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संस्कृति विभाग अंतर्गत संचालनालय पुरातत्व, अभिलेखागार एवं संग्रहालय और इंटरनेशनल कौंसिल ऑफ म्यूज़ियम्स इंटरकॉम के संयुक्त तत्वाधान में अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस 2025 के थीम “तेजी से बदलते समुदायों में संग्रहालय का भविष्य” पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभआज महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय रायपुर के सभागार में सम्पन्न हुआ।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में देश के वरिष्ठ संग्रहालय विज्ञानी और अहमदाबाद वर्ल्ड हेरिटेज सिटी के एक्सपर्ट समिति के सदस्य डॉ. नंदन शास्त्री और विशिष्ट अतिथि के रूप में छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ साहित्यकार आचार्य रमेन्द्रनाथ मिश्र, अंतर्राष्ट्रीय रामकथा संग्रहालय अयोध्या के निदेशक डॉ. संजीव कुमार सिंह और इंटरनेशनल कौंसिल ऑफ म्यूज़ियम इंटरकॉम की बोर्ड मेंबर सुश्री रीना दीवान आमंत्रित किये गए थे। संचालक श्री विवेक आचार्य ने उपस्थित वक्ताओं और प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम के उद्देश्य और रूपरेखा का परिचय दिया।

मुख्य अतिथि की आसंदी से बोलते हुए डॉ. नंदन शास्त्री ने संग्रहालयों में नवीन तकनीक के उपयोग द्वारा संग्रहालय दर्शन के अनुभव को वास्तविक बनाने और नव संग्रहालय की अवधारणा पर प्रकाश डाला तथा अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस 2025 के थीम पर आधारित संगोष्ठी की प्रासंगिकता के बारे में बतलाया। डॉ. संजीव कुमार सिंह ने अपने आधार वक्तव्य में गतिशील संग्रहालय और संग्रहालय में कहानी कहने की मिश्रित शैली और 7डी तकनीक के उपयोग द्वारा संग्रहालय विजिट को अविस्मरणीय बनाने के तकनीक पर विस्तार से बात की।

संगोष्ठी के प्रभारी अधिकारी डॉ. पी.सी. पारख, उप संचालक, श्री प्रवीन तिर्की और डॉ. राजीव मिंज ने संगोष्ठी के प्रोसिडिंग्स “डिस्कोर्सेस ऑन दि फ्यूचर ऑफ म्यूजियम्स इन रैपिडली चेंजिंग कम्यूनिटीज” के विमोचन में अतिथियों को सहयोग प्रदान किया। इस पुस्तिका में संगोष्ठी के व्याख्यानों का संकलन प्रकाशित है। इस अवसर पर सरगुजा एव सूरजपुर जिला पुरातत्त्व संघ कीओर से डॉ मोहन साहू ने जिला स्तर पर संचालित संग्रहालयों के संदर्भ में चर्चा किया गया डॉ मोहन साहू ने बताया कि सरगुजा सूरजपुर जिले में पुरातात्विक महत्व की चीजे भरी पड़ी है जिनको सहेजने की जरूरतों पर बल दिया गया दूसरे अकादमिक सत्रों में 04 व्याख्यान हुए। रेवेंशाँ यूनिवर्सिटी कटक के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. उमाकांत मिश्रा (ओडिशा) ने शोरगुल से भरी दुनिया में पुरानी कथाओं को कहने और संजाने के माध्यम के रूप में संग्रहालय के आयामों पर अपनी बात ओडिशा राज्य संग्रहालय के संदर्भ में रखी। एंथ्रोपोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के अधीक्षण एंथ्रोपोलॉजिस्ट और उप क्षेत्रीय कार्यालय जगदलपुर के प्रमुख डॉ. पीयूष रंजन साहू ने संग्रहालय के डिजायनिंग में सुलभता और समावेशन की आवश्यकता पर बात रखते हुए आधुनिक संग्रहालयों में तकनीक के प्रयोग द्वारा उन्हें अधिक उपयोगी और विजिटर फ्रेंडली बनाने के बारे श्रोताओं को बतलाया।
इस अवसर पर संचालनालय पुरातत्त्व, अभिलेखागार एवं संग्रहालय रायपुर और छत्तीसगढ़ टूरिज्म बोर्ड के साथ आईआईटी भिलाई के मध्य एमओयू संपन्न हुआ। उल्लेखनीय है कि भारतीय प्रौधोगिकी संस्थान के निदेशक और देश के सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक प्रो. राजीव प्रकाश और सेंटर फॉर कल्चर, लैंग्वेज एंड ट्रेडिशन के समन्वयक डॉ. अनुभव प्रधान सहित आरएंडडी के डीन और सेंटर के सह समन्वयक और छत्तीसगढ़ टूरिज्म बोर्ड के स्टाफ भी इस अवसर पर उपस्थित थे। प्रो. राजीव प्रकाश एवं श्री विवेक आचार्य ने दोनों संस्थाओं के मध्य हो रहे एमओयू के उद्देश्यों और इसके परिणामों पर विस्तार से चर्चा की। भारतीय प्रौधोगिकी संस्थान के निदेशक ने बतलाया कि इस समझौते से दोनों संस्थाओं को लाभ होगा और कला तथा विज्ञान मिलकर काम करेंगे जिससे प्रदेश के धरोहरों और पर्यटन स्थलों को विकसित करने में बहुत प्रगति होगी।


संगोष्ठी में छत्तीसगढ़ के श्री शंकराचार्य प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी भिलाई के पूर्व कुलपति एवं वरिष्ठ पुराविद प्रो. प्रो. एल.एस. निगम, संस्कृति विशेषज्ञ श्री अशोक तिवारी सहित रायपुर के गणमान्य एवं प्रबुद्धजन, जिला पुरातत्त्व संघ संग्रहालय के प्रतिनिधि, जनजातीय संग्रहालय रायपुर के स्टॉफ, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय और आफ्ट यूनिवर्सिटी रायपुर के विद्यार्थी और शोधार्थी सम्मिलित हुए। 18 मई अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस 2025 के उपलक्ष्य में महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय रायपुर के सभागार में संस्कृति विभाग अंतर्गत संचालनालय पुरातत्व, अभिलेखागार एवं संग्रहालय और इंटरनेशनल कौंसिल ऑफ म्यूज़ियम इंटरकॉम के संयुक्त तत्वधान में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के अंतिम दिन आज विद्वानों और प्रतिभागियों ने पुरखौती मुक्तांग और नवनिर्मित आदिवासी संग्रहालय का अवलोकन किया। गुजरात, पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश से आए विद्वानों ने दोनों संग्रहालयों में प्रदर्शित जनजातीय और पुरातत्त्वीय धरोहरों को नजदीक से देखा और उनके बारे में जानकारी प्राप्त की। ट्राइबल रिसर्च एंड ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट के अधिकारियों ने संगोष्ठी के प्रतिभागियों को संग्रहालय भ्रमण में सहयोग प्रदान किया। पुरखौती मुक्तांगन में आयोजित समापन सत्र के पहले देश में विज्ञान संग्रहालयों के जनक डॉ. सरोज घोष के निधन का शोक प्रस्ताव कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। समापन सत्र में संगोष्ठी के प्रभारी अधिकारी डॉ . पी. सी. पारख, डॉ. अमित सोनी, सुश्री रीना दीवान, श्री अशोक तिवारी, महावीर इंटर कॉन्टिनेंटल सर्विस ऑर्गेनाइजेशन के श्री लोकेश कावड़िया और अन्य पदाधिकारी भी उपस्थित थे। जांजगीर चांपा जिला पुरातत्त्व संघ की ओर से श्री सतीश कुमार सिंह ने और एएएफटी यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों ने तथा वक्ताओं के बीच से डॉ. सोनी और सुश्री दीवन ने अनुभव साझा किए और आयोजन की विशेषताओं को उजागर किया। महावीर इंटर कॉन्टिनेंटल सर्विस ऑर्गेनाइजेशन के श्री लोकेश कावड़िया और साथ के अन्य पदाधिकारियों ने हर साल की भांति आज भी संग्रहालय में धरोहर को सहेज कर रखने का काम करने वाले सभी संग्रहालय कर्मियों का सम्मान किया। धन्यवाद ज्ञापन से साथ संगोष्ठी संपन्न हुआ।

Umesh Solanki

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