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मीरवाइज की एक झलक पाने को भी बेताब दिखे लोग
– फोटो : बासित जरगर
विस्तार
चार साल से नजरबंद हुर्रियत (जी) प्रमुख मीरवाइज उमर फारूक की लोकसभा चुनाव से पहले रिहाई से केंद्र सरकार ने बड़ा सियासी दांव चला है। रिहाई के तत्काल बाद ही मीरवाइज ने अपनी भूमिका स्पष्ट कर दी है। कश्मीर मसले का हल तथा कश्मीरी पंडितों की वापसी के लिए प्रयास करने की बात कर उन्होंने यह जता दिया है कि आने वाले दिनों में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है।
कश्मीर के प्रतिनिधि चेहरे के रूप में मीरवाइज को पेश कर केंद्र सरकार पाकिस्तान को भी कड़ा संदेश देना चाहती है, क्योंकि मीरवाइज कभी पाकिस्तान के कट्टर समर्थक नहीं रहे हैं। कश्मीर मामलों के जानकार विशेषज्ञों का कहना है कि मीरवाइज का न केवल कश्मीर में बल्कि मध्य एशिया में भी जबर्दस्त प्रभाव है। अलगाववादियों के गढ़ माने जाने वाले श्रीनगर के डाउनटाउन में अकेले मीरवाइज के छह लाख फॉलोअर बताए जाते हैं। कश्मीर के मौलवी तथा मौलानाओं में भी उनकी गहरी पकड़ है।
- रिहाई से पहले भाजपा प्रवक्ता द्राक्षां मिलीं, अल्ताफ पहले मिल चुके : रिहाई से पहले जम्मू कश्मीर वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष व भाजपा प्रवक्ता डॉ. द्राक्षां अंद्राबी नगीन स्थित आवास पर जाकर मीरवाइज से मिलीं। उनका कहना है कि वह चूंकि धार्मिक संस्थाओं की प्रमुख हैं। इस नाते उनसे मुलाकात हुई। सरकार ने अमन का माहौल बनाया है। चार साल बाद सरकार ने उनकी रिहाई की, उन्होंने जामिया से तकरीर की, लेकिन कहीं भी न पथराव हुआ और न ही गोलियां चलीं। सकारात्मक रूप से उनकी रिहाई को लिया जाना चाहिए।
- अलगाववादी मुख्य धारा की राजनीति में खोजने लगे जगह : 370 खत्म होने के बाद अलगाववादियों का अस्तित्व समाप्त हो गया है। गिलानी गुट के लगभग सभी प्रमुख नेता या तो जेल में बंद हैं या फिर भूमिगत हैं। ऐसे में पाकिस्तान की आवाज उठाने वाला कोई नहीं बचा। बदली परिस्थितियों में सक्रिय अलगाववादी अब मुख्य धारा की राजनीति में जगह खोजने लगे हैं।
कश्मीरी पंडितों की वापसी की वकालत
हुर्रियत कांफ्रेंस के अध्यक्ष ने कश्मीर मुद्दे पर अपने अलगाववादी समूह के रुख को दोहराते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर के मुद्दे को बातचीत और शांतिपूर्ण तरीकों से हल किया जाना चाहिए। मीरवाइज ने यह भी कहा कि कश्मीर के लोग समुदायों और राष्ट्रों के बीच शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व में विश्वास करते हैं। उन्होंने कहा कि हमने हमेशा कश्मीरी पंडितों की वापसी की वकालत की है। यहां तक कि इसे राजनीतिक मुद्दा बनाने से इन्कार किया है, क्योंकि यह एक मानवीय मुद्दा है। मुद्दों को सख्ती से निपटना बेहद खतरनाक है। इसने मानवाधिकारों के हनन को न्योता दिया है। हमारे कई नेता, हमारे लोग, महिलाएं और पुरुष, सालों से जेलों में हैं।
- मुद्दों को सख्ती से निपटना खतरनाक : हुर्रियत अध्यक्ष ने कहा कि कश्मीर के लोग समुदायों और राष्ट्रों के बीच शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व में विश्वास करते हैं। मुद्दों को सख्ती से निपटना बेहद खतरनाक है। इसने मानवाधिकारों के हनन को न्योता दिया है।
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