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केरल में निपाह वायरस के कारण पिछले एक महीने में हालात काफी बिगड़ते हुए देखे गए थे, हालांकि हालिया मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक स्थिति में अब समय के साथ सुधार आ रहा है। राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने शुक्रवार को बताया निपाह के लिए सात और सैंपल टेस्ट के लिए भेजे गए थे हालांकि सभी के रिपोर्ट निगेटिव आए हैं। वर्तमान में, संक्रमितों के संपर्क में आए 981 लोगों को आइसोलेशन में रखा गया है। इसके अलावा नौ वर्षीय लड़के, जिसको गंभीर लक्षणों के कारण आईसीयू में भर्ती कराया गया था उसकी स्वास्थ्य स्थिति में सुधार हो रहा है।

संक्रमण की शुरुआत से राज्य में छह लोगों में इसकी पुष्टि की गई थी, जिसमें से दो की मौत हो गई है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, पिछले करीब एक सप्ताह से कोई भी नया मामला सामने नहीं आया है जो संकेत कि निपाह की स्थिति अब नियंत्रित हो रही है, हालांकि राज्य में सभी लोगों को लगातार सुरक्षात्मक उपायों का पालन करते रहने की सलाह दी जा रही है।

वायरस के कारण होने वाले जोखिमों को अनदेखा करना गंभीर रोगों के जोखिमों को बढ़ाने वाला हो सकता है।

हटने लगे प्रतिबंध

राज्य में निपाह संक्रमण की स्थिति नियंत्रण में आ रही है, यहां कोझिकोड जिला सबसे अधिक प्रभावित था हालांकि लगातार छठे दिन निपाह वायरस का कोई नया मामला सामने नहीं आया है। सुधरते हालात को देखते हुए जिला प्रशासन ने गुरुवार को कई ग्राम पंचायतों में लगाए गए प्रतिबंध भी हटा दिए हैं।

गौरतलब है कि निपाह का अब तक कोई विशिष्ट उपचार या फिर इससे बचाव के लिए टीके उपलब्ध नहीं हैं। गंभीर रोगियों का इलाज मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज के माध्यम से किया जाता रहा है। आइए जानते हैं कि मोनोक्लोनल एंटीबॉडी क्या है और निपाह जैसे संक्रमण को ठीक करने में इसकी क्या भूमिका हो सकती है?

निपाह की गंभीरता और मृत्युदर हो सकती है कम

अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि मोनोक्लोनल एंटीबॉडी, निपाह के जोखिमों को कम करने में असरदार हो सकती है। पिछले हफ्ते भारत सरकार ने संक्रमण के प्रकोप से निपटने के लिए ऑस्ट्रेलिया से  मोनोक्लोनल एंटीबॉडी खुराक खरीदने की बात कही थी। मीडिया रिपोर्ट्स से पता चलता है कि मूल रूप से हेनिपावायरस के लिए विकसित ये एंटीबॉडीज निपाह संक्रमण के इलाज में भी मददगार हो सकती हैं। इसके माध्यम से रोग की गंभीरता को कम करने और मृत्यु से बचाव में मदद मिल सकती है। यही कारण है कि केरल में निपाह के खतरे के बीच मोनोक्लोनल एंटीबॉडी काफी चर्चा में रही है। 

मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कैसे काम करती है?

स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं मोनोक्लोनल एंटीबॉडी आपके शरीर के एंटीबॉडी के क्लोन हैं जो प्रयोगशाला में बनाए जाते हैं। इसका उद्देश्य आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को उत्तेजित करना है। थेरेपी के रूप में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कुछ अन्य प्रकार के उपचारों की तुलना में अधिक प्रभावी हैं और कैंसर सहित कुछ प्रकार की बीमारियों के इलाज में इसका प्रयोग किया जाता रहा है। कोरोना संक्रमण के दौरान भी शरीर की प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने के लिए इसको प्रयोग में लाया गया था।

भारत में निपाह का खतरनाक स्ट्रेन

मीडिया रिपोर्ट्स से पता चलता है कि केरल में निपाह वायरस मुख्यरूप से बांग्लादेशी स्ट्रेन है, जिसके कारण गंभीर रोग और मृत्युदर अधिक देखा जाता रहा है। अध्ययनकर्ताओं ने बताया वायरस के इस स्ट्रेन के कारण मृत्युदर 40-70 फीसदी के बीच की हो सकती है, यह स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए बड़े चिंता का कारण है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, वायरस के मामले सामने आने के बाद यहां प्रतिबंध और बचाव के उपायों को लेकर सख्ती बरती गई थी, जिसके कारण हालात समय पर नियंत्रित हो गए। 

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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है। 

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

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Umesh Solanki

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