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स्वयं चुना एकांत: कोविड महामारी के दौरान एक शब्द अलगाव हमारे जीवन का सिद्धांत बन गया है। कोरोना के दौरान खुद को सुरक्षित रखने के लिए वैयक्तिकरण जरूरी हो गया था लेकिन अब कुछ लोगों ने इसे अपने जीवन का हिस्सा बना लिया है। असल में भागदौड़ भरी जिंदगी में खुद को दूर कर मेंटल पीस पाने के लिए तेजी से सेल्फ वैकेशन की तरफ बढ़ोतरी हो रही है। लोग दस्तावेजों से बातचीत से बच रहे हैं। बाहरी कपड़े और लोगों से खुद को बचाने की कोशिश की जा रही है। ऐसा करने से लाभ आयुर्वेद की जगह नुकसानदेह साबित हो रहा है। ये एक बीमारी के रूप में उभरकर सामने आई है.आइए जानते हैं कैसे?
सेल्फ वॅडेबिलिटी क्या है?
तुलानी यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन के अनुसार सेल्फ जंगल में अकेले लॉन्ग टॉक तक साकेत, लोगों से कटने की कोशिश करना, चाकू से दूरी बनाना, खुद की पसंद से जीना शामिल है। कई बार ऐसा करना सही होता है, इससे आपकी प्रगति में बाधा नहीं आती है, लेकिन लंबे समय तक एकांत में रहने की क्षमता मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालती है। विशेषज्ञों का कहना है कि अक्सर लोग खुद को अलग-अलग करने की कोशिश करते हैं।
सेल्फ लाइसेंस का कारण जानें
1.तनाव और चिंता के प्रतीक चिन्हों को शब्दों से अलग होने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। लोग अपनी भावनाओं से स्थापित करने के प्रयास में, एक अलग दुनिया में रहना चाहते हैं। जिससे उनका मानसिक स्वास्थ्य और प्रभावित होता है क्योंकि वे खुद को सामाजिक संपर्कों से दूर कर लेते हैं।
2.किसी व्यक्ति के दर्द का अनुभव करना या किसी विशेष व्यक्ति को जानना, किसी की मानसिक स्थिति को बहुत प्रभावित कर सकता है। ऐसे में लोग खुद को आइसोलेट कर लेते हैं।
3.सोशल मीडिया के अत्यधिक उपयोग से बाहरी दुनिया में रुचि कम हो सकती है। इसलिए भी लोग खुद को आइसोलेट कर लेते हैं।
4.लंबे समय से प्रशिक्षण ले रहे लोग अक्सर खुद को बाहरी दुनिया से अलग-अलग तलाशते हैं। बातचीत और सामाजिक सहयोग में उनकी कम क्षमताएं शामिल होने से स्वाभाविक दूरी बनी रहती है, कभी-कभी बातचीत में उनकी आत्म-निहितता गहरी हो जाती है।
स्वयं छूट के नुकसान जान साथियों
- जो व्यक्ति अकेले रहते हैं उनमें समय के साथ चिड़चिड़ापन की भावना प्रबल हो सकती है। ऐसे लोग जब अपनी कंपनी के लिए नहीं जाते हैं तो उन्हें गुस्सा और चिड़चिड़ापन महसूस होता है। चिंता और अवसाद की भावनाएँ पैदा हो सकती हैं, जिससे उनका समग्र मानसिक स्वास्थ्य और ख़राब हो सकता है।
- बार-बार अकेले रहने से नींद में खलल पड़ सकता है, व्यक्ति एकांतवास से पीड़ित होते हैं। देर रात तक जागने से नींद की गुणवत्ता प्रभावित होती है, जिससे नींद की कमी के कारण उनका दिमाग थका हुआ रहता है।
- अकेले रहने वाले लोगों में पुराने स्वास्थ्य संबंधी खतरे अधिक हो सकते हैं। कम शारीरिक गतिविधि के कारण उनके समग्र स्वास्थ्य में गिरावट आ सकती है।
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