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Jack Lew
– फोटो : सोशल मीडिया

विस्तार


अमेरिका के पूर्व वित्त सचिव जैक ल्यू इस्राइल में नए अमेरिकी राजदूत होंगे। अमेरिकी सीनेट ने राजदूत के रूप में जैक की नियुक्ति को मंजूरी दे दी है। जैक ल्यू पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के प्रशासन में वित्त सचिव थे। इस दौरान उन्होंने ईरान के साथ परमाणु समझौते में अहम भूमिका निभाई थी, जिसके कारण सीनेट में रिपब्लिकन ने उनकी नियुक्ति का कड़ा विरोध किया। हालांकि, दो रिपब्लिकन सीनेटरों ने मंगलवार को ल्यू की नियुक्ति को मंजूरी देने के पक्ष में मतदान किया। जिससे इस्राइल में अमेरिकी राजदूत के रूप में उनका रास्ता साफ हो गया।

जैक ल्यू पूर्व राजदूत टॉम नाइड्स जगह लेंगे। नाइड्स ने जुलाई में इस्राइल में अमेरिकी राजदूत पद से इस्तीफा दे दिया था। तब से यह पद खाली है। राष्ट्रपति जो बाइडन ने सितंबर में ल्यू को राजदूत पद के लिए नामित किया था। ल्यू के पास लंबा प्रशासनिक अनुभव है। पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के अधीन स्टाफ के प्रमुख रह चुके हैं। साथ ही पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के अधीन प्रबंधन और बजट कार्यालय के निदेशक के रूप में भी काम किया है। 

सीनेट में मतदान से पहले बहुमत नेता चक शूमर (Chuck Schumer) ने मौजूदा संघर्ष के बीच इस्राइल में राजदूत के खाली पद को भरने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इस समय इस्राइल में जो कुछ भी हो रहा है, उसे देखते हुए जैक ल्यू की नियुक्ति को मंजूरी देना सीनेट की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है।

शूमर ने कहा कि सरकारी सेवक और इस्राइल के घनिष्ट सहयोगी के रूप में ल्यू के पास मजबूत और लंबा अनुभव है। जल्द से जल्द इस नियुक्ति को भरने से यह इस्राइल को समर्थन का शक्तिशाली संदेश भेजने में मदद करेगा। वहीं, रिपब्लिकन सीनेटर टॉम कॉटन ने ल्यू पर ईरान समर्थक कहकर हमला किया है। सीनेटर एरिक श्मिट ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा कि ओबामा के वित्त सचिव के रूप में जैक ल्यू की विनाशकारी ईरान परमाणु समझौते में प्रमुख भूमिका थी। ईरान हमास का मुख्य समर्थक है। जैक ल्यू का इस्राइल में अमेरिकी राजदूत होने से कुछ नहीं बदलेगा।

 

राष्ट्रपति बाइडन नवंबर में शी जिनपिंग से करेंगे मुलाकात 

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन नवंबर में सैन फ्रांसिस्को में अपने चीनी समकक्ष शी जिनपिंग से मुलाकात करेंगे। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव करीन जीन-पियरे ने मंगलवार को प्रेस ब्रीफिंग में इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह अहम बैठक सैन फ्रांसिस्को में होने वाली है। राष्ट्रपति बाइडन अपने चीनी समकक्ष से बातचीत के लिए उत्सुक हैं। हालांकि उन्होंने बैठक के एजेंडे के बारे में जानकारी देने से इनकार कर दिया।

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Umesh Solanki

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