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शनि जयंती 2023: 19 मई 2023 को शनि जयंती का पर्व है। शनि देव की कृपा पाने के लिए हिंदू धर्म में इस दिन का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता है कि जो इस दिन शनि देव की भक्ति व्रतोपासना करते हैं वे पाप की ओर जाने से बच जाते हैं, जिससे शनि की दशा पर उन्हें कष्ट नहीं भोगना पड़ता है।
शनि देव की पूजा से जाने-अनजाने में किए गए पाप कर्मों के दोष से भी मुक्ति मिल जाती है। शनि देव सूर्य और माता छाया के पुत्र हैं लेकिन शनि देव और सूर्य एक दूसरे के विरोधी माने जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार इसका संबंध शनि देव के जन्म से है। आइए जानते हैं शनि जयंती की कथा।
शनि जयंती की कथा (Shani Jayanti Katha)
स्कंदपुराण की कथा के अनुसार सूर्य की शादी राजा दक्ष के पुत्रों की संज्ञा से हुई थी। संज्ञा सूर्य देव के तेज से परेशान हो गई थी। संज्ञा और सूर्य देव की तीन सत्यता वास्तव में हुई नामवैवस्वत मनु, याया और यमराज हैं। कुछ समय तो संज्ञा ने सूर्य के साथ संबंध प्लगइन की कोशिश की, लेकिन संज्ञा सूर्य के तेज को अधिक समय तक सहन नहीं कर पाईं। सूर्य देव के तेज को कम करने के लिए संज्ञा ने एक उपाय, सूर्य देव को इस की भनक न हो इसलिए जाने से पहले वह संतति के लालन-पालन और पति की सेवा के लिए उन्होंने तपोबल से अपनी हमशक्ल संवर्णा को अर्जित किया, यह छाया के नाम से जाना जाता है।
सूर्य देव और छाया के पुत्र शनि का जन्म
छाया को परिवार के जिम्मेदार अधिकारी नाम पिता दक्ष के घर चले गए लेकिन पिता ने अपने इस कार्य का समर्थन नहीं किया और उन्हें सूर्यलोक जाने को कहा, लेकिन संज्ञा नहीं देखी और वन में घोड़ी बनकर तपस्या करने लगे। उसी समय छाया रूप होने के कारण सवर्णा को सूर्य देव के तेज से कोई परेशानी नहीं हुई और कुछ ही समय बाद छाया और सूर्य देव के मिलन से शनि देव, भद्रा का जन्म हुआ। जन्म के समय से ही शनि देव श्याम वर्ण, लम्बा शरीर, बड़ी-बड़ी आँखों वाले और बड़े केशों वाले थे।
इस कारण शनि देव और सूर्य में शत्रुता हुई
ब्रह्मपुराण के अनुसार छाया पुत्र होने के कारण शनि देव का रंग काला था, जिसके कारण सूर्य देव ने उन्हें अपना पुत्र स्वीकार करने से इंकार कर दिया। उसी के साथ सूर्य देव ने छाया पर भी संदेह किया। उन्होंने छाया पर आरोप लगाया कि शनि देव उनके बेटे नहीं हो सकते। सूर्य देव के ऐसे कटु वचन सुनकर शनि देव क्रोधित हो उठे और पिता सूर्य देव की ओर देखने लगे। उनकी शक्ति से सूर्य देव काले हो गए । बाद में जब सूर्य देव को गलती का एहसास हुआ तो उन्हें पुन: अपना मूल रूप प्राप्त हुआ। इस घटना के बाद शनि और सूर्य देव के संबंधों में खटास आ गया। ये एक दूसरे के शत्रु माने जाते हैं।
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