विश्व के सबसे बड़े पुस्तक बाजार के रूप में उभरता भारत
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के त्रिभाषी सूत्र का भारत के प्रकाशन उद्योग पर सकारात्मक असर पड़ रहा है। दुनियाभर के प्रकाशकों की नजर भारत के बाजार पर है। इसका प्रमाण नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले में देखा जा सकता है जहाँ दुनियाभर के प्रकाशन उद्योग के निदेशक, सीईओ, पुस्तक मेलों के आयोजक और अन्य उच्च पदाधिकारी शिरकत कर रहे हैं और भारत के प्रकाशन उद्योग को एक रोल मॉडल के रूप में देख रहे हैं। इसी कड़ी में विदेश से आए प्रकाशकों और प्रख्यात वैश्विक मेलों के निदेशकों ने नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले की सफलता को करीब से समझा। दुनियाभर के प्रकाशकों, लेखकों और मेलों के आयोजनकर्ताओं को एक मंच प्रदान करने और आपसी विचार-विमर्श करने में नई दिल्ली राइट्स टेबल 2024 (एनडीआरटी) अहम भूमिका निभाता रहा है।
नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले के तीसरे दिन नई दिल्ली राइट्स टेबल 2024 (एनडीआरटी) के दसवें संस्करण का शुभारंभ हुआ। दो दिवसीय इस आयोजन के उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि के तौर पर द लंदन बुक फेयर के निदेशक श्री ग्रैरथ रैप्ली, विशिष्ट अतिथि बोलोग्ना चिल्ड्रन्स बुक फेयर की निदेशक एलिना पसोली और बोलोग्ना बुकप्लस के गेस्ट डायरेक्टर जैक्स थॉमस उपस्थित थे।
नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया के अध्यक्ष प्रोफेसर मिलिंद सुधाकर मराठे ने उद्घाटन संबोधन में पुस्तक मेलों को व्यापार के संभावित अवसरों में परिवर्तन लाने, आधुनिक तकनीक का लाभ उठाने और व्यापार में विकास की गति को नए आयाम देने पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर लंदन बुक फेयर के निदेशक ग्रैरथ रैप्ली ने राइट्स एक्सचेंज की विशिष्टताओं पर प्रकाश डालते हुए प्रकाशन उद्योग में रुझानों को रेखांकित करने में कॉपीराइट अधिकारों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया।
दुनिया के सबसे बड़े पुस्तक मेलों में से एक बोलोग्ना चिल्ड्रन्स बुक फेयर की निदेशक एलिना पसोली ने अपने उद्बोधन में कहा कि कैसे कॉपीराइट एक्सचेंज के लिए बाज़ार में संभावनाएँ उपलब्ध हैं। उन्होंने वैश्विक स्तर पर भारतीय बाल साहित्य की माँग पर भी प्रशंसा व्यक्त की। नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया के निदेशक युवराज मलिक ने प्रकाशन उद्योग में विकास और नवाचार को बढ़ावा देते हुए कहा कि आज तकनीक ने प्रकाशन उद्योग को भी वैश्विक बना दिया है। अब अंतर्राष्ट्रीय सुविधाओं, कलाओं का उपयोग कर आगे बढ़ाया जा सकता है।
नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला 2013 से आरंभ हुए इस ‘बी2बी प्लेटफॉर्म’ के जरिये प्रकाशकों को विचारों के आदान-प्रदान, कॉपीराइट पर विचार-विमर्श और अपनी प्रकाशन सामग्री के राइट्स को हस्तांतरित करने का अवसर दिया जाता है। इस बार की मीटिंग में अंग्रेजी, हिंदी सहित सभी भारतीय और विदेशी भाषाओं की पुस्तकों के 60 से अधिक प्रकाशक शामिल थे।
पुस्तकों संग अंतरराष्ट्रीय लोक संस्कृति का पर्व
नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले में पाठकों को सम्मानित अतिथि देश सऊदी अरब का पैवेलियन खूब लुभा रहा है। मिनिस्ट्री आॅफ कल्चर, सऊदी अरब ने पुस्तकों के महाकुंभ में एक विशेष पैवेलियन तैयार किया है, जिसमें उन्होंने राजधानी रियाद, खूबसूरत पर्वतीय स्थल जद्दा, अभा, ताएफ और हफूफ की संस्कृति प्रस्तुत की गई है। युवाओं में जहाँ सऊदी अरब के प्रतिनिधियों के संग सेल्फी लेने का क्रेज हैं, वहीं उन्हें सऊदी अरब के पारंपरिक नृत्य शाबी का भी आनंद लेने का अवसर मिल रहा है। एकता भाव को दर्शाते इस नृत्य में पंक्ति में 15 से 20 लोग घेरा बनाकर तलवार उठाकर डांस करते हैं। पैवेलियन में सऊदी अरब की प्राचीन संस्कृति को दर्शाया गया है। युवा अपने नाम की कैलीग्राफी अरबी में करवाने के लिए उत्साही दिखे। यहाँ सऊदी अरब के कानून, रबाबा और तिरान प्राचीन वाद्य यंत्रों की प्रदर्शनी भी है।
इस बार बहुत से देश अपनी लोक संस्कृति को पुस्तक मेले में प्रदर्शित करने के लिए भारत आए हैं। इटली की संस्कृति को बच्चों के सामने प्रदर्शित करने के लिए यहाँ 60 चयनित पुस्तकों का सेट है, जो फिलहाल आॅनलाइन उपलब्ध है। अबुधाबी से मुस्लिम काउंसिल आॅफ एल्डर्स है, जो विश्व में अमन और शांति के भाव को लेकर हिंदी, उर्दू, अरबी, मलयालम और अंग्रेजी में पुस्तकें लेकर विश्व पुस्तक मेले में आए हैं। रूसी अनुवाद संस्थान लेखकों और प्रकाशकों को अनुदान दे रहा है। यहीं ईरान कल्चर हाउस की तरफ से ईरान की संस्कृति को दर्शाता एक स्टॉल है जहाँ पर युवाओं को पर्शियन भाषा सीखने, कैलीग्राफी सीखने और ईरान की संस्कृति को अपने सामान्य जीवन से जोड़ने के प्रयास मिलेंगे।
अंतर्राष्ट्रीय गतिविधि मंच
अंतर्राष्ट्रीय गतिविधि मंच में बोलोग्ना चिल्ड्रन बुक फेयर और बोलोना बुक प्लस पर एक सत्र आयोजित किया गया। इस सत्र में बोलोग्ना चिल्ड्रन्स बुक फेयर की निदेशक एलिना पसोली और बोलोग्ना बुक प्लस के अतिथि निदेशक जैक्स थॉमस ने अपने विचारों को साझा करते हुए बताया कि कैसे वैश्विक पुस्तक मेले प्रकाशकों और पाठकों, खासकर बच्चों की किताबों के लिए नए अनुभवों के द्वार खोल रहे हैं।
साहित्यिक अनुभवों का मंच : लेखक मंच
नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले के लेखक मंच में ‘भारतीय नारी स्थिति और गति’ पुस्तक का विमोचन एवं चर्चा सत्र का आयोजन किया गया। सत्र की अध्यक्षता कर रहे राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत के अध्यक्ष प्रोफेसर मिलिंद सुधाकर मराठे ने भारतीय दर्शन में स्त्री और पुरुष के सामंजस्य भाव और परिवार को परिभाषित करते हुए बताया कि देश के विकास में स्त्री और पुरुष दोनों का अहम योगदान है। भारत के दर्शन में स्त्री और पुरुष का जो भाव बताया गया है वह परिवार के साथ है। स्त्री और पुरुष दोनों से ही समाज के विकास में योगदान मिल सकता है। उन्होंने कहा कि कुछ परिस्थितियों के कारण महिलाओं को असमानता का सामना करना पड़ता है। पुरुषों का कर्तव्य है कि वे देश के विकास में महिलाओं को साथ लेकर चले। भारतीय दर्शन में मूल इकाई एकल न होकर परिवार की है, जिसमें आपके माता-पिता, भाई-बहन, दादी-दादा, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे और आसपास की प्रगति समाहित होती है।
इस सत्र की मुख्य अतिथि और पंजाब सरकार की प्रमुख सचिव राखी गुप्ता भंडारी ने अपने एसडीएम से डिप्टी कमिश्नर बनने के सफर और प्रशासन में अपने अनुभव पर बात करते हुए कहा कि नारी शक्ति बहुत ऊर्जावान है। वह हर काम को आसान बनाकर संभव कर सकती है। महिलाओं को पुरुषों के साथ आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। महिलाएँ नंबर एक पर, पुरुष नंबर एक पर के स्थान पर हमें 1 और 1 को 11 करना होगा तभी समाज के विकास के लिए कार्य को उचित दिशा मिलेगी।
इस अवसर पर प्रोफेसर नरेंद्र मिश्र, श्री रासबिहारी, प्रोफेसर नीलम राठी, डॉ. शम्भू नाथ मिश्र, सुश्री लिली मित्रा और डॉ. सांत्वना श्रीकांत ने भी अपने विचार रखे।
थीम पवेलियम
थीम पवेलियम में आयोजित ‘संघर्ष में नेतृत्व : नेताजी, आजाद हिंद सरकार और सैन्य परिप्रेक्ष्य’ सत्र में विचार रखते हुए रक्षा विशेषज्ञ एवं पूर्व रॉ अधिकारी और लेखक कर्नल आरएसएन सिंह ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के योगदानों का उल्लेख करते हुए बताया कि आजाद हिंद फौज द्वारा अपने कार्यों से देश की स्वतंत्रता संग्राम में लगे क्रांतिकारियों को प्रेरित किया। आजादी हिंद फौज विश्व की एक ऐसी सेना का उदाहरण है जिसने हार कर भी देश की आजादी में अहम योगदान दिया। इस अवसर पर कपिल कुमार ने बताया कि किस प्रकार से आजादी हिंद फौज के सैनिकों को यातनाएँ सहनी पड़ी। उन्होंने कहा कि विश्व के अनेक देशों के पास नेताजी से जुड़े अहम दस्तावेजों में उनके साहस और वीरता के साथ नेतृत्व क्षमता का परिचय मिलता है।
थीम मंडप तकनीकी नवाचार और बहुभाषी भारत पर आयोजित सत्र में भाषिणी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ नाग, लेखक और माइक्रोसॉफ्ट स्पोक्सपर्सन ऑन इंडियन लेंग्वेज टेक्नोलॉजिक्स के बालेंद्रू शर्मा और आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर अर्जुन ने अपने विचार रखे। समाज के सभी वर्गों विशेषकर दिव्यांगों तक साहित्य को पहुँचाने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग और क्षेत्रीय भाषाओं के अनुवाद को सुगम बनाने के लिए अनुवाद एप्लिकेशन पर जोर दिया गया। इस सत्र में क्षेत्रीय भाषाओं के लिए फोंट, यूनिकोड की बोर्ड, टाइपिंग नवाचार जैसे विषयों पर भी चर्चा हुई।
ऑर्थर कॉर्नर
नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले के ऑथर कॉर्नर में ‘वूमेन राइटर्स: क्रिएटिंग कॉम्पेलिंग कैरेक्टर्स’ सत्र में डॉ. सुषमा कास्बेलर, रश्मि वर्मा और सुहैल माथुर ने अपने विचार रखे। रश्मि वर्मा ने कहा कि एक शोध से पता चला है कि पूरे विश्व में साहित्य में चार पात्रों में से तीन पात्र पुरुष के होते हैं और एक पात्र महिला का। इसलिए इस अंतराल को पाटने के लिए आवश्यक है कि अधिक से अधिक महिलाएँ लेखन क्षेत्र में आगे आएँ। डॉ. सुषमा कास्बेलर ने पात्र चित्रण में कल्पना और वास्तविक जीवन के महत्व पर बात की।
बाल मंडप
नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले के बाल मंडप में आयोजित प्रख्यात कथाकार अमृत नागपाल ने बहुभाषी भारत की जीवंत परंपरा के तहत बच्चों को “चिड़िया का दाना” नामक एक बहुत ही रोचक कहानी भोजपुरी शैली में सुनाई। यह कहानी नानी माँ के बच्चों को प्यार-दुलार पर आधारित थी।
इतालवी-फ्रांसीसी लेखिका और चित्रकार सोफी बेनिनी ने मनमोहक चित्रों और रंगीन कागज की पंखुड़ियों के माध्यम से “द इरिसॉल्यूट फ्लावर” नामक कहानी के माध्यम से बच्चों में रचनात्मकता को बढ़ाने का संदेश दिया।
नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले के बाल मंडप में आयोजित होने वाले कार्यक्रम ‘इंक एंड इमेजिनेशन’ में लेखन कला की बारीकियाँ सिखाई गई।
जम्मू, कश्मीर एवं लद्दाख : सांस्कृतिक निरंतरता
नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले के हॉल 5 में एक मनोरम प्रदर्शनी लगी है जो जम्मू, कश्मीर और लद्दाख की जीवंत झलक दिखाती है। इसके माध्यम से इस क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक और सामाजिक विरासत को दर्शाया गया है। यहाँ आने पर आगंतुकों का स्वागत डल झील का प्रसिद्ध शिकारा करता है जो कश्मीर घाटी की सुंदरता को दर्शाता है। यह प्रदर्शनी इतिहास की एक व्यापक यात्रा कराती है, जिसमें सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और कलात्मक विकास को दर्शाया गया है। पवित्र भोटी भाषा का विकास, जो कि लद्दाख में ब्राह्मी लिपि से प्राप्त हुई है, और लद्दाख में सबसे बड़े और सबसे पुराने राजसी द लामयुरु मठ जैसे स्थलों का परिचय देती है। यहाँ कश्मीर के सूफी मंदिरों के साथ-साथ लेह के भव्य महलों को भी प्रदर्शित किया गया है। पाकिस्तान के खिलाफ 1947-48 के अभियानों के दौरान अपनी वीरता के लिए परमवीर चक्र, महावीर चक्र और वीर चक्र से सम्मानित भारत के सपूतों की शोर्यगाथा भी दशाई गई है। इसके अलावा आदि शंकराचार्य से लेकर श्यामा प्रसाद मुखर्जी तक जम्मू और कश्मीर के इतिहास से जुड़े महानायकों के बारे में बताया गया है। अध्यात्मक एवं सद्भाव का प्रतीक रहे कश्मीर के बारे में अनेक रोचक जानकारियों से संपन्न यह मंडप सभी के आकर्षण का केंद्र बन रहा है।
सांस्कृतिक कार्यक्रम
नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले में आकर्षण का केंद्र रहे सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अंतर्गत सऊदी अरब द्वारा अर्ध नृत्य की प्रस्तुति हुई। डीपीएस रोहिणी विद्यालय द्वारा अंग्रेजी साहित्य के इतिहास की झलक दिखाती नाट्य प्रस्तुति को काफी सराहा गया। डीटीयू ड्रोमेटिक्स एंड फिल्ममेकिंग सोसायटी द्वारा भाषा मिलन नाटक के मंचन ने दर्शकों का मन मोह लिया। अहमदाबाद अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक महोत्सव द्वारा गरबा प्रस्तुति पर युवा थिरकते रहे। नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में श्लोविज ऑफ हसल 2.0 फ्रेम द्वारा संस्कृत रैपर की प्रस्तुति दी गई। इंडी फोक फ्यूजन बैंड द्वारा युग्म बैंड की प्रस्तुति को भी काफी सराहा गया।
रिपोर्ट: इरफान जामियावाला