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मुलचेरा महासुल अंतर्गत शांतिग्राम के सर्व क्रम 11 व 19 वर्ग 2 जमीन 2016/17 में कब्जा धारी ग्रां प सदस्य विकाश आदित्यनाथ घरामी से कब्जा मुफ्त कर जमीन कबिलकस्थ किया गया। बोगस कागजात तैयार कर मौजूदा लगाम तलाठी के द्वारा शासन का दिशाभूल कर विकाश घरामी के द्वारा जमीन कब्जा किया एवं वर्ग 2 की जमीन बिना फेरफाड़ पंजी में दर्ज किए तलाठी के द्वारा विकाश आदित्यनाथ घरामी के नाम 7/12 भी दे दी जाती हैं।।केवल जमीन विकाश के ही नाम नही 2011/12 में तलाठी के द्वारा विकाश आदित्यनाथ घरामी के बड़े भाई सुरेश आदित्यनाथ घरामी के 7/12 देकर शासन से वर्ग 2 की जमीन पर दुष्कर के नाम रक्कम अपने बैंक खाते में ली जाती हैं।तकरीबन 13 हजार रुपए। तलाठी की कारनामे यही नहीं रुकती 2013 में सुरेश आदित्यनाथ घरामी के नाम कटकर बिना फेरफार पंजिन्मे दर्ज कराए विकाश आदित्यनाथ घरामी के नाम 7/12 तयार की जाती हैं।कमाल देखिए।2016/17 में जमीन सरकार जमा होने के बाद 2017/18तक जमीन कब्जा खाली रहती हैं।लेकिन ग्रां प सदस्य होते हुए विकाश आदित्यनाथ घरामी के द्वारा ग्राम पंचायत शांतिग्राम के ग्राम सभा में जनता को ना जानकारी देते हुए ठराव मंजूर कर सर्वे क्रम 11 व 19 कबिस्कस्त जमीन दी जाने की थावे मंजूर करते हैं। शासन का दिशाभूल कर।कबकिंकिसी भी जमीन ग्राम पंचायत को अधिकारी नही किसी को देने की ठराव मंजूर करे। कमाल का खेल तो तब हो गई। दुबारा 2019 में मौजूदा तलाठी के द्वारा विकाश आदित्यनाथ घरामी से मित्रता निभाते हुए महसूल मुलचेरा से कबिलकास्थ जमीन को विकाश घरामी के नाम चालान बना दी गई। और फिर तलाठी के मौजूदगी में कामों पर कब्जा कर खुलेआम शासन का नियमो का धज्जियां उड़ाते फसल को ईपिक ऑनलाइन खुदके मो नां से करते हैं। वैसा होना केवल गदचिरोली जिले में संभव हैं। कारण गदचिरोली जिले के मुलचेरा महसूल में खुलेआम सरकारी जमीनों पर कब्जा से पहले अतिक्रम के पुराने कागजात बन जाते हैं। फिर कब्जा कर लिया जाता हैं।अधिनियम के मुताबिक 2005 में अतिक्रमण नोंद बंद क्यों ना हो गई हो। केवल यहां तलाठी का साथ हो कोई भी जमीन का 7/12 में खुदका नाम चढ़ाना बिलकुल आसान। अधिकारी भी यहां भ्रष्ट तलाठी को कमाई देने वाली सबसे ज्यादा जिम्मेदारी तलाठी कार्यालय इन्ही को पिछले 14 साल से दे रखी हैं।। जहा विराजमान होकर तलाठी अपनों कारगुजारी खुलेआम कर शासन का नुकसान पे नुकसान कर रहे हैं।और अधिकारी नाक में तेल डालकर कुंभकर्ण की नींद में हैं।

गदचिरोली से ज्ञानेंद्र विश्वास

संजय रामटेके ( सह संपादक )

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