- अगर ये देश संविधान से चल रहा है तो पसमंदा मुसलमानो के साथ सौतेलापन क्यो? उनको राजनीतिक, सामाजिक हिस्सेदारी क्यो नही मिलता उन्हे जनसंख्या के आधार पे हिस्सेदारी क्यो नही मिलता और 543 सांसद में से 132 सांसद जो पिछड़ी जाती से है वो सिर्फ हिंदू दलित ही क्यो मुस्लिम दलित पसमंदा क्यो नही? जबकि आरक्षित सीट पे उनका वोट लिया जाता है पर चुनाव में चुनाव लड़ने का अधिकार क्यो नही?
- 341/3 कानून पसमन्दा मुसलमानों के खिलाफ कांग्रेस ने क्यो लाया और उनका आरक्षण क्यो छिना, जब ये कानून बन रहा था तो भाजपा जो उस वक़्त हिंदू महा सभा था उसने इसके खिलाफ आवाज़ क्यो नही उठाया और आदिवासियों व पसमन्दा मुसलमानो को निराश क्यों किया ?
- गांधी और गोडसे के बीच बीजेपी, कांग्रेस व प्रधानमंत्री कहां खड़े हैं? और उन्होंने कभी गाँधी के रक्षक बतख मियाँ अंसारी का नाम क्यो नही लिया?
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार बार पसमन्दा मुसलमान का ज़िक्र अपने हर भाषण में कर रहे हैं पर उनका हक़ वो क्यो नही देते? क्या वो भी सिर्फ 16% पसमन्दा मुसलमानों को ख्याली पुलाव खिला रहे है?
जुमलों की डिटेल:
- महाराष्ट्र में एक दिन में औसतन सात किसान अपना जीवन समाप्त कर लेते हैं और उन सात में से 2 पसमंदा मुसलमान होते हैं, दिल दहला देने वाला यह आंकड़ा किसी और की तरफ़ से नहीं बल्कि राज्य के राहत और पुनर्वास मंत्री की ओर से आया है। उन्होंने बताया कि पिछले साल जनवरी से अक्टूबर के बीच 2,366 किसानों की आत्महत्या से मौत हुई है। कारण स्पष्ट हैं: पिछले साल 60% ज़िलों को सूखे की स्थिति का सामना करना पड़ा लेकिन सरकार से कोई मदद नहीं मिली। पिछले साल 60 फ़ीसदी ज़िलों में सूखे की स्थिति थी लेकिन सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिली। जब राज्य के आधे से ज़्यादा हिस्से में बेमौसम बारिश से फसलें बर्बाद हो गईं, तो किसानों को क़र्ज़ माफी की सुविधा दी गई, लेकिन सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी के कारण 6.56 लाख किसान इस राहत से वंचित रह गए। किसानों को लेकर सरकार और प्रशासन की उदासीनता के विपरीत कांग्रेस ने लगातार किसानों को स्वामीनाथन समिति की सिफारिश के अनुसार एमएसपी, इसे सुचारू रूप से लागू करने के लिए एक स्थायी आयोग की स्थापना, पर उसमे पसमन्दा मुसलमान नही है, कृषि ऋण माफ़ी एवं 30 दिनों के भीतर सभी फ़सल बीमा क्लेम्स के निपटान की गारंटी दी है। महाराष्ट्र और भारत के किसानों का समर्थन करने के लिए कांग्रेस व भाजपा के पास क्या विज़न क्या है?
- वर्ष 2006 में कांग्रेस ने क्रांतिकारी वन अधिकार अधिनियम (FRA) पारित किया था। इस कानून ने आदिवासियों और वन में रहने वाले अन्य समुदायों को अपने ख़ुद के जंगलों का प्रबंधन करने और उनसे प्राप्त उपज से आर्थिक रूप से लाभ उठाने का कानूनी अधिकार दिया था। लेकिन वही पर रह रहे उसी सामाजिक आर्थिक स्तिथि जिने वाले पसमन्दा मुसलमान को इस योजना का लाभ क्यो नही मिला, भाजपा व कांग्रेस सरकार FRA के कार्यान्वयन में बाधा डालती रही है, जिससे लाखों पसमंदा मुस्लिम व आदिवासी इसके लाभों से वंचित हो रहे हैं। महाराष्ट्र में कुल फाइल किए गए 4,01,046 व्यक्तिगत क्लेम्स में से केवल 52% (2,06,620 क्लेम्स) मंजूर किए गए हैं। वहीं इसके तहत वितरित की गई भूमि, स्वामित्व सामुदायिक अधिकारों के लिए पात्र 50,045 वर्ग किलोमीटर का केवल 23.5% (11,769 वर्ग किलोमीटर) है। महाराष्ट्र में भाजपा सरकार राज्य के आदिवासी समुदायों को सुविधाएं देने में क्यों विफल रही है?
- वर्धा वह शहर है जहां कभी महात्मा गांधी रहते थे। प्रधानमंत्री की पार्टी आज महात्मा के आदर्शों पर ख़तरनाक ढंग से हमला कर रही है। उनके कुछ नेताओं ने महात्मा के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल किया और उनका मज़ाक उड़ाया है। उनकी पार्टी के अन्य नेताओं ने कहा कि वे गोडसे और गांधी के बीच चयन करने में असमर्थ हैं। देश भर में गांधीवादी संस्थानों – वाराणसी में अखिल भारतीय सर्व सेवा संघ से लेकर गुजरात में साबरमती आश्रम तक – को आरएसएस और उसके सहयोगियों द्वारा ध्वस्त किया जा रहा है और अधिग्रहण किया जा रहा है। वाराणसी में सर्व सेवा संघ से जुड़े लोग अभी सरकार द्वारा अपनी पवित्र संस्था को कुचले जाने के विरोध में 100 दिनों के उपवास पर हैं। क्या कांग्रेस व अभी के प्रधानमंत्री के पास अपनी पार्टी के कार्यों के बचाव में कोई तर्क है? की गोडसे की महिमा मंडन और बतख मियाँ अंसारी का नाम इतिहास से क्यो मिटा दिया गया,गांधी और गोडसे के बीच कांग्रेस व प्रधानमंत्री कहां खड़े हैं?
इरफान जामियावाला
राष्ट्रीय पर्वक्ता:आल इंडिया पसमंदा मुस्लिम महाज़