महजबीं; #ट्रेजिडी_क्वीन!!!!आज यौम ए वफ़ात पर ख़िराज
१९७६ , मैं पहली बार अम्मा और अपने भाइयों के साथ मुंबई अपने घर गया था सांताक्रूज़, एस वी रोड पर मेरे घर से ५०० गज़ की दूरी पर मिलन सिनेमा था (शायद अब भी है ). अब्बा के साथ एक शाम हम लोग एक फिल्म देखने गए टाकीज़ में फिल्म का नाम था “पाकीज़ा ” मेरी पहली फिल्म ,एक शानदार साज़ ओ सज्जा से सजी उस फिल्म की हीरोइन निहायत ही सौम्य , सुंदर और भारतीय नारी का प्रतिबिम्बन करने वाली लड़की जिसके बाएं हाथ में हमेशा रूपट्टा सबसे छोटी ऊँगली में लिपटा रहता जो उनकी अदा थी और बाद में पता चला कि शायद उनकी इक ऊँगली में कोई नुक़्स था शायद। .
८५ साल पहले मीना कुमारी जिनका असल नाम महजबीन था , १९३३ में आज ही के दिन मुंबई में पैदा हुईं थी। बचपन में ही माँ बाप ने उन्हें घर से निकल दिया जिसके बाद उनके जीवन की बेइंतेहा तकलीफ़देह और बेपनाह जद्द ो जेहद से भरी ज़िन्दगी की शुरुआत होती है। एक अदाकारा , एक शायरा जो नाज़ के गुमनाम तखल्लुस से शायरी करती थीं और एक सिंगर और बेहतरीन इंसान जिनकी ज़िन्दगी के सोज़, ग़म, आहें , नाकामियों और दुखों ने शराब में ग़र्क़ होने को मजबूर कर दिया और इस बुरी शै ने उन्हें लिवर सिर्रोसिस जैसी खतरनाक बीमारी में गिरफ्तार क्र डाला. बाद में कसरत ए शराबनोशी , अज़ीयत ए तन्हाई और उनके अपनों की बेरुख़ी ने वक़्त से पहले ही जहांन ए फ़ानी से अलविदा लेने को मजबूर कर दिया। पाकीज़ा के बाद से मैंने शायद उनकी तमाम फिल्मों को हमेशा इस शौक़ से देखा कि वो हिन्दुस्तानी सिनेमा के इतिहास का वो सितारा हैं जिनकी चमक रहती दुनिया तक कभी भी धूमिल नहीं हो सकेगी। आखिर में उनकी मौत के १५ साल के बाद आयी ‘मीना कुमारी की अमर कहानी में ” मधुबाला और महजबीन के कर्ब ओ इज़्तेराब को फिल्मकार सोहराब मोदी ने जिस अंदाज़ में पेश किया है वो सुनंने लायक है.
ट्रेजेडी क्वीन , महजबीन जो नाज़ के नाम से लिखती रही है जिनके बारे में महान फिल्मकार सत्यजीत रे ने कहा था
” भारतीय सिनेमा में मीना कुमारी से शानदार अभिनय कोई कर ही नहीं सकता “. और महानायक अमिताभ बच्चन ने एक बार कहा था ” कोई नहीं कोई भी नहीं , जिस अंदाज़ में मीना कुमारी जी ने संवाद अदाएगी की है फिल्मो में कोई नहीं ,कोई भी नहीं कर सकेगा, और शायद कभी भी नहीं “. महान संगीत कार नौशाद ने कहा था कि फ़िल्मी दुनिया में कई बेहतरीन अदाकारा पैदा हो सकती हैं , होंगी पर मीना कुमारी तो नहीं होगी “
कभी “परिणीता” की “काजल” देखिये गा आपका ज़हन “पाकीज़ा” हो जायेगा और “साहब बीबी और ग़ुलाम” कि वो वधु आपके रगों में उतर जाएगी जिसे दुनिया मीना कुमारी के नाम से जानती है। नफ़रत -मुहब्बत के हिचकोले लेती मीना ज़िंदगी की दास्तान न सिर्फ़ दर्दनाक है बल्कि अफसोसनाक भी।
ख़िराज ए अक़ीदत के साथ
इरफान जामियावाला