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ऑफिस हो या ट्रेन अधिकतर लोग वॉशरूम में पर्सनल यूज के लिए टॉयलेट पेपर अपने पास रखते हैं. टॉयलेट-पूप हो या बॉडी के किसी भी पार्ट की साफ-सफाई के लिए हम अक्सर टॉयलेट पेपर का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन क्या आपको पता इंटरनल बॉडी पार्ट में टॉयलेट पेपर का इस्तेमाल करने का सही तरीका क्या है? आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इंफेक्शन का सबसे ज्यादा खतरा टॉयलेट पेपर के कारण ही होता है. यह बात आपको थोड़ी हैरान कर सकती है जब आपको पता चले कि टॉयलेट पेपर से इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है. सिर्फ इतना ही नहीं यह आपको गंभीर रूप से परेशान कर सकती है. यह इंफेक्शन थाई के आसपास के एरिया में हो सकते हैं.
इस वजह से नहीं करना चाहिए इस्तेमाल
टॉयलेट पेपर या वेट पाइप्स के ज्यादा इस्तेमाल से बॉडी के इंटर्नल पार्ट्स में खुजली हो सकती है. सिर्फ इतना ही नहीं प्राइवेट पार्ट में रेडनेस और खुजली हो सकती है. क्योंकि यह सभी प्रोडक्ट प्रिजर्वटिव करके परफ्यूम मिलाई जाती है. स्मेल वाले टॉयलेट पेपर और वेट पाइप्स का ज्यादा इस्तेमाल करने प्राइवेट पार्ट में गंभीर खुजली और रैसेस हो सकते हैं. इन प्रोडक्ट्स में बहुत ज्यादा केमिकल मिलाए जाते हैं जो प्राइवेट पार्ट के पीएच को काफी ज्यादा प्रभावित कर सकता है. जिसके कारण बैक्टीरिया और यीस्ट इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाएगा.
होता है कैंसर का खतरा
कभी भी जब आप टॉयलेट पेपर या वेट-टिश्यूज का इस्तेमाल करते हैं तो उसके स्किन पर रगड़ना नहीं चाहिए क्योंकि वह काला करने के साथ उस एरिया में खुजली कर देता है. टॉयलेट पेपर में फार्मल्डिहाइड (Formaldehyde) कार्बनिक होता है, जो टॉयलेट पेपर में मौजूद होता है, जिससे जलन हो सकती है. इसके अलावा इससे कैंसर का भी खतरा होता है.
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