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Information Commissioner Appointment: सूचना आयुत हीरालाल सामरिया की केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) प्रमुख के तौर पर नियुक्ति को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के बीच विवाद पैदा हो गया है. लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने इसके खिलाफ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को चिट्ठी लिखकर शिकायत की है. उन्होंने कहा कि इस मामले में उन्हें अंधेरे में रखा गया. कांग्रेस ने संवैधानिक प्रक्रियाओं का उल्लंघन किए जाने की बात की है.

मुख्य सूचना आयुक्त हीरालाल सामरिया के चयन को लेकर अधीर रंजन चौधरी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखा. इसमें उन्होंने कहा, ‘लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता के तौर पर चयन समिति का सदस्य होने के सीआईसी/आईसी के चयन को लेकर मुझे अंधेरे में रखा गया.’ उन्होंने ये भी कहा कि सीआईसी के चयन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर 3 नवंबर को बैठक भी की गई, मगर इस बारे में भी मुझे कोई जानकारी नहीं दी गई. 

संवैधानिक परंपराओं का हो रहा उल्लंघन

कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने सीआईसी की नियुक्ति को संवैधानिक परंपराओं का उल्लंघन बताया. उन्होंने कहा, ‘संवैधानिक परंपराएं, नियम और कायदे का उल्लंघन किया जा रहा है. जब मुख्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति की गई तो विपक्षी दल के नेता या सदन में सबसे बड़े दल के नेता या राज्यसभा में विपक्ष के नेता को बुलाया जाना चाहिए था.’ उन्होंने कहा, ‘आचार संहिता लागू है, ऐसे में मुख्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति असंवैधानिक और नियम और कायदे का उल्लंघन है.’

पहली बार दलित समुदाय का शख्स बना सूचना आयुक्त

दरअसल, राष्ट्रपति मुर्मू ने सोमवार (6 नवंबर) को सूचना आयुक्त हीरालाल सामरिया को केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के प्रमुख के तौर पर शपथ दिलवाई. तीन अक्टूबर को वाई.के. सिन्हा के कार्यकाल की समाप्ति के बाद से ही ये पद खाली था. सीआईसी आरटीआई (सूचना का अधिकार कानून) मामलों के सर्वोच्च अपीलीय प्राधिकरण है. सामरिया दलित समुदाय से आने वाले पहले व्यक्ति हैं, जिन्हें मुख्य सूचना आयुक्त के तौर पर नियुक्त किया गया है. 

यह भी पढ़ें: कौन हैं हीरालाल सामरिया जिन्होंने ली है मुख्य सूचना आयुक्त के रूप में शपथ?



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Umesh Solanki

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