कोलकाता, 19 अक्टूबर 2024: करवा चौथ का त्योहार देश के विभिन्न हिस्सों में मनाया जाता है, लेकिन पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में इसकी लोकप्रियता हाल के वर्षों में तेजी से बढ़ी है। पारंपरिक रूप से उत्तर भारत, खासकर पंजाब, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में मनाया जाने वाला यह व्रत अब पश्चिम बंगाल में भी धूमधाम से मनाया जाने लगा है।
करवा चौथ का महत्त्व
करवा चौथ का व्रत विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी आयु और समृद्ध जीवन के लिए किया जाता है। व्रती महिलाएं दिनभर निर्जला उपवास करती हैं और रात को चांद को अर्घ्य देकर व्रत तोड़ती हैं। पश्चिम बंगाल में महिलाएं अब न सिर्फ अपनी परंपराओं को निभा रही हैं, बल्कि दूसरे राज्यों की परंपराओं को भी अपना रही हैं, जिनमें करवा चौथ प्रमुख है।
पश्चिम बंगाल में बढ़ती लोकप्रियता
पश्चिम बंगाल में करवा चौथ की बढ़ती लोकप्रियता का कारण सांस्कृतिक आदान-प्रदान और बॉलीवुड फिल्मों का प्रभाव है। फिल्मों में करवा चौथ के रोमांटिक दृश्यों ने इस पर्व को राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय बनाया है। यहां के मॉल्स, बाजारों और साड़ी की दुकानों में करवा चौथ से जुड़ी विशेष तैयारियां देखी जा सकती हैं। खासकर कोलकाता में, विवाहित महिलाएं इस दिन खासतौर पर सज-धज कर अपने पति के साथ इस पर्व को मनाती हैं।
बदलती परंपराएं
पश्चिम बंगाल में करवा चौथ के साथ कुछ नयी परंपराओं का भी उदय हो रहा है। यहां कई महिलाएं पारंपरिक बंगाली परिधान, जैसे लाल बॉर्डर वाली सफेद साड़ी पहनकर इस पर्व को मनाती हैं। साथ ही, मेहंदी और सोलह श्रृंगार की परंपरा का पालन करते हुए वे इस दिन को खास बना रही हैं। कुछ युवा जोड़े इसे एक अवसर के रूप में भी देख रहे हैं, जहां वे अपनी एकजुटता और प्यार का इजहार कर सकते हैं।
सामाजिक मंचों पर करवा चौथ का प्रभाव
सोशल मीडिया पर भी करवा चौथ की धूम देखी जा सकती है। महिलाएं अपने सजने-संवरने और व्रत के अनुभवों को साझा करती हैं, जिससे यह पर्व और भी व्यापक रूप से फैल रहा है। पश्चिम बंगाल में कई महिलाएं अब सोशल मीडिया पर अपनी करवा चौथ की तस्वीरें और वीडियो साझा करती हैं, जिससे इसे मनाने की प्रेरणा और उत्साह और बढ़ता है।
संस्कृति और आधुनिकता का मिश्रण
हालांकि पश्चिम बंगाल में करवा चौथ का व्रत नई परंपरा के रूप में उभर रहा है, लेकिन यहां की महिलाएं इसे अपने सांस्कृतिक परंपराओं के साथ संतुलित करते हुए मना रही हैं। यह पर्व अब न केवल पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत करने का प्रतीक बन गया है, बल्कि इसमें बंगाली संस्कृति की भी झलक देखने को मिल रही है।
करवा चौथ के इस उत्सव ने पश्चिम बंगाल में न केवल प्यार और समर्पण की भावना को मजबूत किया है, बल्कि यह पर्व देश के विविधतापूर्ण संस्कृति में एक और रंग जोड़ रहा है।
देबांजलि दास (राज्य प्रमुख,प. बंगाल)