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Parliament Special Session 2023: केंद्र सरकार ने 18 सिंतबर से लेकर 23 सितंबर तक के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाए जाने का ऐलान किया है. इस ऐलान को विपक्ष के नेताओं ने तानाशाही बताते हुए सरकार के इस कदम की आलोचना की है. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय संसदीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने चुटकी ली है. उन्होंने कहा, ‘हमने तो सिर्फ संसद का सत्र ही बुलाया है वो इतना डर क्यों रहे हैं.’
प्रह्लाद जोशी ने कहा कि संसद का विशेष सत्र कुछ अहम मुद्दों पर बातचीत करने के लिए लाया गया है. उन्होंने कहा, ‘हम अगले 2-3 दिनों में संसद सत्र का एजेंडा सबके साथ शेयर कर देंगे.’ यह पूछे जाने पर कि अचानक विशेष सत्र बुलाए जाने और एक देश, एक चुनाव को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर है. इसके जवाब में जोशी ने कहा, ‘अगर वह बिल आता भी है तो उसको लेकर सदन में चर्चा की जाएगी. इसको लेकर वह इतना डर क्यों रहे हैं. उनको डरना नहीं चाहिए.
‘हम कल से ही तो लागू करने नहीं जा रहे’
‘एक देश, एक चुनाव’ के मुद्दे पर पूछे गए अगले सवाल में उन्होंने कहा, अगर बिल आएगा तो सदन में चर्चा की जाएगी और ऐसा नहीं है कि हम उस बिल को कल से ही लागू करने जा रहे हैं. उन्होंने आगे कहा, ‘अगर एक विकासशील देश में लोकतंत्र का भी विकास होता है तो इसमें क्या बुराई है, 1960-67 में एक साथ चुनाव कराए गए थे. एक साथ चुनाव से देश मजबूत होता है.’
क्या है पूरा मामला?
सरकार ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की संभावनाएं तलाशने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है. सरकार ने 18 सितंबर से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाए जाने के एक दिन बाद यह कदम सामने आया है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने पर कई साल से दृढ़ता से जोर दे रहे हैं और इस संबंध में संभावनाओं पर विचार का जिम्मा कोविंद को सौंपने का निर्णय, चुनाव संबंधी अपने दृष्टिकोण के विषय में सरकार की गंभीरता को रेखांकित करता है.
नवंबर-दिसंबर में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और इसके बाद अगले साल मई-जून में लोकसभा चुनाव हैं. सरकार के इस कदम से आम चुनाव और कुछ राज्यों के चुनाव को आगे बढ़ाने की संभावनाएं भी खुली हैं, जो लोकसभा चुनावों के बाद में या साथ होने हैं.
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