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खबरों के खिलाड़ी।
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
मुंबई में विपक्ष की बैठक में 28 दल एक साथ दिखाई दिए हैं। इस तरह विपक्ष गठबंधन की ताकत लगातार बढ़ती दिख रही है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या विपक्षी एकता के बाद ही सरकार अलग मुद्दों की तरफ जनता का ध्यान ले जाने की कोशिश कर रही है? इसी मुद्दे पर चर्चा के लिए खबरों के खिलाड़ी की इस कड़ी में हमारे साथ वरिष्ठ विश्लेषक अवधेश कुमार, प्रेम कुमार, देशरत्न निगम, समीर चौगांवकर, गुंजा कपूर मौजूद रहीं। इस चर्चा को अमर उजाला के यूट्यूब चैनल पर भी देखा जा सकता है। पढ़िए इनकी चर्चा के अहम अंश…
गुंजा कपूर
‘कई बार विपक्ष ने आरोप लगाया है कि मौजूदा सरकार देश को प्रेसिडेंशियल सिस्टम की तरफ ले जा रही है, लेकिन विपक्ष भी तो यही कर रहा है। सभी एकजुट हो रहे हैं। विपक्ष मोदी विरोधी बातें कर रहा है लेकिन विपक्षी पार्टियां अभी तक कोई एजेंडा नहीं दे पाई हैं। पीएम मोदी अपने भाषणों में अपनी सरकार के कई काम गिना रहे हैं और वे भविष्य में देश की तरक्की का खाका भी बता रहे हैं। इससे लोगों को विश्वास और संभावनाएं नजर आ रही हैं। वहीं विपक्ष के पास गिनाने के लिए एक काम नहीं हैं।’
समीर चौगांवकर
‘I.N.D.I.A गठबंधन की मुंबई में हुई तीसरी बैठक और पटना में हुई पहली बैठक के बीच में 68 दिन का अंतराल है, लेकिन इस दौरान सिर्फ विपक्ष ने एक नाम दिया है। विपक्ष भी मान चुका है कि पीएम मोदी के खिलाफ किसी एक को पीएम पद का दावेदार घोषित नहीं किया जा सकता। तभी सभी पार्टियां एकजुट होकर लड़ रही हैं। जब इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाया था, तब भी विपक्ष एकजुट हुआ था। जनता दल बना और फिर कांग्रेस को हराकर जनता दल की सरकार बनी थी, लेकिन फिर क्या हुआ! विपक्षी पार्टियों में काफी विरोधाभास दिख रहा है। ऐसे में क्या कॉमन एजेंडा बनाया जाएगा और घोषणा पत्र में क्या-क्या वादे किए जाएंगे। विपक्ष के लिए यह बड़ी चुनौती है। विपक्षी पार्टियां राज्यों में एक लाइन पर नहीं दिख रही हैं। विपक्ष के पास पीएम मोदी की उपलब्धियों का जवाब नहीं है। एक देश-एक चुनाव को लेकर कयास लग रहे हैं, लेकिन हो सकता है कि सरकार आगामी विशेष सत्र में जस्टिस रोहिणी आयोग की रिपोर्ट पर कोई फैसला ले ले।’
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