दिनांक /08/11/2024
पाटन / भारत रत्न विनोबा भावे कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र मर्रा,पाटन में लोकमाता देवी अहिल्याबाई होलकर की त्रि-शताब्दी जयंती समारोह का आयोजन किया गया!
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि व प्रमुख वक्ता के रूप में डॉ. टोपलाल वर्मा प्रांत- संघचालक,राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ छ.ग. प्रांत, अध्यक्षता डॉ. अजय वर्मा अधिष्ठाता, और विशिष्ट अतिथि श्री पालेश्वर ठाकुर सरपंच ग्राम -पंचायत, मर्रा रहें!
कार्यक्रम का शुभारम्भ माँ भारती एवं छत्तीसगढ़ महतारी के तैल-चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन के पश्चात छत्तीसगढ़ के राजकीय गीत के साथ किया गया!
लोक कल्याण एवं सशक्त राष्ट्र के निर्माण में अनुकरणीय है देवी अहिल्याबाई का जीवन- डॉ.टोपलाल वर्मा
मुख्य अतिथि एवं प्रमुख वक्ता डॉ. टोप लाल वर्मा ने कहा कि देवी अहिल्याबाई ने कठिन परिस्थिति के उपरान्त भी 28 वर्ष तक कुशलता से होलकर साम्राज्य का संचालन किया। उनकी जीवन मैं बड़े ही विकट क्षण आए अल्पायु में ही पति की मृत्यु उसके उपरांत होलकर साम्राज्य के महाराज एवं देवी अहिल्याबाई होलकर के ससुर का निधन ,उसके बाद उनके पुत्र का निधन तथा बाद में उनके पुत्री का सती हो जाना एक महिला की जिंदगी को झकझोर कर रख देने वाली घटना थी… परंतु उन्होंने जनता के कल्याण को सर्वोपरि मानते हुए तथा छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा स्थापित हिंदवी स्वराज्य व उनकी कल्पनाओं के अनुरूप भगवान शिव की भक्ति में लीन होकर लोक कल्याणकारी राज्य व्यवस्था को साकार रूप दिया। 100 से अधिक तीर्थ स्थलों पर धर्मशालाएं, अन्न क्षेत्र और जल संरचनाओं का निर्माण करवाया!विदेशी आक्रमणकारियों और मुगल साम्राज्य द्वारा ध्वस्त हो चुके, भारत के तीर्थ स्थलों के पुनर्निर्माण एवं जीर्णोद्धार करने के पीछे उनका उद्देश्य मात्र पुण्य लाभ प्राप्त करना ही नहीं, अपितु भारत की अस्मिता को पुनर्स्थापित करना और राष्ट्र के गौरव को बढ़ाना था
मुख्य अतिथि डॉ.वर्मा ने बताया कि भारत की एकात्मता में तीर्थ यात्राओं का बहुत बड़ा योगदान रहा है, किंतु तीर्थ स्थलों पर सुविधाओं व सुरक्षा के अभाव के कारण देशभर से आने वाले तीर्थ यात्रियों की संख्या निरंतर घट रही थी। तीर्थ स्थल भी उजाड़ तथा वीरान हो चुके थे। इसी उद्देश्य से उन्होंने देश के 100 से अधिक तीर्थ स्थलों पर धर्मशालाओं, अन्नक्षेत्रों तथा जल संरचनाओं का निर्माण करवाया। गुलामी के कारण दुर्दशा को प्राप्त काशी विश्वनाथ तथा सोमनाथ मंदिर का भी पुनरुद्धार उन्होंने करवाया। देवी अहिल्याबाई द्वारा करवाए गए इन निर्माणों को भारत के मानचित्र पर देखने पर हम उनकी अखिल भारतीय दृष्टि से परिचित होते हैं। यह तीर्थ स्थान दक्षिण में रामेश्वरम से लेकर उत्तर में केदारनाथ तक तथा पश्चिम में सोमनाथ से लेकर पूर्व में जगन्नाथपुरी तक देखने को मिलते हैं। इतनी बड़ी संख्या में इतने अधिक स्थानों पर और इतने बड़े क्षेत्र में करवाए गए निर्माण कार्य का यह विश्व में एकमात्र उदाहरण है।
देवी अहिल्याबाई की दूरदर्शिता ,साहस ,न्याय प्रिय व्यवस्था, अपने साम्राज्य की जनता के प्रति लगाव, धर्म परायणता उन्हें लोकमाता का दर्जा प्रदान करती है. महारानी होते हुए भी उसकी सरल एवं सादगी पूर्ण जीवन शैली , प्रशासनिक कुशलता तथा सशक्त भारत के निर्माण में लोक कल्याणकारी कार्य , धार्मिक कार्य उन्हें पुण्यश्लोक का दर्जा प्रदान करती है!
होलकर राज्य के सिक्के तथा मुद्रा पर भगवान शिव शंकर का चित्र बनाया था! देवी अहिल्या बाई द्वारा पेड़ लागने के लिए लोगों कों प्रेरित करती थी आर्थिक स्वालंबन को बढ़ावा देती थी े!
उनके लिये राष्ट्र सर्वोपरि था ,सती प्रथा जैसे कुरुतियों कों बंद करके उन्होंने समाज में लड़कियों एवं महिलाओं के शिक्षा एवं उनके उत्थान को प्राथमिकता देते हुए अनेक कार्य किया एवं नारी सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया.
इस प्रकार माननीय मुख्य अतिथि महोदय ने देवी अहिल्याबाई होल्कर की जीवन की प्रत्येक पहलुओं पर गहराई से प्रकाश डाला तत्पश्चात विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे विकसित राष्ट्र बनाने में देवी अहिल्याबाई के जीवन के आदर्शों को आत्मसात कर राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दे, आज युवा वर्ग ही सशक्त राष्ट्र का निर्माण कर भारत को विकसित भारत बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है
कुशल प्रशासक थी देवी अहिल्याबाई होलकर-डॉ अजय वर्मा
कार्यक्रम की अध्यक्षीय उद्बोधन में कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र मर्रा के अधिष्ठाता डॉ. अजय वर्मा ने देवी अहिल्याबाई के द्वारा लोक कल्याण के लिए किए गए कार्यों पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला, उन्होंने कहा कि भारतवर्ष में हम विभिन्न महापुरुषों के द्वारा किए गए कार्यों तथा जीवन से शिक्षा लेते हुए उनके द्वारा बताए गए मार्गो का अनुसरण करें, तो निश्चित ही विद्यार्थियों में अपने समृद्ध इतिहास के प्रति लगाव जागृत होगा, अपने राष्ट्रीय महत्व को जानने का मौका मिलेगा, उनके योगदान से सीख लेकर राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देने के लिए विद्यार्थियों से आह्वान किया गया ! देवी अहिल्याबाई ने कठिन परिस्थिति के उपरान्त भी 28 वर्ष तक कुशलता से होलकर साम्राज्य का संचालन किया। लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना की! नारी सशक्तिकरण एवं अन्य लोकहित कार्यों को सर्वोपरि मानते हुए एक कुशल प्रशासक की भूमिका निभाई सही मायनो न्याय धर्म एवं समर्पण की प्रतिमूर्ति थी देवी अहिल्याबाई !
इससे पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत श्री प्रवीण कुमार साहू सहायक- पुस्तकालयाध्यक्ष , कृषि महाविद्यालय अनुसंधान केंद्र , द्वारा महारानी देवी अहिल्याबाई होलकर के जीवन परिचय को संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत करते हुए त्रि-शताब्दी जयंती समारोह के आयोजन के उद्देश्य पर प्रकाश डाला गया!
ग्राम के सरपंच श्री पालेश्वर ठाकुर ने भी महारानी देवी अहिल्याबाई के जीवन पर संक्षिप्त में अपने विचार व्यक्त किया.
इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महाविद्यालय की छात्र-छात्राएं आत्मानंद स्कूल, मर्रा के विद्यार्थीगण, आसपास ग्राम के आमंत्रित नागरिक गण प्रिंट मीडिया एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार गण उपस्थित थे.
इससे पूर्व कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र मर्रा के एन.एस.एस इकाई द्वारा अंचल के समीपस्थ ग्राम सांतरा के शासकीय स्कुल में देवी अहिल्या बाई होल्कर की त्रिशताब्दी जयंती समारोह मनाई गई!जंहा पर देवी अहिल्या बाई होल्कर की जीवनी पर विस्तार से बताया गया!
कार्यक्रम का सफल संचालन श्री प्रवीण कुमार साहू के द्वारा किया गया तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ आशीष तिवारी द्वारा किया गया.
इस अवसर पर प्रमुख रूप से प्राध्यापक डॉ. सी.आर.नेताम,सह -प्राध्यापक डॉ. नीतू स्वर्णकार, डॉ. मधुलिका सिंह, डॉ. अंजली वर्मा, डॉ. रेवेन्द्र कुमार साहू, डॉ. नियती पाण्डेय,श्रीमती मैरी सुचिता, डॉ. किरण कुमार, डॉ. तृप्ति ठाकुर, डॉ. पूनम कुमारी, डॉ. रैना बाजपेई, डॉ. मंजू ध्रुव, डॉ. विनीता झोड़ापे, श्री हेमंत कुमार साहू, श्री लुकेश कुमार महानन्द,श्री तरुण चंद्राकर, श्रीमती गीतिका पियूष, श्रीमती खिलेश्वरी साहू, श्री सूरेश लोखंडे, शिक्षक राजेश साहू, पत्रकार राजू वर्मा,उमाशंकर वर्मा, लाला राम वर्मा, लखन लाल वर्मा, रोमशंकर यादव, तुलाराम वर्मा, किशोर साहू, अरुण वर्मा, सहित महाविद्यालय के अधिकारी, कर्मचारी तथा बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहें!
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