Spread the love

[ad_1]

चीनी का निर्यात
– फोटो : Social Media

विस्तार


बीते एक पखवाड़े में चीनी की कीमतों में 3% से अधिक की वृद्धि के साथ कीमतें छह वर्षों में अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में व्यापारियों और उद्योग जगत के अधिकारियों के हवाले से दावा किया गया है कि  देश के प्रमुख चीनी उत्पादक क्षेत्रों में बारिश की कमी के कारण घबराहट की स्थिति बनी है, जो आगामी सीजन में उत्पादन में गिरावट का संकेत देती है। अगर ऐसा होता है तो त्योहारों के पहले चीनी की कीमतों पर इसका असर दिख सकता है। टमाटर और प्याज की कीमतों में राहत मिलने बाद अब चीनी के बढ़ते भाव लोगों की परेशानी फिर बढ़ा सकते हैं।

नए सीजन में चीनी उत्पादन 3.3% तक कम होने की आशंका

रिपोर्ट में कहा गया है कि अक्तूबर से शुरू होने वाले नए सीजन में चीनी उत्पादन 3.3% घटकर 31.7 मिलियन मीट्रिक टन हो सकता है क्योंकि कम बारिश से दक्षिणी भारत के पश्चिमी राज्य महाराष्ट्र और कर्नाटक में गन्ने की पैदावार प्रभावित हो सकती है, इनका कुल भारतीय उत्पादन में आधे से अधिक का हिस्सा है। इस बीच चीनी की कीमतें मंगलवार को बढ़कर 37,760 रुपये (454.80 डॉलर) प्रति मीट्रिक टन पर पहुंच गईं, जो अक्टूबर 2017 के बाद से उच्चतम स्तर है। हालांकि भारत में चीनी की कीमतें वैश्विक सफेद चीनी बेंचमार्क की तुलना में लगभग 38% कम हैं। 

चीनी कंपनियों के शेयरों में तेजी

उत्पादक क्षेत्रों में कमजोर मानसून के मद्देनजर उत्पादन को लेकर चिंताओं के कारण बुधवार को चीनी कंपनियों के शेयरों में 8% तक की तेजी दर्ज की गई। शुरुआती कारोबार में राणा शुगर के शेयर 5 प्रतिशत तक मजबूत हुए। इसके बाद श्री रेणुका शुगर्स, द उगार शुगर, द्वारिकेश शुगर, ईद पैरी, त्रिवेणी इंजीनियरिंग एंड इंडस्ट्रीज और बलरामपुर चीनी मिल्स के शेयर शुरुआती कारोबार में 1.4% से 8% तक तक इजाफा दिखा।

चीनी कंपनियों के शेयरों में मजबूती का ये है कारण

चीन कंपनियों के स्टॉक इस उम्मीद में मजबूत हो रहे हैं कि यदि उच्च कीमतें बनी रहती हैं तो चीनी निर्माताओं के मार्जिन में सुधार हो सकता है। उन्होंने कहा, ‘चीनी मिलों को चिंता है कि सूखे की वजह से नए सीजन में उत्पादन तेजी से गिर सकता है। बॉम्बे शुगर मर्चेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक जैन के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है, “वे कम कीमतों पर बेचने के इच्छुक नहीं हैं। डीलरों ने कहा कि ऊंची कीमतों से बलरामपुर चीनी, द्वारिकेश शुगर, श्री रेणुका शुगर्स और डालमिया भारत शुगर जैसी उत्पादक कंपनियों के मार्जिन में सुधार होगा।

मांग और आपूर्ति की दिक्कतों के बीच लग सकता है निर्यात पर अंकुश

जैन के अनुसार मांग और आपूर्ति से जुड़ी दिक्कतों के बीच सरकार की ओर से चीनी के निर्यात पर अंकुश लगाया जा सकता है। भारत ने मिलों को चालू सीजन के दौरान 30 सितंबर तक केवल 6.1 मिलियन मीट्रिक टन चीनी निर्यात करने की अनुमति दी, जबकि उन्हें पिछले सीजन में रिकॉर्ड 11.1 मिलियन मीट्रिक टन चीनी बेचने की अनुमति दी गई थी।

[ad_2]

Source link

Umesh Solanki

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You missed