पिछले 10 सालों से महंगाई की मार झेल रही जनता को सरकार ने गैस सिलेंडर के दामों में 200 रुपए की गिरावट का तोहफा दिया है और यह दावा कर रही है कि करोड़ों परिवारों को इससे लाभ होगा,
photo Courtesy : PTI
Daily-Khabar / महंगाई के इस दौर में जब जनता की आवाज़ मुखर होकर सत्ता पक्ष के कानों तक पहुंच रही है यहां हम यह नहीं कह रहे हैं सत्ता धारी दल अपने कान खोल लिए हैं और जनता की आवाज सुनने लग गए हैं बल्कि जनता की बगावत इतनी ज्यादा बढ़ चुकी है कि अब यह लोग उसे अनसुनी नहीं कर पा रहे हैं, उन्हें इन आवाजों में सत्ता परिवर्तन का इशारा दिखाई देने लगा है, इन्हें लगने लगा है कि अब जनता ने मुखौटे के छिपे चेहरे और तस्वीरें पहचान शुरू कर दी है।
मुखोटों के पीछे से उस वक्त की तस्वीर भी सामने निकल कर आई जब देश में यूपीए की सरकार थी, और मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे। तब घरेलू गैस सिलेंडर 450 रुपए की कीमत में मिला करता था और 150 रुपए बढ़ जाने पर मौजूदा केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी सड़क पर सिलेंडर लेकर बैठ गई थी ।
photo Courtesy : @rishibgree Twitter
मौजूदा केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने डॉक्टर मनमोहन सिंह को चूड़ियां भिजवाई थी वैसे तो चूड़ियां कमजोरी या गलत नीतियों की निशानी होती है लेकिन स्मृति ईरानी के मन में मंशा क्या थी यह वही जाने ।
अब जब चुनाव की तारीख आने वाली है तो केंद्र सरकार ने सिलेंडर की कीमतों पर ₹200 कम कर दिए हैं इसके बाद यह लाइन सोशल मीडिया पर दौड़ रही है ” 100 महीने की लूट आखिर के 100 दिन में रत्ती भर छूट ” हालांकि सरकार इसे महिलाओं के लिए रक्षाबंधन का तोहफा बता रही है
अब केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और तमाम मंत्रियों से एक ही सवाल है 1150 रुपए अंदर के सिलिल्डर 200 रुपए कम कर देना क्या जनता के साथ खोल तौर पर धोखेबाजी नहीं है ? या अपनी सरकार के खिलाफ भी बोलने की ताकत इन मंत्रियों में है या फिर स्मृति ईरानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी कुछ भिजवाने वाली है।
फिलहाल आपको बता दें की रक्षाबंधन के पहले मंगलवार को प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार ने सिलेंडर के दामों में 200 रुपए की कटौती करने का निर्णय लिया है।
सिलेंडर में 200 रुपए की कीमत में कमी होने के बाद अब वर्तमान में सिलेंडर की क्या कीमत है। ० दिल्ली में अब 903 रुपए पहले 1103 ० मुम्बई में अब 902 रुपए पहले 1102 ० कोलकाता में अब 929 रुपए पहले 1129 ० चेन्नई में अब 918 रुपए पहले 1118 ० भोपाल में अब 908 रुपए पहले 1108
सिलेंडर के दामों में की गई इस कटौती को लेकर जहां एक और सरकार बड़ी राहत का दावा कर रही है वहीं दूसरी ओर इस कदम के सियासी मायने पढ़ने की कोशिश की जा रही है।
देश में महंगाई की मार और महंगे गैस सिलेंडर को लेकर विपक्ष पिछले काफी समय से सरकार को घेरता रहा है अब सिलेंडर के दाम बढ़ने शुरू हुई तो विपक्ष की ओर से इस पर सवाल खड़ा करने पर सत्ता दल की ओर से दलील दी जाती है कि विपक्षी दल अपनी सरकार वाले राज्यों में इस पर सब्सिडी क्यों नहीं देते।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार के फैसले पर इसे घेरने की कोशिश की उन्होंने ट्वीट में लिखा “जब वोट लगे घटने तो चुनावी तोहफे लगे बटने ” जनता की गाड़ी कमाई लूटने वाली मोदी सरकार अब माता बहनों से दिखावटी सद्भावना जता रही है खड़गे ने आगे लिखा कि साढ़े 9 सालों तक400 रुपए का एलपीजी सिलेंडर1100 रुपए में बेचकर आम आदमी की जिंदगी तबाह करते रहे तब कोई स्नेहा भेंट की याद नहीं आई भाजपा सरकार यह जान ले की 140 करोड़ भारतीयों को साढे 9 साल तड़पाने के बाद “चुनावी लाली पाप” नहीं धुलेंगे।
आपको बता दे कि कर्नाटक में भाजपा की हार के पीछे एक कारण गैस सिलेंडर की कीमतों के चलते महिलाओं में नाराजगी भी वजह निकलकर सामने आई थी । राजस्थान में गहलोत सरकार इंदिरा गांधी गैस सब्सिडी योजना के तहत इस साल अप्रैल से 500 रुपए में सिलेंडर दे रही है तो वही हाल ही में मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार ने सावन के महीने में 450 रुपए में गैस सिलेंडर देने का ऐलान किया। हाल ही में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दावा किया था कि देश में सबसे सस्ता गैस सिलेंडर देने वाला एकमात्र राज्य राजस्थान है जहां 500 रुपए में सिलेंडर मिल रहा है।
मौजूदा सरकार द्वारा एलजी के दाम घटाने के के बाद आम आदमी के गैस सिलेंडर में 200 रुपए की कटौती हुई है। वही उज्ज्वला योजना वाले गैस सिलेंडर में 400 रुपए की कटौती हुई है। इसके बाद आम आदमी के लिए गैस सिलेंडर की कीमत 903 रुपए और उज्ज्वला योजना वालों के लिए गैस सिलेंडर की कीमत 703 रुपए हो गई है।
मीडिया में आ रही रिपोर्ट के मुताबिक एनडीए -1 के शासनकाल में प्रति गैस सिलेंडर पर 414 रुपए की सब्सिडी थी इसके अलावा बिना सब्सिडी वाले गैस सिलेंडर की कीमत 928.50 रुपए थी । वही यूपीए -1 में 241.60 रुपए प्रति सिलेंडर सब्सिडी थी।
गैस सिलेंडर के दाम कैसे तय होते हैं ? दरअसल एक 42.2 किलो गैस सिलेंडर में 90% कीमत एलपीजी की होती है, बाकी अन्य की कीमतें जुड़कर फिर पूरे सिलेंडर का रिटेल प्राइज़ तय होता है। सबसे पहले एलपीजी की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार तय करता है फिर भारत में आने के बाद बाकी की कीमतें इसमें जुड़ जाती है जैसे डीलर का कमीशन जीएसटी आदि इसमें जुड़ता जाता है एलजी की कीमत जोड़ने का एक फार्मूला होता है जैसे हम “इंपोर्ट पैरिर्टी प्राइज़” यानी आईपीपी कहते हैं।
आईपीपी में सबसे पहले सऊदी अरब की सऊदी अरामको तेल और गैस कंपनी की कीमत जुड़ती है सऊदी अरामको अगर गैस का दाम बढ़ाना घटना चाहता है तो उसका असर भारत के एलपीजी की कीमत पर पड़ेगा। एलपीजी गैस सऊदी अरामको यह से ही आयात की जाती है।
इसकी कीमत के अलावा इसमें फ्री ऑन बोर्ड कीमत जोड़ी जाती है फ्री ऑन बोर्ड एक तरह का भाड़ा है जो गैस खरीदने वाले को भरना होता है यह भाड़ा दरअसल गैस को कंपनी से बंदरगाह पर खड़े जहाज तक लाने के लिए वसूला जाता है।
इसके बाद एलपीजी में समुद्र के जहाज द्वारा गैस को लाने का भाड़ा पोर्ट के चार्जेज होते हैं आयात करने के लिए कस्टम ड्यूटी देनी होती है जो सारी कीमतें जुड़ने के बाद गैस सऊदी से भारत के बंदरगाह पर पहुंचती है।
इसके बाद इस कीमत में देश में आने वाले शुल्क जोड़े जाते हैं जैसे लोकल फ्रेट – इसमें बंदरगाह से लेकर आपके घर तक सिलेंडर पहुंचाने के अलग-अलग चार्जेज शामिल हैं। फिर बॉटलिंग के चार्जेज यानी एलपीजी को सिलेंडर में भरना मार्केटिंग की कीमत डीलर का कमीशन जीएसटी आदि चार्ज लगाकर 42.2 किलो के सिलेंडर की कीमत तय हो जाती है।
इंपोर्ट पैरिर्टी प्राइज़ में जो जो शुल्क शामिल है इन सभी शुल्कों का भुगतान डॉलर में किया जाता है जाहिर है अगर डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर हो रहा है तो एलपीजी की कीमत महंगी पड़ेगी यही रुपया मजबूत मतलब कीमतों में थोड़ी राहत।
डॉलर के मुकाबले रुपया का कमजोर होना मतलब 1 डालर से ज्यादा रुपए देना और सस्ता मतलब बिल्कुल इसका उलट मान लीजिए एक डॉलर 70 रुपए का है अगर एक डॉलर के मुकाबले रुपया 70 से घटकर 60 रुपए हो जाएगा तो रुपए को मजबूत माना जाएगा यही एक डॉलर के मुकाबले रुपया 70 से बढ़कर 80 हो जाएगा तो रुपया कमजोर माना जाएगा। बता दे एलपीजी का दाम हर महीने की एक तारीख को बदलता है ऐसा जरूरी नहीं है अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत में महीने के बीच में उतार चढ़ाव हो जाए तो एलपीजी का दाम भी उसी के अनुसार घटाया बढ़ाया जा सकता है।
भारत में हर राज्य में एलपीजी की कीमतें अलग-अलग है क्योंकि राज्य में फ्रेट से लेकर अन्य शुल्क में अंतर है।
सिलेंडर का दाम बढ़ाना राजनीतिक मुद्दा कैसे ? दरअसल हमारे समाज और घरों में कुछ चीज ऐसी होती हैं जो महंगाई की सूचक होती है, “जैसे गैस सिलेंडर”
गैस सिलेंडर के दाम ऊपर नीचे होने से यह तय हो जाता है कि देश के परिवारों की जेब पर कितना असर पड़ रहा है यही कारण है कि मौजूदा सरकार गैस सिलेंडर के दामों को लेकर हर वक्त कटघरे में खड़ी रहती है क्योंकि एनडीए की मौजूदा सरकार में सिलेंडर 1000 रुपए पार कर गया है जो हमारे देश की औसत पारिवारिक आय के लिए मुनासिब नहीं।
अब यह महंगाई मौजूदा सरकार को कितना प्रभावित करती है और इंडिया गठबंधन के लिए कितना फायदेमंद होती है यह आने वाले विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में पता लग जाएगा लेकिन इतना तो तय है कि जनता की हालत बहुत ज्यादा खराब है।