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गौतम नवलखा
– फोटो : सोशल मीडिया
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उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में कार्यकर्ता गौतम नवलखा को नजरबंद रखना एक गलत मिसाल कायम करेगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को उनकी मौजूदा चिकित्सा स्थिति और मुकदमे के चरण के बारे में अवगत कराने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने एनआईए की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू से चार सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने को कहा। नवलखा नवंबर 2022 से मुंबई के एक सार्वजनिक पुस्तकालय में नजरबंद हैं।
पीठ ने कहा,’प्रथम दृष्टया हमें अपनी आपत्तियां हैं, लेकिन एक लंबा आदेश पारित किया गया है। मामले के गुण-दोष में जाए बिना, यह एक गलत मिसाल कायम कर सकता है। आपके पास 100 फीसदी योग्यता हो सकती है, इसके बारे में कुछ नहीं कह सकते। लेकिन इसे सुविधाजनक बनाने के लिए और एक व्यक्ति के लिए ऐसा करें … हलफनामा दाखिल करें। इसमें इस व्यक्ति की वर्तमान स्थिति और मुकदमे के चरण को शामिल किया जाना चाहिए।’
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