Spread the love

[ad_1]

सांकेतिक तस्वीर
– फोटो : Social Media

विस्तार


एक देश एक चुनाव से संबंधित विधेयक संविधान संशोधन विधेयक होगा। ऐसे में इसे पारित कराने के लिए सरकार को दोनों सदनों में दो तिहाई बहुमत की जरूरत होगी। ऐसे में सरकार को खासतौर पर राज्यसभा में विधेयक के समर्थन के लिए नए साथियों की तलाश करनी होगी, क्योंकि भाजपा को अपने दम पर सामान्य बहुमत भी यहां हासिल नहीं है। अबतक जरूरी विधेयकों पर सरकार को बीजेडी, वाईएसआरसीपी, टीडीपी जैसे दलों का साथ मिलता रहा है। इस मुद्दे पर सिर्फ संविधान में संशोधन ही काफी नहीं होगा, राज्यों की मंजूरी भी चाहिए होगी।

देश में एक साथ चुनाव कराने की बहस पुरानी है। राष्ट्रपति बनने के बाद कोविंद ने इसका समर्थन किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बहस को नए सिरे से शुरू किया है। उन्होंने राज्यसभा में अपने भाषण के अलावा भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति में भी अलग-अलग चुनाव होने के कारण विकास कार्यों पर पड़ने वाले प्रतिकूल असर का हवाला देते हुए एक साथ चुनाव की हिमायत की थी। इस बीच, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने शुक्रवार को पूर्व राष्ट्रपति कोविंद से दिल्ली में उनके घर पर मुलाकात कर एक राष्ट्र एक चुनाव की व्यवहार्यता पर चर्चा की।

संसदीय समिति कर चुकी है जांच: एक संसदीय समिति पहले ही चुनाव आयोग समेत विभिन्न हितधारकों के परामर्श कर इस मुद्दे पर विचार कर चुकी है। समिति ने इस संबंध में कुछ सिफारिशें की हैं। अब एक साथ चुनाव के लिए ‘व्यावहारिक रोडमैप और रूपरेखा’ तैयार करने के लिए मामला विधि आयोग को भेजा गया है।



<!–

–>


<!–

–>

[ad_2]

Source link

Umesh Solanki

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *