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भारत-कनाडा संबंध।
– फोटो : Amar Ujala

विस्तार


खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की तरफ से भारत पर लगाए गए आरोपों की दुनियाभर में आलोचना हो रही है। भारत में जी-20 सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी की तरफ से खालिस्तान के मुद्दे पर घेरे जाने के बाद इस तरह के दावों को लेकर ट्रूडो खुद ही मुश्किल में हैं। इस बीच कनाडा को इस मुद्दे पर अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया की तरफ से भी समर्थन नहीं मिला है। यहां तक कि अमेरिका के विदेश मामलों के जानकार ने भी ट्रूडो के इस कदम को बेतुका और शर्मनाक बताते हुए अपने देश को इस तरह के दावों का हिस्सा न बनने के लिए कहा है। 

क्या बोले अमेरिकी एक्सपर्ट?

हडसन इंस्टीट्यूट थिंक टैंक में रखी गई एक पैनल चर्चा में हिस्सा लेते हुए अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टीट्यूट में विशेषज्ञ माइकल रुबिन ने कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि ट्रूडो का खालिस्तानी आतंकी की हत्या का कनेक्शन भारतीय सरकार के एजेंटों से जोड़ने का कदम शर्मनाक और निंदनीय है। उन्होंने अमेरिकी सरकार से अपील की कि वह इस मामले में कनाडा का साथ न दे।

माइकल रुबिन ने कहा कि ट्रूडो अभी उन लोगों के हाथों का मोहरा बने हैं जो खालिस्तानी आंदोलन को अहंकार और फायदे के आंदोलन के तौर पर देखते हैं। उन्होंने कहा कि ट्रूडो के इस शर्मनाक कदम में जो सबसे चौंकाने वाली बात है कि जहां एक तरफ वे खालिस्तानी की हत्या पर बयान दे रहे हैं, वहीं पाकिस्तान की मदद से करीमा बलूच की हत्या एक पुलिस का मामला बन कर रह गई और उसे प्रधानमंत्री कार्यालय तक भी नहीं पहुंचाया गया। 

रुबिन ने कहा कि तो सवाल यह है कि आखिर क्यों इस तरह की विसंगति एक लोकलुभावन राजनीतिक कदम नहीं है? इससे जस्टिन ट्रूडो को लंबी अवधि में मदद मिल सकती है, लेकिन यह कोई नेतृत्व नहीं है। हमारे नेताओं को और जिम्मेदार होना चाहिए, क्योंकि वे इस तरह के कदमों से आग से खेलने का काम कर रहे हैं। 

रुबिन ने कहा कि ऐसा लगता है जैसे कोई बाहरी ताकत एक बार फिर खालिस्तान आंदोलन को जिंदा करना चाह रही है, हालांकि मुझे नहीं लगता कि यह काम करेगा। उन्होंने बाइडन प्रशासन से इस तरह बाहरी ताकतों की निंदनीय हरकतों को वैधता न देने की बात भी कही। रुबिन ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ बाहरी तत्व खालिस्तान आंदोलन को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “मुझे नहीं लगता कि यह कोशिश रंग लाएगी। मैं नहीं चाहता कि अमेरिका ‘बाहरी तत्वों की इस तरह की निंदक चालों’ को स्वीकृति दे। अचानक किसी अलगाववादी आंदोलन को फिर से उभरते देखना और तर्क देना कि यह वैध है, एक बहुत बड़ी गलती होगी।”

कनाडा ने भारतीय राजनयिक को किया निष्कासित

गौरतलब है कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सोमवार को आरोप लगाए कि निज्जर की हत्या के पीछे भारत सरकार का हाथ हो सकता है। ट्रूडो ने कहा कि कनाडाई सुरक्षा एजेंसियों के पास यह मानने के कारण है कि भारत सरकार के एजेंटों ने ही निज्जर की हत्या की है। कनाडाई एजेंसियां निज्जर की हत्या में भारत की साजिश की संभावनाओं की जांच कर रही हैं। ट्रूडो ने यह भी जानकारी दी कि कनाडा से भारत के एक राजनयिक को निष्कासित कर दिया गया है। 

भारत ने किया ट्रूडो पर पलटवार

कनाडा के इन बयानों के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने विरोध जताते हुए कनाडा के उच्चायुक्त को तलब किया। साथ ही उन्हें कनाडा के एक वरिष्ठ उच्चायुक्त को निष्कासित किए जाने की जानकारी दी। निष्कासित राजनयिक को पांच दिन के अंदर भारत छोड़ने का निर्देश दिया गया है। भारत ने कनाडा के आरोपों को बेतुका बताते हुए उसे खालिस्तानी गतिविधियों को रोक पाने में असफल करार दिया था। साथ ही मामले में राजनीति का आरोप लगाया था।

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Umesh Solanki

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