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सुप्रीम कोर्ट
– फोटो : Social Media
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सुप्रीम कोर्ट ने एक न्यायिक अधिकारी, उसके आर्किटेक्ट भाई और मां के खिलाफ उसके दूसरे भाई की पत्नी की शिकायत पर दर्ज दहेज उत्पीड़न का मामला खारिज कर दिया। जस्टिस अनिरुद्ध बोस की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि शिकायतकर्ता के बयान में स्पष्ट विसंगतियां है। वह साफतौर पर अपने ससुराल वालों से प्रतिशोध लेना चाह रही है।
पीठ ने इस दलील को दरकिनार कर दिया कि अपीलकर्ताओं की एफआईआर को रद्द करने की याचिका को खारिज कर दिया जाना चाहिए, क्योंकि मामले में आरोपपत्र पहले ही दायर किया जा चुका है। पीठ ने कहा, यह अच्छी तरह से स्थापित है कि हाईकोर्ट के पास एफआईआर को रद्द करने के लिए सीआरपीसी की धारा 482 के तहत दायर याचिका पर विचार करने और कार्रवाई करने की शक्ति है, भले ही ऐसी याचिका के लंबित रहने के दौरान पुलिस ने आरोपपत्र दायर कर दिया हो।
शीर्ष अदालत ने कहा, पति के परिवार के सदस्यों की ओर से पत्नी की उनके खिलाफ शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने के लिए याचिका दायर करने के उदाहरण न तो दुर्लभ हैं और न ही हाल ही में उत्पन्न हुए हैं और इस संबंध में भारी संख्या में मिसालें हैं। पीठ ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ अभिषेक व अन्य की अपील को स्वीकार कर लिया और उनकी भाभी भावना की ओर से उनके खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर को रद्द कर दिया।
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