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अयोध्या: साहित्य और सिनेमा के संगम पर आधारित अयोध्या फिल्म फेस्टिवल के दौरान एक महत्वपूर्ण साहित्यिक उपलब्धि देखी गई, जब छत्तीसगढ़ के जाने-माने कवि सूर्य प्रताप रेपल्ली राव की बहुप्रतीक्षित कविता संग्रह *”झील सी आंखों में” का विमोचन जाने माने मुंबई के फिल्म निर्माता निर्देशक ने किया गया।

इस कार्यक्रम में देशभर से ही नहीं बल्कि कई देशों से भी साहित्य, कला और सिनेमा से जुड़े कई प्रतिष्ठित व्यक्तियों , निर्माता निर्देशक भी उपस्थित थे। पुस्तक विमोचन समारोह का संचालन अत्यंत गरिमामय वातावरण में हुआ, जिसमें लेखक सूर्य प्रताप राव रेपल्ली की रचनात्मकता और उनके योगदान की प्रशंसा की गई।

“झील सी आंखों में” की विशेषता:
इस कविता संग्रह में सूर्य प्रताप राव रेपल्ली ने मानवीय भावनाओं, प्रकृति, प्रेम, और समाज के विविध पहलुओं को अनूठे अंदाज में प्रस्तुत किया है। उनकी कविताएँ पाठकों को भावनाओं की गहराई में ले जाती हैं और उनकी सरल, लेकिन प्रभावशाली भाषा दिलों को छू लेती है।

इस अवसर पर लेखक ने कहा,
“यह पुस्तक मेरे जीवन और अनुभवों का प्रतिबिंब है। ‘झील सी आंखों में केवल एक कविता संग्रह नहीं, बल्कि भावनाओं का ऐसा दर्पण है, जिसमें हर पाठक खुद को देख सकेंगें और अपने दिल से इसे महसूस कर आनंदित भी होगें।”*

विमोचन के दौरान चर्चा:
कार्यक्रम में साहित्य और कला की परस्पर भूमिका पर भी चर्चा हुई। अतिथियों ने कहा कि फिल्म और साहित्य एक-दूसरे के पूरक हैं, और साहित्य के माध्यम से सिनेमा को समृद्धि मिलती है।

  • अयोध्या फिल्म फेस्टिवल की सराहना:**
    फेस्टिवल के आयोजकों ने साहित्यिक योगदान को मंच देने के लिए इस पहल की सराहना की। उन्होंने कहा,
    “हम चाहते हैं कि साहित्य और सिनेमा दोनों का एक साथ विकास हो, और ऐसे प्रयास इसे संभव बनाते हैं।”

पुस्तक को लेकर प्रतिक्रियाएँ:
विमोचन के बाद पुस्तक को काफी सराहना मिली। दर्शकों ने इसे आधुनिक हिंदी साहित्य में सूर्य प्रताप राव रेपल्ली के इस प्रयास को एक महत्वपूर्ण योगदान बताया।

“झील सी आंखों में जल्द ही सभी प्रमुख पुस्तक दुकानों और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध होगी।**
यह समारोह साहित्य प्रेमियों के लिए एक यादगार अनुभव साबित हुआ, जहाँ सिनेमा और साहित्य के संगम ने एक नई दिशा का संकेत दिया।

Umesh Solanki

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