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आप अलग-अलग राज्यों में चुनाव लड़ते हैं लेकिन अपने राज्य में 119 में से केवल 9 सीट पर ही लड़ रहे हैं। क्यों?

यह किसी पार्टी का अपना मामला है। हम जानते हैं कि हमारी पार्टी के लिए क्या बेहतर है। हमने अपनी मजबूत सीटों पर प्रत्याशी लड़ाए हैं और बाकी पर चाहते हैं कि प्रदेश और समाज की बेहतरी के लिए काम करने वाले लोग जीतें।

आप सत्ताधारी दल बीआरएस को समर्थन दे रहे हैं?

हमने किसी को समर्थन नहीं दिया। कुछ सीटों पर उनके और हमारे प्रत्याशी आमने-सामने भी हैं। हम चाहते हैं कि जनता हमारे नौ प्रत्याशियों को जिताकर भेजे और बाकी सीटों पर दोबारा केसीआर को मौका दें। हम क्षेत्रीय दल हैं, किसी के बीच की फुटबॉल नहीं बनना है। हम अपने लोगों का लाभ चाहते हैं।

आप पर बी टीम होने का आरोप लगता रहा है, यहां क्या बीआरएस की बी टीम हैं।

यह हमारा घर है। यहां हमारे लोग हैं। यहां हमारे पास सबसे ज्यादा लोग हैं फिर बी टीम क्या होती है।

लोग यह भी कहते हैं कि आप सत्ता के साथ रहते हैं, पहले कभी कांग्रेस के साथ रहे और अब सत्ताधारी बीआरएस के साथ हैं।

हमारी पार्टी तेलंगाना के गठन के खिलाफ थी। हमें लगता था कि इससे सांप्रदायिक शक्तियां धुव्रीकरण कराने की मंशा से माहौल बिगाड़ सकती हैं। कांग्रेस राज्य में बेहतर सरकार नहीं दे पाई। बीआरएस सरकार में साढ़े नौ साल में प्रदेश के विकास की अनेक योजनाएं चलीं। कोई सांप्रदायिक बवाल नहीं हुआ। ऐसे में खुद बांटनें की राजनीति करने वाले हम पर कैसे सवाल उठा सकते हैं।

क्या आप इंडिया गठबंधन के हिस्सा बनेंगे।

हम क्यों जाएं उनके पास। राहुल गांधी एक सभा में कहते हैं कि उनके दरवाजे हमारे लिए बंद हैं। वो कौन हैं दरवाजा बंद करने वाले। हमारे लिए जनता के दरवाजे खुले हैं। वह दिन कभी न आए कि मैं उनके घर या दरवाजे पर जाऊं।

अपने राज्य को छोड़कर राजस्थान क्यों चले गए ?

वहां पर लोगों के लिए काम नहीं हो रहा है। न सड़कें हैं, न ड्रेनेज सिस्टम है। हम लोगों को बताने जा रहे हैं कि बेहतर लोगों को चुनिए। राजस्थान में बताइए कि अल्पसंख्यकों के लिए वहां क्या बजट है। कितने स्कूल, कॉलेज खोले गए।

कांग्रेस और राहुल गांधी आप पर हमलावर हैं। राहुल ने कहा कि आप भाजपा से पैसे लेते हैं?

राहुल गांधी को पॉलिटिकल इमनेशिया नामक बीमारी है जिसका इलाज दुनिया का कोई डॉक्टर नहीं कर सकता है। वह गुरूर में रहते हैं। वह कांग्रेस के 2019 में अध्यक्ष रहे। पांच सौ सीटों पर लड़े और पचास छोड़कर सब हार गए, तो क्या उन्होंने भाजपा से पैसे लिए थे। वह खुद अमेठी से चुनाव हार गए तो क्या उन्होंने स्मृति ईरानी से पैसे लिए थे। कांग्रेस ने बिहार में हमारे चार एमएलए खरीद लिए और महाराष्ट्र में भाजपा ऐसा करती है, तो हल्ला मचाते हैं।

आरोप तो यह है कि आप वोट बांटने के लिए दूसरे राज्यों में चुनाव लड़ते हैं।

वह भी तो चुनाव लड़ने के लिए हमारे राज्य में आए। वह भी अमेठी से बाहर निकले हैं। वह नेहरू-गांधी परिवार से हैं, तो क्या वह बड़े और हम छोटे हो गए। गुजरात से निकलकर नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बन गए, तो फिर हम क्यों नहीं अपने राज्य से बाहर जाकर चुनाव लड़ सकते।

तो क्या कांग्रेस-भाजपा दोनों एक जैसे हैं?

दोनों बिल्कुल एक जैसे हैं। सबको पता है कि कांग्रेस नेता कमलनाथ ने कहा था, बाबरी मस्जिद को तोड़ने का काम तो ताले खोलकर राजीव गांधी ने किया था। सारे फैसले उनकी सहमति से हुए। हम तो यह बोलेंगे कि प्रधानमंत्री बड़ा दिल करें और जनवरी में राहुल गांधी को भी साथ लेकर जाएं। उन्हें भी हमारी मस्जिद को तोड़ने का क्रेडिट मिलना चाहिए।

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर कर देंगे।

कुछ लोग बस बयान देते हैं। जहां उन्होंने प्रचार किया उनके प्रत्याशी जीते ही नहीं। कई राज्यों में ऐसी सीटें हैं, जहां उनके प्रचार का कुछ लाभ नहीं हुआ।

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Umesh Solanki

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