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इसरो ने कहा कि विक्रम वेल्डर ने खुद को लगभग 40 सेंटीमीटर ऊपर उठाया और हाॅप प्रयोग में 30-40 सेंटीमीटर दूर सुरक्षित रूप से उतर गया।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने सोमवार को कहा कि चंद्रयान-3 मिशन के तहत विक्रम लैंडर ने चंद्रमा की सतह पर एक और सॉफ्ट लैंडिंग की है।
अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि लैंडर ने अपने इंजन चालू कर दिए और खुद को लगभग 40 सेंटीमीटर ऊपर उठाया और “हाॅप प्रयोग” में 30-40 सेंटीमीटर दूर सुरक्षित रूप से उतर गया।
विक्रम ब्लेंडर का यह की स्टार्ट भविष्य में मानव मिशन को उत्साहित करता है इसरो ने एक्स [X] पर कहा जिसे पहले ट्वीटर के नाम से जाना जाता था उसने टिप्पणी की विक्रम लैंडर अब अपने मिशन के उद्देश्यों को पार कर चुका है।
इसरो ने कहा कि लैंडर और उसके चाएसटीई और आईएलएसए सिस्टम में लगाए गए रैंप को वापस मोड़ दिया गया और फिर प्रयोग के बाद सफलतापूर्वक पुनः तैनात किया गया।
चाएसटीई, चंद्रमा की सतह थर्मोफिजिकल प्रयोग का संक्षिप्त रूप दक्षिणी ध्रुव के आसपास चंद्र की ऊपरी मिट्टी के तापमान प्रोफाइल को मापता है। ILSA, या चंद्र भूकंपीय गतिविधि के लिए उपकरण, पेलोड का उद्देश्य प्राकृतिक भूकंपों प्रभावों और कृत्रिम घटनाओं से उत्पन्न जमीनी कंपन को मापना है।
22 अगस्त को भारत में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास अंतरिक्ष यान उतारने वाला पहला देश बनकर इतिहास रच दिया। लैंडिंग के बाद डेटा संग्रह शुरू करने के लिए प्रज्ञान रोवर लैंडर के रैंप के नीचे आया था। रोवर ने जमे हुए पानी के संकेत की खोज की जो भविष्य में अंतरिक्ष यात्री मिशनों में मदद कर सकता है।
28 अगस्त को रोवर ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सल्फर और कई अन्य तत्वों का पता लगाया ऐसा माना जाता है कि सल्फर ज्वालामुखी गतिविधियों से उत्पन्न होता है चंद्रमा पर तत्व की मौजूदगी पृथ्वी के प्राकृतिक उपग्रह के निर्माण और विकास के बारे में अधिक जानकारी प्रदान कर सकती है।
इसरो ने 2 सितंबर को कहा कि प्रज्ञान रोवर ने अपना काम पूरा कर लिया इसके बाद इसे सुरक्षित रूप से पार्क किया गया और स्लीप मोड में सेट कर दिया गया है।
इसमें कहा गया है सौर पैनल 22 सितंबर 2023 को अपेक्षित अगले सूर्योदय पर प्रकाश प्राप्त करने के लिए उन्मुक्त है। रिसीवर चालू रखा हुआ है। असाइनमेंट के दूसरे सेट के लिए सफल जागृति की आशा की जाती है अन्यथा यह भारत के लिए हमेशा चंद्र राजदूत के रूप में वहीं रहेगा।
उसी दिन इसरो ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सूर्य का अध्ययन करने के लिए अपना पहला मिशन आदित्य L1 लॉन्च किया। इस 4 महीना में पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए डिजाइन किया गया है और फिर इसे लैंग्रेंज पॉइंट 1 के चारों ओर एक कक्षा में स्थापित किया जाएगा जिसे सूर्य के सबसे करीब माना जाता है।