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जबलपुर (म.प्र.)

आदिवासी भूमिया जाति की बड़ा पत्थर रांझी जबलपुर म.प्र. स्थित भूमि व मकान भ्रष्टाचार के जरिए अवैध रूप से भू-माफिया व दलालों द्वारा कतिपय भू-राजस्व अधिकारियों की मदद से हड़पे जाने के षड़यंत्र हेतु फर्जी व कूटरचित दस्तावेजों के माध्यम से कलेक्टर कार्यालय जबलपुर म.प्र. के यहां से अवैध फर्जी अनुमति तैयार करवाने से पूर्व फर्जी व अवैध विक्रय पत्र तैयार करवाने वाले आरोपियों के विरुद्ध दण्डात्मक कार्यवाही हेतु व उक्त फर्जी दस्तावेज कलेक्टर कार्यालय जबलपुर म.प्र. से फर्जी विक्रयपत्र कर आदिवासी से धोखाधड़ी कर जमीन हड़पने निर्मित करवाने वाले आरोपियों और उक्त फर्जी विक्रय पत्र को वैधानिक बतलाने के लिए बाद में फर्जी अनुमति आदिवासी भूमि के विक्रय हेतु तैयार करवाने वाले आरोपियों के विरूद्ध कार्यवाही हेतु तथा उक्त आधारों पर आदिवासियों से जमीन का कब्जा गुंडागर्दी पूर्वक छीनने वाले आरोपियों के विरूद्ध कार्यवाही हेतु । आप महानुभाव से निम्नानुसार अनुरोध है

आदिवासी भूमिया जाति के धन्तु भूमिया के स्वर्गवास उपरांत कोई वही खसरा, वारिसों के नाम पर कलेक्टर कार्यालय में नहीं बना ।

स्व. बन्नू भुमिया के चारों वारिसों के नाम फौजी दर्ज करने की कार्यवाही नहीं हुई, क्रमशः चारों वारिसों पुत्र-पुत्रियों के नाम पर वही खसरा नहीं बने और स्व. धन्नू भूमिया की पत्नि जानकी बेवा पुत्र देवलाल भुमिया, लक्ष्मण भुमिया पुत्री दोजा बाई, बिलसा बाई के नाम वही खसरे में स्व. धन्नू की फौती दर्ज कर नहीं चढ़ाये गये जब कैसे बगैर फौती की कार्यवाही के विक्रयपत्र तैयार किया जाकर जबलपुर म.प्र. के पंजीयन कार्यालय में बगैर अनुमति के पंजीयन हेतु पेश हुआ और पंजीयन अधिकारी जबलपुर ने अवैधानिक रूप से लेकर पंजी में दर्ज कर लिया और उक्त अवैधानिकता करने के बावजूद पंजीयक जबलपुर और भू-माफियाओं और दलालों ने मिलकर आदिवासी भुमिया समुदाय की भूमि हड़पने हेतु कलेक्टर कार्यालय से रजिस्ट्री बैनामा को वैध दर्शाने हेतु अनुमति फर्जी ढंग से कलेक्टर कार्यालय से प्राप्त की है।

फर्जी रजिस्ट्री भी बड़ा पत्थर की न होकर सरोपीपल मार्ग की व और दालों ने बनवायी और सरोपीपल से दिड किलोमीटर दूर स्थित भूमिया समुदाय की भूमि पर बलपूर्वक कूटरचित दस्तावेजों विक्रय पत्र फर्जी कलेक्टर जनु पर बनवाकर स्व. धन्तु भूमिया के वारसानों के कब्जे हटाने भूमाफिया और दलाल द्वारा निरंतर अत्याचार और मारपीट तथा गुडागर्दी की जा रही है। क्योंकि फर्जी नामा अनुमति के बावजूद भी बड़ा पत्थर स्थित आदिवासी भूमिया समुदाय के सदस्यों से भूमाफिया और दलाल वर्ष 1965 से लेकर आजतक प्राप्त नहीं कर पाये हैं और निरंतर गुण्डागर्दी, अत्याचार, कब्जा आदिवासी भूमिया समाज के लोगों से छीनने का प्रयास कर रहे हैं और सर्रा पीपल वाली रजिस्ट्री बैनामा चौहद्दी भिन्न होने वाली बात जानने के बावजूद भी डेढ़ किलोमीटर दूर स्थित बड़ा पत्थर स्थित आदिवासी भूमि की भूमाफिया दलाल सरपीपल फर्जी रजिस्ट्री के आधार पर छीनना चाह रहे हैं जिसका आदिवासी समाज के लोग विरोध भी कर रहे हैं। क्योंकि भू-माफिया दलाल सर्रापीपल मार्ग की जगह वाली भूमि पर कब्जा न कर अवैध ढंग से सरांपीपल की रजिस्ट्री के आधार पर बड़ा पत्थर स्थित आदिवासी स्व धन्नू भूमिया के वारसानों पर अवैध कब्जा करने तथा मारपीट के अत्याचार कर रहे हैं जिसके संबंध में प्रशासन को शिकायतें एवं पत्र भेज रहे हैं। लेकिन अष्टाचार के वसीभूत होकर भूमाफियाओं और दलालों के चुंगल से कुछ कतिपय राजस्व अधिकारी न तो उपरोक्तानुसार सर्रापीपल और बड़ा पत्थर की भूमियों का न्यायोचित सीमांकन करवा रहे हैं और न ही फर्जी रजिस्ट्री बैनामा पंजीयक कार्यालय जबलपुर में दर्जगी उपरांत कलेक्टर कार्यालय जबलपुर म.प्र. से बनी आदिवासी भूमि विक्रय हेतु फर्जी तौर पर बनी अनुमति पत्र के विरूद्ध कानूनी कार्यवाही कर रहे हैं ।

स्व. धन्नू भूमिया की संतानों में से लक्ष्मण भूमिया, देवलाल भूमिया, बिलसा बाई भूमिया, दोजा बाई भूमिया का स्वर्गवास हो चुका है। जिसके बारिस में तो बाई भूमिया एवं तुलाराम भुमिया वारसाना कब्जे व भौतिक अधिपत्य में मकान व जमीन पर अन्य किरायेदारों के साथ में हैं जिन्होंने पूर्व में भी उपरोक्तानुसार आपत्तियां व शिकायते दी लेकिन आदिवासी भूमिया समाज के लोगों की आवाज सुनी नहीं जा रही है और भू-माफिया दलालों के फर्जी विक्रयपत्रों व फर्जी अनुमति तैयार कर आदिवासियों की जमीने हड़पने में लगे हैं।

भू-माफिया दलालों के नाम धनंजय राय, आजाद कुमार जैन, संदीप कुमार जैन – सुधारानी जैन, शिखरचंद्र जैन है और शिखरचंद्र जैन व अजाद कुमार जैन सभी निवास रांझी, जबलपुर द्वारा आदिवासी भूमि का बगैर अनुमती विक्रय पत्र तैयार करवाना

कार्यालय जबलपुर पंजीयन करवाया और बाद में अवैध कार्य करते हुए फर्जी तौर पर कलेक्टर अनुमति पत्र बनाया।

उपरोक्त भूमाफिया दलालों की परस्पर मिलीभगत कर आर.आई. पटवारी ने गुमराह करके धनंजय राय, कचरा बाई नामदेव अन्य की रजिस्ट्री बैनामा वर्णित जानकारी की आ गए थे ना को जानते की धनंजय राय सुधारानी जैन गलत ब्यौरा पेश कर भू माफियागिरी व दलाली करने व बलपूर्वक कब्जा कर भू-माफिया आदिवासियों की जमीन हड़पने में लगे हैं. उचित रूप से सीमांकन व अन्य कार्यवाही नहीं की ताकि भूमाफिया और दलालों को अनुचित लाभ मिल सके ।

जब की कानूनन विधि अनुसार प्रक्रिया मुताबिक आदिवासी समुदाय की भूमि के विक्रय से पूर्व कलेक्टर जबलपुर द्वारा अनुमति प्रदान की जाती है तदुपरांत विक्रय पत्र पंजीकरण हेतु पंजीयक जबलपुर द्वारा पंजीयन हेतु या दर्ज किया जाता है एवं विक्रय पत्र विलेख में पूर्व विक्रय अनुमति पत्र प्राप्त होने संबंधी जानकारी आदेश का उल्लंघन शुमार होने पर पंजीयक जबलपुर मध्य प्रदेश कलेक्टर भू माफिया दलाल आदिवासी भूमि को कुछ रजिस्ट्री बैनामा में स्वयं की पैतृक भूमि होना दर्शाते हैं और कभी पारिवारिक बंटवारे में मिली होना दर्शाते हैं || और दिनांक 05/05/1995 की रजिस्ट्री बैनामा खसरे में खसरा नंबर 39/3, 44, 45 की भूमि की चौहद्दी नक्शा दर्शित ना हो गायब है । धनंजय राय की रजिस्ट्री बेनामी की एसडीएम महोदय रांझी द्वारा सीमांकन व चौहद्दी के संबंध में जानबूझकर जांच आदेश जारी नहीं किया जा रहा है क्योंकि भूमि घोटाला और भ्रष्टाचार को छुपाया जा रहा है ताकि भूमाफिया दलालों को अनुचित नाम फर्जी कार्यों से निरंतर मिल सके और आदिवासी लोग भीम भूमिहीन हो जाएं बेघर हो जाए जबकि नियमानुसार भूमिहीन भूमि है अथवा बेघर तो नहीं हो जाएगा जबकि कलेक्टर अनुमति में भी ऐसा कुछ भी नहीं देखा जाना प्रगट है। आदिवासी भूमि को हड़पने की साजिश प्रकट है ।

अनुमति आदमी देखने के बाद ही विक्रय लिथगो पंजीयन हेतु स्वीकार करना लेकिन उल्टी कार्यवाही करते हुए पहले विक्रय पत्र विलेख पंजीकरण दर्ज की हो जाना एवं बाद में कलेक्टर अनुमति होना वह पंचायत द्वारा अवैधता वाह उल्लंघन को छुपाने हेतु विक्रय पत्र बाद में अनुमति की जिक्र भूलेख कराने भूमाफिया और दलालों को अनुमति देना भ्रष्टाचार और नियम उल्लंघन का स्पष्ट प्रमाण है। साथ ही विक्रय पत्र पंजीयन हेतु दर्जी हेतु पंजियन जबलपुर कार्यालय स्वीकार कर दर्ज किए जाने पर बाद में कलेक्टर कार्यालय जबलपुर मध्य प्रदेश द्वारा विक्रय विलेख दर्ज होने के बाद दीया जाना भ्रष्टाचार का परिचायक है और पूर्व विक्रय पत्र बिना अनुमति के बावजूद पंजीयन द्वारा दर्ज करने ।

दिनांक बाद कलेक्टर अनुमति जारी होने के पश्चात को भ्रष्टाचार से बचाने के लिए कलेक्टर कार्यालय द्वारा भ्रष्टाचार करने की श्रेणी में आता है ।
दिनांक 05/05/1965 की रजिस्ट्री बैनामा आदिवासी भूमि का विक्रय पत्र पंजीयन हो गया और दिनांक 23/07/1965 अनुमति कलेक्टर कार्यालय जबलपुर द्वारा देकर दिनांक 05/05/1965 की पंजीयक की व भू-माफियाओं और दलालों को अवैधानिक कार्यवाहियों को वैध बनाने हेतु अष्टाचार किया व भूमाफिया व दलालों को अनुचित लाभ पहुंचाया जो परस्पर मिलीभगत और भ्रष्टाचार प्रकट करता है जबकि आदिवासी समुदाय से अवैध रूप से जमीन हड़पी जा रही और रोक लगाने के बजाय भू-माफिया और दलालों की अवैध रूप से विधि विरुद्ध मदद प्रशासन व कलेक्टर कार्यालय जबलपुर द्वारा की जा रही है। इन भू-माफियाओं को राजनैतिक व न्यायिक संरक्षण प्राप्त है। अतः आपसे अनुरोध है कि उचित जांच हेतु आदेश निर्देश उपरोक्त अनुसार अवैध कृत्यों के संबंध में जारी की जावे भू-माफियाओं से आदिवासी समूह को न्याय दिलाया जाए और भूमाफिया के चुंगल से मुक्त कराया जाए तथा इनके ऊपर दण्डात्मक कार्यवाही कर
आदिवासी को न्याय दिलाया जाये ।

उक्त गरीब आदिवासी महिला की आवाज को राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन नई दिल्ली के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेश पटेल ने उठाई है

Umesh Solanki

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