Spread the love

[ad_1]

छत्तीसगढ़ समाचार:छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) को धान का कटोरा कहा जाता है. राज्य में अधिकांश किसान धान की खेती पर ही प्रतिबंध है। पानी की कमी के कारण ज्यादातर किसान फसल (खरीफ) और रबी (रबी) फसल में धान की फसल लेते हैं, लेकिन पानी की कमी के कारण ज्यादातर किसान संपत्ति (खरीफ) और रबी (रबी) फसल में धान की फसल लेते हैं, लेकिन पानी की कमी के कारण ज्यादातर किसान संपत्ति (खरीफ) और रबी (रबी) फसल में धान की फसल लेते हैं, लेकिन पानी की कमी के कारण पानी की कमी नहीं होती है। इसमें भी शामिल है प्रति सेकंड 15 अनमोल की समानता। इसके कारण किसानों के पास भारी मात्रा में धान स्टॉक रहता है। जो किसान आस-पास खुली मंडियों या उद्यमों में किराने की दुकानों (एमएसपी) के ही नाम से 2 हजार रुपये प्रति उद्यमियों की बिक्री करते हैं।

इस धान को बड़ी-बड़ी कंपनियां और चावल मिलर्स प्रमुखता देते हैं, लेकिन अब गैर बासमती चावल को भारत में निर्यात करने पर सरकार ने रोक लगा दी है, तो इसका असर किसानों पर पड़ेगा। गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ. गजेन्द्र चन्द्राकर राज्य में बासमती धान का केवल 6 प्रतिशत उत्पादन होता है। लेकिन भारी मात्रा में गैर बासमती चावल का उत्पादन होता है। 2022 -23 में 65 लाख टन चावल बनता है और 15 से 20 लाख टन चावल का निर्यात होता है। इसके साथ ही एक अध्ययन के अनुसार किसान प्रति भिक्षु में 20 से 25 औद्योगिक उत्पाद कर लेते हैं और केवल सरकारी मंडियों में 15 से 10 मूल्यवान धान किसानों के पास बचते हैं। इससे किसानों की चिंता बढ़ गई है।

छत्तीसगढ़ में 10 लाख टन चावल फंसा
ये भी बता दें कि राज्य में 24 लाख से ज्यादा पंजीकृत किसान हैं जो सरकारी मंडियों में हैं। देश में चावल उत्पादन के मामले में छत्तीसगढ़ देश में सूची क्रमांक आता है। रायपुर के किसान पारसनाथ साहूकार के पास 40 एकड़ जमीन है। जहां वो खेती करते हैं. उन्होंने कहा कि पूरे देश के किसान आर्थिक संकट में हैं. जबकि किसान जीनोम की कानूनी वैधता की मांग नहीं की जा रही है। गैर बासमती चावल के स्वाद के साथ किसानों को एक कीमत मिलना लगा था। अब उन्हें नुकसान हो रहा है. छत्तीसगढ़ में लगभग 10 लाख टन चावल डूब गया है। ये चावल किसानों के पास हैं अब इसे कौन खरीदेगा। इससे किसानों को घाटा होगा. सामूहिक जारी रहने से किसानों को प्रति बकाया 2 हजार रुपये के करीब धान का नुकसान हुआ था।

बाज़ार में धान के दाम 200 रूपये तक का लाभ
वहीं गरियाबंद के किसान नेता तेजराम विद्रोही ने कहा कि हिंसा से किसानों को भारी आर्थिक क्षति हो सकती है. अब छत्तीसगढ़ के किसानों को 200 रुपये से अधिक का नुकसान हो रहा है। केंद्र सरकार से मांग कर रहे हैं कि सालभर में धान की खेती को पार्ट्नर या पार्टिसिपेंट पर वापस लेने पर रोक लगा दी जाए।

ये भी पढ़ें- छत्तीसगढ़: स्कूल के ऑर्केस्ट्रा में हुआ रेप, मंत्री कवासी लखमा ने दिए एक्शन के सिलसिलेवार निर्देश

[ad_2]

Source link

Umesh Solanki

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *