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Akbar Birbal Ke Kisse in Hindi: बीरबल राजा अकबर के दरबार का वजीर था और उन्हें बहुत खास भी था. अकबर सभी कार्यों में बीरबल की सलाह जरूर लेते थे. क्योंकि बीरबल चतुर, बुद्धिमान और हाजिर जवाब था. बीरबल की चतुराई और उसकी कीर्ति न केवल पूरे राज्य और देश बल्कि दूसरे देशों में भी फैली थी.
अकबर बीरबल के किस्से: दूज का चांद
एक बार बीरबल की चतुराई और बुद्धिमानी के बारे में ईरान के बादशाह को पता चला. बादशाह ने अकबर के पास संदेश भेजा, जिसमें लिखा था कि, आप अपने वजीर बीरबल को कुछ दिनों के लिए हमारे दरबार में भेजने की कृपा करें. इसके बाद अबकर ने बीरबल को ईरान के बादशाह के पास भेजा. साथ ही अकबर ने बादशाह के लिए बीरबल से कीमती वस्त्र, आभूषण आदि भेंट स्वरूप भिजवाए.
बीरबल पहुंचे ईरान
बीरबल ईरान पहुंच गए और ईरान की सीमा पर उसका भव्य स्वागत किया गया. अगले दिन बीरबल ईरान के बादशाह के दरबार में हाजिर हुए. बादशाह ने भी बीरबल के स्वागत में कोई कमी नहीं रखी और उसने अकबर द्वारा भेजे गए भेंट के लिए धन्यवाद व कृतज्ञता प्रकट की.
बीरबल ने अकबर को कहा दूज का चांद
बीरबल कुछ दिन ईरान में रहे और उन्होंने बादशाह को राजनीति के कुछ रस-रहस्य समझाएं. ईरान के बादशाह भी बीरबल के हर राय से सहमत हुए. इस तरह से अबप बीरबल के वापस भारत लौटने का समय आ गया. बादशाह ने अपने सभी दरबारियों और बीरबल के साथ आए दरबारियों के बीच विदाई के समय बीरबल से सवाल किया कि, आपके राजा अकबर और मेरे बीच आप कैसे तुलना करते हैं? बीरबल ने जवाब दिया, हमारे राजा अकबर दूज के चांद की तरह हैं और आप पूनम के चंद्रमा से सुंदर सुशील.
दरबारियों ने अकबर से कर दी बीरबल की शिकायत
बस फिर क्या था बीरबल के साथ आए अकबर के दरबारियों को मौका मिल गया. वह आपस में ही इस बात को लेकर खुसर-फुसर करने लगे कि, बीरबल तो ईरान के बादशाह के स्वागत सरकार के आगे अपने राजा अकबर को भी नीचा दिखा दिया. उसने ईरान के बादशाह को पूनम का चांद बताया और अपने राजा अकबर को दूज का चांद कहा. दरबारी ने एक दूसरे से कहा कि, बीरबल ने हमारे राजा को दूज का चांद कहकर छोटा बताया है, हमें राजा अकबर से इसकी शिकायत करनी चाहिए.
ईरान से हिंदुस्तान पहुंचे बीरबल
बीरबल ईरान से वापस आ गए और अकबर के दरबार पहुंचे. अकबर ने भी बीरबल से उसका हालचाल पूछा. अकबर ने कहा, बीरबल तुमने हमारे दरबार की शोभा ईरान तक फैलाई इसकी हमें बहुत खुशी है. लेकिन बीरबल के साथ गए दरबारियों ने पूनम के चांद और दूज के चांद वाली बात राजा अकबर को बता दी थी, जिससे अकबर बहुत नाराज थे.
अकबर ने बीरबल से पूछा, तुमने मेरी तुलना पूनम के चांद से क्यों नहीं की. तुमने ईरान के राजा को पूनम का चांद कहा और मुझे दूज का चांद. इसके बाद बीरबल को सारा माजरा समझ में आ गया कि दरबारियों ने राजा को चुगली की है.
पूनम या दूज कौन सा चांद है श्रेष्ठ
बीरबल ने कहा, हुजूर! आप दूज के चांद की तरह हमेशा अपने पराक्रम, कीर्ति और साम्राज्य कोई दिन दूना रात चौगुना बढ़ा रहे हैं. इसलिए मैंने आपकी तारीफ में दूज के चांद की उपाधि दी. ईरान के बादशाह को पूनम का चांद इसलिए कहा, क्योंकि पूनम का चांद तो हर रोज घटता और सिमटता जाता है. वहीं अमावस की रात तो वह बिल्कुल भी नहीं दिखता. इस तरह से आपको दूज का चांद बताकर मैंने आपकी महानता का बखान किया. दूज का चांद सबको प्रिय होता है और सभी उसका दीदार करते हैं.
वहीं पूनम का चांद तो सिर्फ एक दिन ही चमकता है और दूज का चांद पूरे पखवाड़े तक चमकता है. अब आप खुद ही फैसला करें कि, दूज का चांद श्रेष्ठ है या पूनम का चांद. अकबर ने कहा, हां दूज का चांद. एक बार फिर से बीरबल की बात सुनकर अकबर बहुत खुश हुए. इसके बाद अकबर ने अपने चुगलखोर दरबारियों की जमकर खबर ली.
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