Spread the love

[ad_1]

केरल से तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और राजस्थान होते हुए अभिनेत्री ईशा तलवार अब पंजाब पहुंची हैं। पंजाब की पृष्ठभूमि पर बनी सीरीज ‘चमक’ में वह एक संघर्षरत कलाकार की भूमिका निभा रही हैं। ईशा तलवार ने हाल ही में अमर उजाला से खास बातचीत की। उनका मानना है कि अभिनय में भाषा की जानकारी का बहुत बड़ा योगदान होता है। और, चूंकि संस्कृत सारी भाषाओं की जननी है तो इसका ज्ञान अभिनय को बहुत आसान बना देता है। इसके अलावा वह संस्कृत को चित्त को शांत करने वाली भाषा भी मानती हैं।




आपका संघर्ष काफी लंबा रहा है। अपने अभिनय में अपने संघर्ष की याद से कितनी मदद मिलती है?

हां, निजी जीवन के प्रसंग हमें अपने अभिनय में काम तो आते ही हैं। ऐसे बहुत सारे किस्से हैं जब लोग कहते थे कि हम आप को लांच कर रहे हैं। छह महीने के बाद न्यूजपेपर में पढ़ती थी कि फिल्म में तो और किसी की शक्ल आ गई। मुझे न्यूज पेपर के माध्यम से पता चलता था कि फिल्म से निकाल दिया गया है। जिंदगी में ऐसे झटके बहुत मिले। यह सिलसिला सात-आठ तक चलता ही रहा। फिर, मैंने तीन साल तक सब छोड़कर इत्मीनान से सोचा कि गलती कहां हो रही है, उस पर काम किया फिर नए सिरे से अपने करियर की शुरुआत की।


और, शुरुआत हुई मलयालम सिनेमा से…

मेरा मानना है कि जहां आप को पहुंचना है आप पहुंच ही जाते हैं। मुझे केरल  में ही एक विज्ञापन फिल्म मिली। उसके कैमरामैन जोमन टी जान ने मुझे मलयालम फिल्म ‘थट्टाथिन मारायथु’ के बारे में बताया। उनके कहने पर ही उस फिल्म के लिए ऑडिशन दिया और सेलेक्ट हो गई। मैं खुद को भाग्यशाली मानती हूं कि मलयालम में मुझे इतना बड़ा मौका मिला। यह फिल्म वहां ब्लॉकबस्टर रही। जोमन टी जान साउथ के बहुत बड़े डायरेक्टर हैं, रोहित शेट्टी की फिल्मों के कैमरामैन वही रहते हैं। ‘थट्टाथिन मारायथु’ के बाद तो साउथ की और भी कई फिल्मों में काम करने का मौका मिला। 

Animal Trailer: आज दोपहर आएगा ‘एनिमल’ का धमाकेदार ट्रेलर, फास्टेस्ट वन मिलियन लाइक्स का रिकॉर्ड टूटने के आसार


लेकिन, मलयालम समझने में तो बहुत दिक्कत हुई होगी?

शुरू में बहुत दिक्कत हुई। दरअसल, मलयालम संस्कृत से निकली हुई भाषा है। संस्कृत हम लोग स्कूल में पढ़ना और पढ़ाना  भूल चुके हैं। हम इतनी आधुनिक सोच के हो गए हैं कि अपने बच्चों को फ्रेंच और इटैलियन तो पढ़ाना चाहते हैं, लेकिन संस्कृत नहीं। मुझे लगता है कि अगर संस्कृत  भाषा का ज्ञान हमें दूसरी भाषाएं समझने में बहुत मदद करता है। आप जिस भाषा में काम कर रहे हैं एक्टिंग करते वक्त आपको उस भाषा में सोचना पड़ेगा। अगर मैं हिंदी फिल्म में काम कर रही हूं और अंग्रेजी में सोच रही हूं तो चेहरे के भाव वैसे ही निकलेंगे। भाषा से एक्टिंग आती है, इसलिए आप जिस भाषा में काम कर रहे हैं। उसकी भाषा सीखनी बहुत जरूरी होती।

Wednesday Box Office Report: टाइगर 3 की कमाई में गिरावट जारी, खिचड़ी 2 का बंटाधार, जानें 12वीं फेल का हाल


तो इसका मतलब आपने संस्कृत पढ़ी है?

मैं भी मुंबई में ही कान्वेंट स्कूल कल्चर में पढ़ी हूं। लेकिन, मैंने अलग से संस्कृत सीखी हैं। पुणे से एक नीलोफर मैडम आती थीं, उन्होंने मुझे संस्कृत में गीता पढ़नी सिखाई। पिछले 12 वर्षों से मैं गीता का नियमित पाठ करती हूं। संस्कृत देव भाषा तो है ही, इसका इसका वैज्ञानिक महत्व भी बहुत है। इसे पढ़ने से चित्त हमेशा  शांत रहता है। मैंने यह अनुभव किया है कि हर कलाकार को संस्कृत थोड़ी बहुत तो जरूर आनी चाहिए, इससे आपका उच्चारण सही होता है।  

Pritam: प्रीतम ने संजय गढ़वी के साथ अपने 20 वर्ष के सफर को किया याद, राजकुमार हिरानी संग कर रहे पहली फिल्म


[ad_2]

Source link

Umesh Solanki

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *