इंडिया गठबंधन की दो दिवसीय मुंबई बैठक समाप्त हो चुकी है। बैठक के बाद प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा है कि उनके साथ आए दल देश की 60 प्रतिशत जनता का प्रतिनिधित्व करते हैें। उन्होंने यह दावा भी कर दिया कि यदि सभी दल मजबूती के साथ मिलकर लड़े तो भाजपा की हार तय है। लेकिन क्या यह इतना ही आसान है? दरअसल, भाजपा भी इंडिया गठबंधन (I.N.D.I.A.) के खतरे को बखूबी भांप रही है। इंडिया गठबंधन के नामकरण के दिन से ही भाजपा ने जिस तरह इस पर हमलावर रुख अपना रखा है, उसी से यह स्पष्ट हो जाता है कि वह 2014 और 2019 के जीत के उन्माद में इंडिया गठबंधन को कमजोर करके नहीं आंक रही है।
भाजपा के एक शीर्ष नेता ने अमर उजाला से कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने अनेक ऐतिहासिक कार्य किए हैं। इन कार्यों और उनके सेवा भाव के कारण ही आज भी प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता सर्वोपरि है। इस बात पर भी पार्टी में पूरी तरह एक मत है कि उनके नेतृत्व में चुनाव में जाने पर पार्टी की तीसरी बार जीत भी तय है। लेकिन इसके बाद भी ऐसा कोई मुद्दा हाथ में नहीं है जो 2014 का जोश और 2019 का राष्ट्रवाद जनता के बीच पैदा कर सके। यह कारक पार्टी को जीत के प्रति पूरी तरह आश्वस्त नहीं होने दे रहा है।
यूसीसी-महिला आरक्षण करेंगे ये काम
केंद्र सरकार ने संसद का जो विशेष सत्र बुलाया है, वह उसी फैक्टर को पाने की कोशिश है। समान नागरिक संहिता जनता के बीच वह राष्ट्रवाद की भावना पैदा करने में समर्थ है जिसकी पार्टी को तलाश है। यही कारण है कि अगले संसद सत्र में इसे लाया जा सकता है और इसके सहारे 2024 की जीत की राह आसान बनाई जा सकती है।
महिला आरक्षण पर चित हो जाएगा विपक्ष
राजनीतिक टिप्पणीकार धीरेंद्र कुमार ने अमर उजाला से कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने नौ साल के शासनकाल में ऐसे कई काम कर चुके हैं जिसे सरकारें लंबे समय से टालती रही हैं। ओआरओपी जैसी मांग 40 से ज्यादा वर्षों से चली आ रही थी, लेकिन किसी सरकार ने इसे पूरा करने की हिम्मत नहीं जुटाई। इसी प्रकार अनुच्छेद 370 के विवादित प्रावधानों की समाप्ति, 35A का निरसन इसी प्रकार की कोशिश है। हम देख रहे हैं कि पीएम मोदी हमेशा कुछ बहुत बड़ा कर इतिहास में अपने आपको हमेशा के लिए अंकित कराने की सोच रखते हैं। इस सोच के अनुसार ही मोदी महिला आरक्षण की मांग पूरा कर स्वयं को महिलाओं का सबसे बड़ा हितैषी सिद्ध करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। इस कारण इस बात की प्रबल संभावना है कि संसद के विशेष सत्र में महिला आरक्षण कानून पारित कर दिया जाए। महिला मतदाताओं की नाराजगी के डर से विपक्ष भी इस कानून का विरोध नहीं कर पाएगा।
एक राष्ट्र, एक चुनाव पर बिखर सकता है विपक्ष
धीरेंद्र कुमार ने कहा कि भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव के अपने घोषणापत्र में भी एक राष्ट्र एक चुनाव कराने का नियम लाने का वादा किया था। स्वयं प्रधानमंत्री लाल किले से भी यह बात कह चुके हैं। ऐसे में यदि संसद के विशेष सत्र में एक देश, एक चुनाव कानून लाने के लिए प्रस्ताव लाया जाता है तो इस पर किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
लेकिन यदि इसकी कोशिश शुरू हुई तो कई राज्यों में इंडिया गठबंधन के दलों के आपसी हित टकराएंगे। अभी विपक्षी दलों की कोशिश है कि लोकसभा चुनाव में वे एक साथ मिलकर लड़ेंगे, जबकि विधानसभा में अपनी-अपनी स्थिति के अनुसार लड़ेंगे। लेकिन दोनों चुनाव एक साथ होने पर उनके सामने लोकसभा के लिए एक साथ लड़ने और विधानसभा के लिए एक दूसरे के विरोध में दिखने की मजबूरी होगी। ऐसे में मतदाताओं के सामने एक भ्रम की स्थिति होगी जिसका लाभ भाजपा को मिलेगा।
इन तमाम कारणों को देखते हुए माना जा सकता है कि संसद का आगामी विशेष सत्र नए कानूनों, नए प्रस्तावों और नई उम्मीदों के साथ इंडिया गठबंधन की ताकत को कमजोर करने का काम कर सकता है जो केंद्र सरकार के विजय का रास्ता तैयार कर सकता है।