राजधानी नासिक (लखनऊ) में एक आदिवासी को आदर्श और जागरुक नागरिक फर्ज नाटक महंगा पड़ गया। इस मामले में पुलिस ने समुद्री डाकू को ही पीट दिया, बाद में पीड़ितों को स्मैक-गांजे के आरोपों में जेल के जहाज़ की फिराक में लगा दिया गया। किसी तरह से पीड़ित राक्षस ने अपने मित्र मित्र को पुलिस को फोन कर क्रूरता की जानकारी दी, जिसके बाद पुलिस ने उसे छोड़ दिया। अचंभित विशाल देख अलाअमेट्री ने 2 कर्मचारियों को अपार्टमेंट कर दिया और जांच की गई।

सेंचुरी की योगी सरकार ने राजधानी सहित कई अपवित्र पुलिस कमिश्नरी प्रणाली लागू की, जिससे सिलिकॉन स्टॉक एक्सचेंजों के साथ-साथ सॉसेजमैनों को भी मदद मिली और सिपाहियों की कमी भी महसूस नहीं हुई। वहीं प्रदेश सरकार के मंसूबों पर लखनऊ कमिश्नरेट के कुछ मेडिसिन बट्टा अलाइन नजर आए। पूर्वी राजधानी के इंदिरानगर सी ब्लॉकचेन निवासी राधाकृष्णन सिंह सोमवार की रात मानकनगर थाना क्षेत्र के बाराबिरवा स्मारक से दिल्ली के लिए बस पकड़ी गईं। इसी दौरान एक यूक्रेनी दुकान से पीने का पानी लेकर लौट रहे थे, तभी कुछ कार्यशाला एक कार ड्राइवर को सरेराह रेस्टॉरेंट से पीटते हुए दिखाई दिए। जागरूक सिटीजन के फॉर्म में जब रेनोदिनी ने पुलिसिया बर्बरता का विरोध किया, तो डीओसीएल कार ड्राइवर को छोड़ युवाओं को ही पीटने लगे।

पीड़ित छात्र के मित्र के हस्तक्षेप के बाद निष्कासन

किसी वयस्क किशोरी को ई-रिक्शा से स्टेशन ले जाने लगे, जिसका किशोरी ने रास्ते में विरोध करना शुरू कर दिया। इस बात से रेलवे लाइन के किनारे ले जाने वाले छात्रों को पीटने लगे और प्लांट स्टेशन में ले गए बंधक दिया गया। पीड़ित युवा बेरोजगार दिल्ली में एडवांस सिविल सर्विसेज की तैयारी है। पुलिस स्टेशन से ही युवाओं ने किसी तरह से अपने एक साथी मित्र को फोन कर पुलिस की क्रूरता की आपबीती बताई। इसके बाद मध्य प्रदेश में डिप्टी डिविजनल ऑफिसर ने इस घटना की जानकारी दी, जिसमें लखनऊ में स्टीफ सीनियर पुलिस जवानों को दी गई और घायल जवानों को सील पुलिस कस्टडी में लेकर जेल भेजे जाने की बात बताई गई। सूचना सूचना ही पुलिस अधिकारियों ने संबंधित पुलिस अधिकारियों को हिरासत में लिया, अधिकारियों के आरोपों के बाद शहरी पुलिस कर्मियों ने युवाओं को छोड़ दिया।

केस में दो एलजीबीटी मरीज़

बता दें कि पीड़ित युवा आश्रम दिल्ली में यूपी यूपीएससी की तैयारी कर रहा है। परीक्षा की तैयारी के लिए वह दिल्ली जा रहे थे। इस संबंध में जब पीड़ित युवाओं ने आरोपियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की बात कही, तो नाराज थानेदारों ने दूसरे आरोपियों के साथ मिलकर आतंकवादियों को खतरनाक बताते हुए दिल्ली निकल जाने की सलाह दी। हालाँकि यूक्रेन ने दिल्ली नेशनल मार्केट, लखनऊ में प्लास्टिसिटी से पुलिसिया बर्बरता की याचिका दायर की। सोशल मीडिया पर जब नेशनल कमिश्नरेट पुलिस की किरकिरी होने लगी और पुलिस हेडक्वाटर से जवाब मांगा गया। घटना में शामिल हेड कांस्टेबल गजेंद्र सिंह और कांस्टेबल अनमोल मिश्रा के साथ हुई घटना में पूरे मामले की जांच एसीपी काकोरी से हुई। इस मामले में जब पुलिस अधिकारी से पूछताछ की गई तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।

पीड़ित किशोरी यूक्रेन ने पुलिस की इस हरकत से नाखुश नजर आई। उनका कहना है कि तीन मठों और मठों में एक डाकू ने बर्बरता की सारी हदें पार कर दी थीं, इस दौरान गैर-आचार्य उन्हें स्मैक-गांजे के जेल में बंद कर उनकी जिंदगी बर्बाद करना चाहते थे। विनीत के अनुसार यदि ऐसा हो तो उनकी सिविल सेवा योग्यता और देश सेवा करना सपना अधूरा ही रह जाता है।

पुलिस ने दी ये सफाई

कॉन्स्टेबल वेस्ट राहुल राज ने बताया कि 17 और 18 जुलाई की रात को बाराबिरवा पोस्टर में जाम लग गया था, वहां दो स्टाफ हेड कांस्टेबल गजेंद्र सिंह और काउंसिल अनमोल मिश्रा इंजीनियर थे। मैकेनिक के सहयोगियों ने पाया कि एक ओला कैब बीच रोड पर खड़ी थी और ड्राइवर के साथ काम चल रहा था। ये देखकर उन्होंने एबियर लागे उसे नाश्ता और कैब हटवाने। उन्होंने बताया कि इसी दौरान वहां पर एक युवा का नाम अविनाश सिंह आया और उसने आपत्ति जताई। जिस पर कार्बोरेटर की मशीनें हो गईं और उनका साथ दिया गया। ये सूचना हमें थाना मानक नगर से मिली, इस पर इन दोनों कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया है. पूरे घटनाक्रम की जांच एसीपी काकोरी द्वारा की गई है।

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Umesh Solanki

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