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इंसान तब तक समय की सबसे छोटी यूनिट सेकेंड या फिर माइक्रो सेकेंड को मानता था जब तक कि जेप्टोसेकेंड की खोज नहीं हुई थी. आज दुनिया में समय की सबसे छोटी यूनिट जेप्टोसेकेंड है. दरअसल, एक सेकेंड में दस लाख माइक्रो सेकेंड होते हैं. जबकि, ज़ेप्टोसेकंड की बात करें तो ये एक सेकंड के एक अरबवें के एक ट्रिलियनवें भाग या एक दशमलव बिंदु का प्रतिनिधित्व करता है.
जेप्टोसेकेंड की खोज कैसे हुई?
दरअसल, गोएथे यूनिवर्सिटी फ्रैंकफर्ट के वैज्ञानिकों को एक फोटॉन को हाइड्रोजन अणु को पार करने में कितना समय लगता है इसे मापने के लिए एक यूनिट चाहिए था. यही वजह है कि वैज्ञानिकों ने जेप्टोसेकेंड की खोज की. इसके बाद ही वैज्ञानिकों को पता चला कि एक फोटॉन को हाइड्रोजन अणु को पार करने में लगभग 247 ज़ेप्टोसेकंड का समय लगता है.
सेकेंड की खोज कब हुई
इंसान जब आधुनिक युग के शुरूआती दौर में पहुंचा और उसने अपने आसपास होने वाली चीजों पर ध्यान दिया तो बहुत सारी चीजों की खोज हुई. समय भी इन्हीं में से एक था. आपको बता दें पहले के समय में माप की हमारी प्राथमिक इकाई सौर दिन थी. यानी सूर्य को आकाश में अपने उसी स्थान पर लौटने में लगने वाला समय, एक दिन होता था. वहीं सेकंड की लंबाई भी अनिवार्य रूप से बुनियादी गणित का उपयोग करके सौर दिन से निर्धारित की गई थी. जैसे एक दिन में 24 घंटे, 60 मिनट से एक घंटा और 60 सेकंड से एक मिनट का मतलब है कि एक सौर दिन में 86,400 सेकंड होते हैं.
क्या है ग्रीनविच मीन टाइम
ग्रीनविच मीन टाइम एक समय में दुनिया के लिए मानक समय था. दरअसल, 1884 में 13 अक्टूबर के दिन तय किया गया था कि ग्रीनविच मीन टाइम, दुनिया के लिए मानक समय होगा. ग्रीनविच एक जगह है जो दक्षिण पूर्वी लंदन का हिस्सा है. इस ग्रीनविच मीन टाइम का असली मतलब था रॉयल ऑब्जर्वेटरी लंदन का मीन सोलर टाइम. बाद में इसे वैश्विक स्तर पर मानक समय माना गया. हालांकि, वैसे तो यह कॉर्डिनेटेड यूनिवर्सल टाइम यूटीसी जैसा ही है, लेकिन जीएमटी को अधिकतर ब्रिटिश संस्थाएं इस्तेमाल करतीं थी.
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