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राजस्थान के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) उमेश मिश्रा ने सोमवार को कहा कि नासिर-जुनैद हत्याकांड की जांच में मोनू मानेसर की प्रत्यक्ष संलिप्तता नहीं पाई गई है. हालांकि, राजस्थान पुलिस ने इस मामले में उसे ‘क्लीन चिट’ नहीं दी है और डीजीपी ने कहा कि अपराध की पृष्ठभूमि में उसकी भूमिका की जांच चल रही है.
डीजीपी मिश्रा ने सोमवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘जो लोग घटना में सीधे तौर पर शामिल थे… मौके पर मौजूद थे …उनमें वो (मोनू) नहीं है… दूसरा .. उसकी पृष्ठभूमि की जांच जारी है.’’
उन्होंने कहा कि वह मामले की जांच में सहयोग के मुद्दे पर हरियाणा पुलिस पर आरोप नहीं लगाना चाहेंगे क्योंकि मुख्य मुद्दा खुफिया सूचना (इंटेलिजेंस) से जुड़ा है.
मिश्रा ने कहा,‘‘हम यह नहीं कह सकते कि हरियाणा पुलिस कितना सहयोग कर रही है या नहीं कर रही. कई चीजें सार्वजनिक तौर पर नहीं कही जा सकती; लेकिन वह (मोनू) अभी तक हमारे सामने नहीं आया है, उपस्थित नहीं हुआ है. बाकी अपराधियों के बारे में हमने हरियाणा पुलिस से आग्रह किया है.’’
उन्होंने कहा,‘‘ मैं हरियाणा पुलिस पर कोई भी आरोप नहीं लगाना चाहूंगा. हमारा पेशेवर रुख है. हम उनसे मदद मांगते हैं… इसमें मुख्य मुद्दा खुफिया सूचना का है. अगर यह होगा तो वह पकड़ा जाएगा.’’
राजस्थान पुलिस की ओर से सोमवार रात ‘एक्स’ पर लिखा गया,‘‘यह स्पष्ट किया जाता है कि नासिर-जुनैद हत्याकांड में पुलिस महानिदेशक और राजस्थान पुलिस ने मोनू मानेसर को कोई क्लीन चिट नहीं दी है.’’ इसके अनुसार,‘‘मोनू इस मामले की प्राथमिकी (एफआईआर) में आरोपी के रूप में शामिल है. साजिश रचने और जघन्य अपराध को ‘उकसाने’ में उनकी भूमिका की जांच चल रही है.’’
भरतपुर के जुनैद (35) और नासिर (27) के जले हुए शव 16 फरवरी को हरियाणा के भिवानी जिले में एक वाहन के अंदर पाए गए थे. परिजनों का आरोप था कि इन दोनों का बजरंग दल के सदस्यों द्वारा अपहरण कर, उनके साथ मारपीट के बाद उनकी हत्या कर दी गई थी.
हालांकि संगठन ने इस आरोप को खारिज किया. एफएसएल रिपोर्ट ने पुष्टि की है कि जले हुए शव जुनैद और नासिर के थे और जिस वाहन से उनका अपहरण किया गया था उसमें मिले खून के धब्बे भी मेल खाते थे. प्राथमिकी में मोनू मानेसर समेत कुल 21 आरोपियों को नामजद किया गया है.
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